अदालत ने सीबीआई से अनिल देशमुख के खिलाफ परमबीर सिंह के आरोपों की जांच करने को कहा

By भाषा | Updated: April 5, 2021 13:43 IST2021-04-05T13:43:16+5:302021-04-05T13:43:16+5:30

The court asked the CBI to investigate Parambir Singh's allegations against Anil Deshmukh | अदालत ने सीबीआई से अनिल देशमुख के खिलाफ परमबीर सिंह के आरोपों की जांच करने को कहा

अदालत ने सीबीआई से अनिल देशमुख के खिलाफ परमबीर सिंह के आरोपों की जांच करने को कहा

मुंबई, पांच अप्रैल बंबई उच्च न्यायालय ने सीबीआई को निर्देश दिया कि महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख पर मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त परमबीर सिंह द्वारा लगाये गये भ्रष्टाचार एवं कदाचार के आरोपों की प्रारंभिक जांच 15 दिन के भीतर पूरी की जाये।

मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी की खंड पीठ ने कहा कि यह “असाधारण’’ और “अभूतपूर्व’’ मामला है जिसकी स्वतंत्र जांच होनी चाहिए।

अदालत ने कहा कि चूंकि राज्य सरकार ने मामले में पहले ही उच्च स्तरीय समिति से जांच कराने के आदेश दे दिए हैं इसलिए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को मामले में तत्काल प्राथमिकी दर्ज करने की जरूरत नहीं है।

पीठ ने कहा कि सीबीआई को प्रारंभिक जांच 15 दिन के भीतर पूरी करनी होगी और फिर आगे की कार्रवाई पर फैसला लेना होगा।

पीठ ने अपना फैसला कई जनहित याचिकाओं (पीआईएल) और रिट याचिकाओं पर दिया जिनमें मामले की सीबीआई जांच और अलग-अलग कदम उठाने का अनुरोध किया गया था।

इनमें से एक याचिका खुद सिंह ने दायर की है जबकि दूसरी याचिका शहर की वकील जयश्री पाटिल और घनश्याम उपाध्याय और तीसरी स्थानीय शिक्षक मोहन भिडे ने दायर की थी।

पीठ ने सभी याचिकाओं का सोमवार को निस्तारण कर दिया।

उच्च न्यायालय ने कहा, “सीबीआई के निदेशक को प्रारंभिक जांच करने की अनुमति है। ऐसी प्रारंभिक जांच कानून के अनुरूप और 15 दिन के भीतर कराने का आदेश दिया जाए। एक बार प्रारंभिक जांच पूरी हो जाए तो आगे की कार्रवाई का फैसला सीबीआई निदेशक के विवेक पर होगा।”

उच्च न्यायालय ने बुधवार को पूरे दिन इन याचिकाओं पर सुनवाई करने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

अदालत ने सोमवार को कहा, “हम इस बात पर सहमत हैं कि अदालत के सामने आया यह अभूतपूर्व मामला है..देशभुख गृह मंत्री हैं जो पुलिस का नेतृत्व करते हैं....स्वतंत्र जांच होनी चाहिए...लेकिन सीबीआई को तत्काल प्राथमिकी दर्ज करने की जरूरत नहीं है।”

गौरतलब है कि 25 मार्च को सिंह ने देशमुख के खिलाफ सीबीआई जांच का अनुरोध करते हुए आपराधिक पीआईएल दाखिल की थी जिसमें उन्होंने दावा किया कि देशमुख ने निलंबित पुलिस अधिकारी सचिन वाजे समेत अन्य पुलिस अधिकारियों को बार और रेस्तरां से 100 करोड़ रुपये की वसूली करने को कहा।

शेष याचिकाएं भी उसी वक्त के आस-पास दायर की गईं थी।

मंत्री ने इन आरोपों से इनकार किया है।

सिंह के वकील विक्रम नानकनी ने तर्क दिया कि समूचा पुलिस बल हतोत्साहित था और नेताओं के हस्तक्षेप के कारण दबाव में काम कर रहा था।

अदालत ने इस पर पूछा कि सिंह को अगर देशमुख के कथित कदाचार की जानकारी थी तो उन्होंने मंत्री के खिलाफ प्राथमिकी क्यों नहीं दर्ज कराई।

याचिकाकर्ताओं में से एक, पाटिल ने अदालत को बताया कि उन्होंने सिंह और देशमुख दोनों के खिलाफ स्थानीय पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई थी।

राज्य सरकार का पक्ष रख रहे महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोनी ने अदालत से याचिकाएं रद्द करने का अनुरोध किया।

सिंह ने शुरू में उच्चतम न्यायालय का रुख कर आरोप लगाया था कि देशमुख के “भ्रष्ट आचरण” की शिकायत मु्ख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और अन्य वरिष्ठ नेताओं से करने के बाद उन्हें मुंबई पुलिस आयुक्त के पद से स्थानांतरित कर दिया गया।

शीर्ष अदालत ने मामले को काफी गंभीर बताया लेकिन सिंह को उच्च न्यायालय का रुख करने को कहा।

सिंह ने फिर पीआईएल उच्च न्यायालय में दाखिल की और देशमुख के खिलाफ अपने आरोपों को दोहराते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता के खिलाफ सीबीआई से “तत्काल एवं निष्पक्ष” जांच कराने का अनुरोध किया।

महाराष्ट्र में शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस की गठबंधन की सरकार है।

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Web Title: The court asked the CBI to investigate Parambir Singh's allegations against Anil Deshmukh

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