तेलंगाना CM चंद्रशेखर राव ने पीएम मोदी से कहा- चीन के खिलाफ जल्दबाजी में नहीं लिया जाना चाहिए कोई फैसला
By भाषा | Published: June 20, 2020 05:38 AM2020-06-20T05:38:22+5:302020-06-20T05:38:22+5:30
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से करीब चार घंटे तक चली जिसमें भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राकांपा अध्यक्ष शरद पवार, तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी , बसपा अध्यक्ष मायावती, माकपा नेता सीताराम येचुरी, द्रमुक नेता एम के स्टालिन और शिवसेना के उद्धव ठाकरे समेत विपक्षी दलों के प्रमुख नेताओं ने भाग लिया।
हैदराबाद: तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने शुक्रवार (19 जून) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पड़ोसी देश चीन से निपटने के लिए अल्पकालिक और दीर्घकालिक रणनीति अपनाने का सुझाव दिया। राव ने कहा कि भारत की ओर से इस बारे में जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लिया जाना चाहिए और देश के हितों से समझौता नहीं किया जाना चाहिए। तेलंगाना राष्ट्र समिति के अध्यक्ष राव ने वीडियो कांफ्रेंस के जरिए आयोजित सर्वदलीय बैठक के दौरान प्रधानमंत्री से ये बातें कहीं। बैठक के दौरान मुख्यमंत्री की ओर से दिए गए बयान के हवाले से एक आधिकारिक बयान में कहा गया, '' चीन के आक्रामक रवैये का सामना करने के लिए हमें दीर्घकालिक और अल्पकालिक रणनीति तैयार करनी चाहिए। किसी भी परिस्थिति में हमारी तरफ से कोई भी कदम जल्दबाजी में नहीं उठाया जाना चाहिए।''
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने कहा, '' जहां तक राष्ट्र की सुरक्षा और इसके हितों का सवाल है, इससे कोई समझौता नहीं करना चाहिए। हमारे मित्रवत देशों के साथ रणनीतिक साझेदारी करें।'' राव ने आगे कहा कि भारत के स्थिर और मजबूत शासन के कारण चीन इर्ष्या करता है, जो कि एक मजबूत अर्थव्यवस्था बनकर उभर रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा- ना कोई भारतीय क्षेत्र में घुसा, ना ही हमारी किसी चौकी पर कब्जा हुआ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के साथ छह सप्ताह से सीमा पर बने हुए गतिरोध के मुद्दे पर शुक्रवार को कहा कि किसी ने भारतीय क्षेत्र में प्रवेश नहीं किया और ना ही भारतीय चौकियों पर कब्जा किया गया है। मोदी ने पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में 20 जवानों की शहादत का जिक्र करते हुए कहा कि एलएसी पर चीन के कदमों से पूरा देश आहत और आक्रोशित है। उन्होंने यह रेखांकित भी किया कि देश शांति और मित्रता चाहता है, लेकिन संप्रभुता की रक्षा सर्वोपरि है।
प्रधानमंत्री ने भारत-चीन सीमा क्षेत्रों के हालात पर चर्चा के लिए बुलाई सर्वदलीय बैठक में कहा कि सर्वोच्च बलिदान देने वाले सैनिकों ने भारत की तरफ आंख उठाकर देखने की हिमाकत करने वालों को ‘सबक’ सिखाया। उन्होंने कहा कि सेना को यथोचित कदम उठाने की आजादी दी गयी है। सरकार ने एक बयान में कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने बैठक की शुरुआत में स्पष्ट किया कि न वहां कोई हमारी सीमा में घुसा हुआ है, न ही हमारी कोई चौकी किसी दूसरे के कब्जे में है।’’
बयान के अनुसार उन्होंने नेताओं को आश्वस्त किया कि सशस्त्र बल देश की रक्षा के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे। प्रधानमंत्री का यह स्पष्ट बयान इन खबरों के बीच आया है कि चीनी सेना ने पैंगोंग त्सो और गलवान घाटी समेत पूर्वी लद्दाख के अनेक क्षेत्रों में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के भारतीय पक्ष की तरफ घुसपैठ की है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘एक तरफ सेना को जरूरी कदम उठाने के लिए आजादी प्रदान की गयी है, वहीं भारत ने कूटनीतिक तरीकों से चीन को अपने रुख से स्पष्ट रूप से अवगत करा दिया है।’’ उन्होंने कहा कि भारत के पास आज इतनी क्षमता है कि कोई भी हमारी एक इंच जमीन की तरफ आंख उठाकर भी नहीं देख सकता। बैठक में अपने समापन वक्तव्य में मोदी ने कहा कि भारतीय बलों को देश की रक्षा के लिए जो करना है, वो कर रहे हैं, चाहे सैनिकों की तैनाती हो, कार्रवाई हो या जवाबी कार्रवाई हो।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे नवनिर्मित बुनियादी ढांचों, खासतौर पर एलएसी पर निर्माणों की वजह से हमारी गश्त क्षमता बढ़ी है।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने भारत की सीमाओं को और अधिक सुरक्षित बनाने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी संरचना के विकास को प्राथमिकता दी है। लड़ाकू विमानों, आधुनिक हेलीकॉप्टरों, मिसाइल रक्षा प्रणाली और अन्य ऐसी जरूरतों के प्रावधान किये गये हैं। मोदी ने देश और इसके नागरिकों के कल्याण की सरकार की प्रतिबद्धता रेखांकित करते हुए कहा कि व्यापार हो, कनेक्टिविटी हो या आतंकवाद निरोधक कार्रवाई हो, सरकार ने हमेशा बाहरी दबाव का डटकर सामना किया है।