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तमिलनाडु के राज्यपाल ने तमिलों को लेकर जयशंकर की टिप्पणी का स्वागत किया

By भाषा | Updated: January 7, 2021 16:17 IST

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चेन्नई, सात जनवरी तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने विदेश मंत्री एस जयशंकर द्वारा श्रीलंका में दिए गए बयान का बृहस्पतिवार को स्वागत करते हुए कहा कि यह तमिलों के प्रति केन्द्र की चिंता को दर्शाता है और राज्य के लोग इसका स्वागत करेंगे।

पुरोहित ने एक बयान में कहा कि जयशंकर ने श्रीलंका के संविधान के 13वें संशोधन पर भारत के रुख को स्पष्ट रूप से सामने रखा।

श्रीलंका के विदेश मंत्री दिनेश गुणवर्धन के साथ बुधवार को संवाददाता सम्मेलन में जयशंकर द्वारा दिए गए बयान पर राज्यपाल ने कहा, ‘‘यह महत्वपूर्ण बयान है और यह श्रीलंका में तमिल भाई-बहनों के प्रति भारत सरकार की चिंताओं को दर्शाता है।’’

राज्यपाल ने कहा, ‘‘उनके बयान का तमिलनाडु के लोग जरूर स्वागत करेंगे।’’

उन्होंने कहा कि जयशंकर के शब्द श्रीलंका की तमिल आबादी के कल्याण के प्रति प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अथक प्रयासों के अनुरूप हैं।

जयशंकर ने बुधवार को श्रीलंका का आह्वान किया कि वह मेलमिलाप की प्रक्रिया के तहत ‘‘अपने खुद के हित में’’ एक संगठित देश के भीतर समानता, न्याय और सम्मान की अल्पसंख्यक तमिलों की उम्मीदों को पूरा करे।

उन्होंने श्रीलंका की मेलमिलाप प्रक्रिया में भारत के समर्थन और जातीय सौहार्द को प्रोत्साहन देने वाले ‘‘समावेशी राजनीतिक दृष्टिकोण’’ को रेखांकित किया।

विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘क्षेत्र में शांति एवं समृद्धि को बढ़ावा देने के अपने प्रयासों में भारत हमेशा श्रीलंका की एकता, स्थिरता और क्षेत्रीय अखंडता के प्रति कटिबद्ध रहा है। श्रीलंका में मेलमिलाप की प्रक्रिया के प्रति हमारा समर्थन चिरकालिक है तथा हम जातीय सौहार्द को बढ़ावा देने के लिए एक समावेशी राजनीतिक दृष्टिकोण रखते हैं।’’

जयशंकर ने कहा, ‘‘एक संगठित श्रीलंका के भीतर समानता, न्याय, शांति एवं सम्मान की तमिल लोगों की उम्मीदों को पूरा करना खुद श्रीलंका के अपने हित में है। 13वें संविधान संशोधन सहित सार्थक अधिकार पर श्रीलंका सरकार द्वारा की गईं प्रतिबद्धताओं पर यह समान रूप से लागू होता है।’’

उन्होंने कहा कि इसके परिणामस्वरूप श्रीलंका की प्रगति और समृद्धि को भी निश्चित तौर पर मजबूती मिलेगी।

श्रीलंका के संविधान का 13वां संशोधन तमिल समुदाय को अधिकार देने की बात करता है जिसके तहत देश में प्रांतीय परिषद प्रणाली लाई गई थी। यह संशोधन भारत-श्रीलंका समझौता-1987 के बाद किया गया था और नयी दिल्ली कोलंबो से इस संशोधन को पूर्ण रूप से क्रियान्वित करने को लगातार कहती रही है।

जयशंकर का यह बयान इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि सत्तारूढ़ श्रीलंका पीपुल्स पार्टी और इसके सहयोगी दल प्रांतीय परिषद प्रणाली को खत्म करने के लिए अभियान चला रहे हैं।

पार्टी के सिंहल बहुल कट्टरपंथी 1987 में स्थापित प्रांतीय परिषद प्रणाली को पूरी तरह समाप्त करने की वकालत कर रहे हैं।

तमिल मेल-मिलाप प्रक्रिया का मुद्दा पिछले साल सितंबर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके श्रीलंकाई समकक्ष महिन्दा राजपक्षे के बीच हुए वर्चुअल शिखर सम्मेलन में भी प्रमुखता से उठा था।

मोदी ने कहा था कि श्रीलंका सरकार को तमिल समुदाय के अधिकार सुनिश्चित करने के लिए संवैधानिक प्रावधान को पूरी तरह क्रियान्वित करना चाहिए।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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