स्वच्छ भारत मिशन के दूसरे चरण को मंजूरी, खुले में शौच से मुक्ति के बाद सार्वजनिक शौचालय पर फोकस, ग्रामीण कचरा प्रबंधन पर जोर

By भाषा | Published: February 19, 2020 08:37 PM2020-02-19T20:37:18+5:302020-02-19T20:37:18+5:30

जल शक्ति मंत्रालय द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि स्वच्छ भारत (ग्रामीण) मिशन का दूसरा चरण 2020-21 से 2024-25 के बीच कार्यान्वित किया जाएगा और इसका अनुमानित बजट 52,497 करोड़ रुपये होगा। इसमें केन्द्र और राज्य दोनों की हिस्सेदारी होगी।

The Cabinet has approved to launch the second phase of Swachh Bharat Mission which will cover the all rural areas as well | स्वच्छ भारत मिशन के दूसरे चरण को मंजूरी, खुले में शौच से मुक्ति के बाद सार्वजनिक शौचालय पर फोकस, ग्रामीण कचरा प्रबंधन पर जोर

खुले में शौच से मुक्त प्लस कार्यक्रम मनेरगा के साथ सम्मिलित होगा।

Highlightsएक व्यक्ति भी न छूटे और हर व्यक्ति शौचालय का इस्तेमाल करे।ग्रामीण जलापूर्ति और स्वच्छता के क्रियान्वयन के लिए 30,375 करोड़ रुपये का प्रस्ताव रखा है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की महात्वाकांक्षी परियोजना स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के दूसरे चरण को केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी है। इसमें खुले में शौच से मुक्ति के बाद सार्वजनिक शौचालयों में बेहतर सुविधाओं पर ध्यान केंद्रित किया जायेगा जिसमें खुले में शौच मुक्त अभियान को जारी रखना और ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन भी शामिल होगा।

जल शक्ति मंत्रालय द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि स्वच्छ भारत (ग्रामीण) मिशन का दूसरा चरण 2020-21 से 2024-25 के बीच कार्यान्वित किया जाएगा और इसका अनुमानित बजट 52,497 करोड़ रुपये होगा। इसमें केन्द्र और राज्य दोनों की हिस्सेदारी होगी।

इस कार्यक्रम में यह सुनिश्चित करने के लिए भी कार्य किया जायेगा कि एक व्यक्ति भी न छूटे और हर व्यक्ति शौचालय का इस्तेमाल करे। बयान के अनुसार इसके अलावा, 15वें वित्त आयोग ने ग्रामीण स्थानीय निकायों द्वारा ग्रामीण जलापूर्ति और स्वच्छता के क्रियान्वयन के लिए 30,375 करोड़ रुपये का प्रस्ताव रखा है।

खुले में शौच से मुक्त प्लस कार्यक्रम मनेरगा के साथ सम्मिलित होगा। इसके अलावा, ग्राम पंचायतों को ग्रामीण स्तर पर सामुदायिक स्वच्छता परिसर के निर्माण (सीएमएससी) के लिए आर्थिक सहायता को बढ़ाकर दो लाख से तीन लाख रुपये कर दिया गया है।

केन्द्र और राज्यों के बीच सभी घटकों के लिए कोष हिस्सेदारी का ढांचा पूर्वोत्तर राज्यों एवं हिमालयी राज्यों और जम्मू एवं कश्मीर केन्द्र शासित प्रदेश के बीच 90:10, अन्य राज्यों के बीच 60:40 और अन्य केन्द्र शासित प्रदेश के बीच 100:0 होगा। स्चच्छ भारत (ग्रामीण) अभियान का दूसरा चरण रोजगार सृजन और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को घरेलू शौचालय एवं सामुदायिक शौचालयों के निर्माण के माध्यम से प्रोत्साहन देना जारी रखेगा।

पेयजल एवं स्वच्छता विभाग (डीडीडब्ल्यूएस) ने सभी राज्यों को यह सलाह दी है कि वे इस बात की पुनः पुष्टि कर लें कि ऐसा कोई ऐसा ग्रामीण घर न हो जहां शौचालय का इस्तेमाल नहीं हो पा रहा हो और यह सुनिश्चित करने के दौरान अगर ऐसे किसी घर की पहचान होती है तो उसको व्यक्तिगत घरेलू शौचालय के निर्माण के लिए जरूरी सहायता प्रदान की जाये ताकि इस कार्यक्रम के अंतर्गत कोई भी पीछे न छूटे।

भास्कराचार्य अंतरिक्ष अनुप्रयोग, भूसूचना संस्थान को मिला राष्ट्रीय दर्जा, मंत्रिमंडल ने दी मंजूरी

सरकार ने बुधवार को गुजरात की अंतरिक्ष एजेंसी भास्कराचार्य अंतरिक्ष अनुप्रयोग और भूसूचना संस्थान (बीआईएसएजी) को राष्ट्रीय स्तर का दर्जा दिये जाने को मंजूरी दे दी। संस्थान की गतिविधियां और अनुसंधान बढ़ाने के लिये इसे राष्ट्रीय संस्थान का दर्जा देते हुए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत लाया गया है।

एक अधिकारिक बयान के अनुसार, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में बीआईएसएजी, गुजरात का दर्जा बढ़ाकर राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुप्रयोग और भूसूचना संस्थान (बीआईएसएजी-एन) किये जाने को मंजूरी दे दी। यह संस्थान अब राष्ट्रीय स्तर का होगा और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत आएगा।’’ वर्तमान में बीआईएसएजी गुजरात सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग की एक राज्य एजेन्सी है।

यह गुजरात के गाँधीनगर में स्थित है। इसके प्रशासनिक निकाय के अध्यक्ष गुजरात सरकार के मुख्य सचिव हैं। इस संस्थान ने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग (विशेषकर अंतरिक्ष आधारित सुदूर संवेदन तकनीक), उपग्रह संचार और भू-सूचना ने समाजिक-आर्थिक विकास की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

इसकी कार्य कुशलता बनाये रखने और सेवाओं में नवप्रवर्तन, नई गतिविधियों को शामिल करने तथा अनुसंधान एवं विकास कोई नई गति के इरादे से यह कदम उठाया गया है। यह एक नया संगठन नहीं है, बल्कि मौजूदा निकाय का ही उन्नयन किया गया है। इसके तहत यह अब राज्य सरकार के बजाय भारत सरकार के अंतर्गत एक स्वायत्त वैज्ञानिक संस्थान होगा।

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