तेज प्रताप यादव अब पार्टी कार्यालय में लगाएंगे जनता दरबार, संभालेंगे लालू प्रसाद यादव की गद्दी
By एस पी सिन्हा | Published: December 22, 2018 05:51 PM2018-12-22T17:51:49+5:302018-12-22T17:51:49+5:30
जानकारों के अनुसार तेज प्रताप के ताजा रुख से साफ हो रहा है कि भले ही लालू यादव और राजद ने तेजस्वी यादव को अपना नेता मान लिया हो, वह भले ही नेता प्रतिपक्ष बन गए हों, लेकिन अब तेज प्रताप ने भी सत्ता के लिए ताल ठोक दिया है.
बिहार में सीटों के बंटवारे को लेकर एक ओर जहां एनडीए और महागठबंधन में सियासी शह और मात की खेल चल रही है, वहीं, दूसरी ओर लालू परिवार में भी शह और मात के खेल शुरू होने की संभवना जताई जाने लगी है. इसी कडी में अब राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के बडे बेटे तेज प्रताप यादव पार्टी कार्यालय में जनता दरबार लगाने जा रहे हैं. यह दरबार सोमवार 24 दिसंबर से लगना शुरू हो जाएगा.
बताया जा रहा है कि हर दिन सुबह 10 बजे से 2 बजे तक लगने वाले इस जनता दरबार में वे अपने कार्यकर्ताओं के साथ आम लोगों की समस्याएं भी सुनेंगे. दरअसल बीते 16 दिसंबर को तेज प्रताप जिस अंदाज में राजद कार्यालय पहुंचे और कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की, इससे यह साफ हो गया था कि अब वे सक्रिय होने जा रहे हैं. उन्होंने उस वक्त विरोधियों के खिलाफ हुंकार भरते हुए जंग का एलान किया था.
इससे ये संकेत निकलकर आ रहा है कि तेजप्रताप पार्टी की कमान खुद लेना चाहते हैं. इसके बाद उन्होंने पिता लालू प्रसाद यादव से रांची में मुलाकात की और यह ऐलान किया कि कृष्ण के बगैर अर्जुन की लडाई अधुरी है, अर्थात यह साफ है कि तेज प्रताप पार्टी की कमान अफने हाथों में रखना चाहते हैं. हालांकि उन्होंने उस वक्त यह साफ किया था कि तेजस्वी यादव को वे बिहार का मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं.
ऐसे में तेज प्रताप के तेवर यह साफ बता रहे हैं कि लालू प्रसाद यादव के बाद वह किसी के अधीन काम करने को तैयार नहीं हैं. उन्होंने कहा भी है कि वह युवाओं की रैली करेंगे, जिसमें तेजस्वी यादव को भी आमंत्रित करेंगे. जाहिर है यह पार्टी पर उनकी पकड़ बनाने की एक बडी कोशिश है.
अब ऐसे में यह माना जा रहा है कि तेज प्रताप अभी खुलकर तेजस्वी का विरोध भले ही नहीं करें, लेकिन गांधी मैदान में रैली का ऐलान करके तेज प्रताप ने ना सिर्फ सबको चौंका दिया है बल्कि ये संदेश भी दे दिया है कि अब वह पार्टी की कमान संभालना चाहते हैं. इसतरह यह भी स्पष्ट है कि पार्टी में किसी एक का राज नहीं चलने वाला और फिर पार्टी को किस राह चलना है, ये भी वो खुद तय करेंगे.
जानकारों के अनुसार तेज प्रताप के ताजा रुख से साफ हो रहा है कि भले ही लालू यादव और राजद ने तेजस्वी यादव को अपना नेता मान लिया हो, वह भले ही नेता प्रतिपक्ष बन गए हों, लेकिन अब तेज प्रताप ने भी सत्ता के लिए ताल ठोक दिया है. उनमें भी सत्ता की महत्त्वाकांक्षा साफ-साफ नजर आ रही है. यहां बता दें कि तेज प्रताप अभी अपने घर नहीं जा रहे हैं.
अपने निजी संबंधों के कारण वो परिवार के सभी सदस्यों से नाराज भी चल रहे हैं. ऐसे में अचानक से पार्टी में उनकी बढती सक्रियता और फिर रैली का ऐलान यह बताता है कि वो पार्टी की कमान छोडना नहीं चाहते. यही नही पिछले दिनों वह पार्टी कार्यालय में रखी लालू यादव की कुर्सी पर हीं बैठकर कार्यकर्ताओं से बात करते भी दिखे थे, जबकि उस कुर्सी पर लालू यादव के अलावे कोई और नही बैठता था.