दस केंद्रीय मजदूर संगठनों की ओर से बुलाई गई देशव्यापी हड़ताल में बैंक कर्मचारियों के शामिल होने से बुधवार को बैंकिंग सेवाओं पर असर पड़ा।
हड़ताल की वजह से देश में कई जगहों पर सार्वजनिक बैंकों की शाखाओं में नकदी जमा करने और निकालने समेत अन्य गतिविधियां प्रभावित रहीं। ज्यादातर बैंक पहले ही अपने ग्राहकों को हड़ताल और उससे बैंकिंग सेवाओं पर पड़ने वाले असर के बारे में ग्राहकों को बता चुके हैं।
बैंक कर्मचारियों के सगठनों एआईबीईए, एआईबीओए, बीईएफआई, आईएनबीईएफ, आईएनबीओसी और बैंक कर्मचारी सेना महासंघ ने हड़ताल का समर्थन करने और इसमें भाग लेने की इच्छा जाहिर की थी। अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) के महासचिव सीएच वेंकटचलम ने बताया कि बैंक कर्मचारियों ने 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के राष्ट्रव्यापी हड़ताल के आह्वान का समर्थन किया है।
उन्होंने कहा, "हमने बैंक विलय, निजीकरण, शुल्क वृद्धि और वेतन से जुड़े अन्य मुद्दों को लेकर सरकार की नीतियों का विरोध किया है।" ऑल इंडिया रिजर्व बैंक एंप्लॉयज एसोसिएशन (एआईआरबीईए) और ऑल इंडिया रिजर्व बैंक वर्कर्स फेडरेशन (एआईआरबीडब्ल्यूएफ) और कुछ बीमा यूनियनों ने भी हड़ताल का समर्थन किया है। भाषा पवन पाण्डेय पाण्डेय
केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ दस ट्रेड यूनियनों के सदस्य बुधवार को देशव्यापी हड़ताल पर चले गए हैं। आल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक) की महासचिव अमरजीत कौर ने कहा कि इस राष्ट्रव्यापी हड़ताल में 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के सदस्यों के साथ विभिन्न क्षेत्रीय महासंघ भी हिस्सा ले रहे हैं। केंद्रीय यूनियनों में एटक, इंटक, सीटू, एआईसीसीटीयू, सेवा, एलपीएफ समेत अन्य शामिल हैं।
उन्होंने बताया, "हम महंगाई, सार्वजनिक कंपनियों की बिक्री, रेलवे, रक्षा, कोयला समेत अन्य क्षेत्रों में 100 प्रतिशत एफडीआई और 44 श्रम कानूनों को संहिताबद्ध करने (श्रम संहिता) के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।" सरकार की नीतियों के खिलाफ अखिल भारतीय स्तर पर होने वाली इस हड़ताल में करीब 25 करोड़ लोगों के भाग लेने का अनुमान व्यक्त किया गया है।
कौर ने कहा कि हमारी अन्य मांगों में सभी के लिए 6000 रुपये न्यूनतम पेंशन, किसानों के लिए न्यूनतम समर्थम मूल्य (एमएसपी) और लोगों को राशन की पर्याप्त आपूर्ति शामिल हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली में बारिश आंदोलन पर असर नहीं डाल सकी है।
श्रमिक राज्य के औद्योगिक क्षेत्रों में जुलूस निकालेंगे और योजना के मुताबिक, कर्मचारी आईटीओ पर एकत्र होंगे और फिर यहां से जुलूस निकालेंगे। कौर ने कहा, "हमें पूरे देश भर से खबरें मिल रही हैं। भेल के कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं। ऑयल यूनियन हड़ताल पर है। पूर्वोत्तर, ओडिशा, पुडुचेरी, केरल और महाराष्ट्र में बंद की स्थिति है।" भाषा पवन पाण्डेय पाण्डेय पवन
केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के 'भारत बंद' के आह्वान का बुधवार को राजस्थान में मिला जुला असर देखने को मिला। ट्रेड यूनियन कर्मचारियों के इसमें शामिल होने के कारण बंद के शुरुआती घंटों में बैंकिंग सेवाओं, रोडवेज सेवाओं पर आंशिक असर देखने को मिला।
बैंक कर्मचारियों की यूनियन के प्रतिनिधि महेश मिश्रा ने बताया कि जयपुर में एलआईसी भवन के सामने प्रदर्शन किया गया जिसमें बैंक और एलआईसी कर्मचारियों ने भाग लिया। राजस्थान रोडवेज के सीटू से संबद्ध कर्मचारी भी हड़ताल में भाग ले रहे हैं। राजस्थान रोडवेज वर्कर्स यूनियन (सीटू) के महासचिव किशन सिंह राठौर ने कहा कि रोडवेज में सीटू से जुड़े लगभग 3,000 कर्मचारी हैं जो भारत बंद में भाग ले रहे हैं। हड़ताल का असर चूरू, गंगानगर, सीकर में बसों के संचालन पर पड़ा है। हालांकि जयपुर शहर में बाजार खुले हैं और सार्वजनिक परिवहन सेवा पर ज्यादा असर देखने को नहीं मिला है।