तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार पर कसा तंज, डबल इंजन की सरकार के रिश्तों का जिक्र कर मांगा CM का इस्तीफा
By एस पी सिन्हा | Published: January 28, 2020 07:25 PM2020-01-28T19:25:17+5:302020-01-28T19:25:17+5:30
तेजस्वी यादव ने पूछा है कि विगत वर्ष बिहार में दो बार भीषण बाढ़ आई. लेकिन, केंद्र से क्या मदद मिली? केंद्र से कितने की मांग की गई और कितना मिला? बिहार से छोटे और तुलनात्मक रूप से बाढ़ से कम नुकसान वाले दूसरे राज्यों को दी गई मदद बिहार से कई गुना अधिक है.
बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर पत्र लिखकर बिहार के मुख्यमंत्री पर तंज कसते हुए निशाना साधा है. साथ ही केंद्र सरकार के साथ रिश्तों का जिक्र करते हुए उन्होंने इस्तीफा भी मांगा है. उन्होंने नीतीश कुमार और केंद्र सरकार के रिश्तों का जिक्र करते हुए नीतीश कुमार की बेइज्जती किए जाने के सवाल पर चिट्ठी लिखी है और कहा है कि अब तो आपको इस्तीफा दे ही देना चाहिए.
पत्र में उन्होंने कांग्रेस की मनमोहन सरकार और नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान बिहार को मिले हक की तुलना भी की है. तेजस्वी यादव ने डबल इंजन सरकार में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा, विशेष पैकेज और केंद्रीय योजनाओं में प्राथमिकता मिलने को लेकर सवाल उठाया है. साथ ही पटना विश्वविद्यालय को विशेष आर्थिक सहायता देने की घोषणा पर भी सवाल उठाया है.
पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा नहीं मिलने को लेकर भी उन्होंने सवाल उठाया है. उन्होंने लिखा है कि प्रधानमंत्री जी ने 2015 के विधानसभा चुनावों में बिहार के लिए एक लाख 65 हजार करोड़ के विशेष पैकेज की घोषणा की थी. विशेष पैकेज को लेकर भी उन्होंने पूछा है कि कितनी घोषणाएं पूर्ण हुईं और कितनी ऐसी परियोजनाएं हैं, जिनका अभी शिलान्यास भी नहीं हुआ है. साथ ही पैकेज में से कितनी राशि राज्य सरकार को प्राप्त हुई है?
तेजस्वी यादव ने पूछा है कि विगत वर्ष बिहार में दो बार भीषण बाढ़ आई. लेकिन, केंद्र से क्या मदद मिली? केंद्र से कितने की मांग की गई और कितना मिला? बिहार से छोटे और तुलनात्मक रूप से बाढ़ से कम नुकसान वाले दूसरे राज्यों को दी गई मदद बिहार से कई गुना अधिक है. कर्नाटक को 3000 करोड, तो मध्य प्रदेश को 1700 करोड मिले, लेकिन बिहार की डबल इंजन वाली सरकार को मात्र 400 करोड ही दिये गये. उन्होंने साल 2008 की तत्कालीन मनमोहन सिंह की सरकार के दौरान कोसी त्रासदी के समय केंद्र से सहायता दिलाये जाने की भी यादव दिलायी.
तेजस्वी ने अपने पत्र में आगे लिखा है कि यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान लालू जी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी के सहयोग से बिहार के विकास कार्यों के लिए एक लाख 44 करोड़ की सहायता राशि दिलवायी थी. लेकिन, अब डबल इंजन की सरकार में बिहार को क्या मिला?
तेजस्वी यादव ने अनुच्छेद 370, तीन तलाक, सीएए, एनआरसी और एनपीआर को लेकर मोदी सरकार को समर्थन देने का भी आरोप लगाया है. साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री से राजभवन जाकर इस्तीफा देने की बात कही है. तेजस्वी ने नीतीश कुमार को चिट्ठी लिखकर कहा है कि कुर्सी खातिर अपमानित होने और बिहार का नुकसान करने से अच्छा है कि राजभवन जाकर आप अपना इस्तीफा दे दीजिए.
उन्होंने लिखा है कि जुलाई 2017 में जनादेश चोरी के बाद जब बिहार में अनैतिक सरकार बनी थी तब जनादेश अपमान की शर्मिंदगी दबाने और न्यायप्रिय लोकतांत्रिक लोगों को सांत्वना देने के लिए आप जोर-शोर से कहते थे कि दशकों बाद केंद्र और बिहार में एक गठबंधन की सरकार बनी है. अब डबल इंजन सरकार में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा, विशेष पैकेज और केंद्रीय योजनाओं में प्राथमिकता मिलेगी. लेकिन मुख्यमंत्री जी क्या हुआ? क्या यही आपकी हैसियत है कि आप 100 वर्ष पुराने पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा तक नहीं दिला सकते? प्रधानमंत्री को उनका बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का टेप और वीडियो क्यों नहीं दिखाते?
उन्होंने आगे लिखा है कि मुख्यमंत्री जी, अपने मंत्रिमंडल में शामिल भाजपा के 11 मंत्रियों और ज्ञानी-ध्यानी उपमुख्यमंत्री को दिल्ली दौडाइए. अगर ये लोग आपके अपमान, बेबसी और लाचारी को देखकर भी अपनी पार्टी से बिहार को केंद्रीय मदद दिलाने में असफ़ल है तो इन्हें मंत्रिमंडल से तुरंत बर्खास्त करिए. बिहार का अहित सोचने वाले ऐसे नाकारा मंत्रियों को हटाने में किस बात का डर? आपके चेहरे पर तो सरकारें बनती है ना? फिर अकेले चुनाव लड़ने में क्या डर? अगर आपने 15 वर्ष कथित विकास किया है तो लडिए अकेले? मोदी सरकार ने आपको इतना कमजोर और मजबूर कर दिया है कि आप खुशी-खुशी आर्टिकल 370, तीन तलाक, सीएए, एनआरसी और एनपीआर का समर्थन कर रहे हैं और साथ ही साथ बिहार का वित्तीय नुकसान भी झेल रहे हैं. अच्छा हुआ देश की आवाम ने इस बहाने आपकी सिद्धांतहीन कुर्सीवादी राजनीति और वर्षों से छद्म धर्मनिरपेक्ष होने के प्रपंच को पहचान लिया है.