मेडिकल छात्रों को 'हिप्पोक्रेटिक शपथ' दिलाने की जगह 'चरक शपथ' दिलाने वाले मदुरै मेडिकल कॉलेज के डीन को तमिलनाडु सरकार ने पद से हटाया, जानिए क्या है 'शपथ' का मामला
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: May 1, 2022 07:40 PM2022-05-01T19:40:20+5:302022-05-01T19:45:00+5:30
तमिलनाडु सरकार ने मदुरै मेडिकल कॉलेज में हुए 'शपथ' विवाद के बाद एक प्रेस नोट जारी करते हुए कहा कि देश के सभी मेडिकल कॉलेजों में हिप्पोक्रेटिक शपथ का पालन किया जाता है। डीन द्वारा शपथ को बदलना बेहद निंदनीय है। इसलिए राज्य सरकार तत्काल प्रभाव से डीन डॉक्टर ए रनिथवेल को उनके पद से हटा रही है।
चेन्नई: तमिलनाडु सरकार ने मदुरै मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस प्रथम वर्ष के छात्रों को हिप्पोक्रेटिक शपथ लेने की बजाय चरक शपथ दिलाने वाले डीन डॉक्टर ए रनिथवेल को पद से हटा दिया है।
समाचार पत्र टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक मेडिकल छात्रों द्वारा डीन का विरोध किये जाने के बाद सरकार ने यह फैसला लिया है। जानकारी के मुताबिक एमबीबीएस प्रथम वर्ष के छात्रों को पारंपरिक तौर पर हिप्पोक्रेटिक शपथ ही दिलाई जाती है और जब वो एमबीबीएस की परीक्षा पास कर लेते हैं, जब उन्हें 'महर्षि चरक शपथ' लेने को कहा जाता है।
खबरों के मुताबिक बीते 30 अप्रैल यानी शनिवार को मदुरै मेडिकल कॉलेज में छात्रों को जब चरक शपथ दिलाई गई तो वहां तमिलनाडु के वित्त मंत्री पलानीवेल थियागा राजन भी मौजूद थे, जिनेहोंने भारी गुस्से में कहा कि जब उन्होंने छात्रों को चरक शपथ लेते हुए देखा तो वो चौंक गए।
समाचार वेबसाइट 'द न्यूज मिनट' के मुताबिक तमिलनाडु के वित्त मंत्री ने कहा, "मैंने हमेशा देखा है कि डॉक्टरों को पाठ्यक्रम में प्रवेश के दौरान हिप्पोक्रेटिक शपथ ही दिलाई जाती है और मैं तो राजनेताओं से भी कहता हूं कि उन्हें भी हिप्पोक्रेटिक शपथ लेनी चाहिए।”
शपथ बवाल के बाद तमिलनाडु सरकार ने एक प्रेस नोट जारी करते हुए कहा कि देश के सभी मेडिकल कॉलेजों में हिप्पोक्रेटिक शपथ का पालन किया जाता है। डीन द्वारा शपथ को बदलना बेहद निंदनीय है। इसलिए राज्य सरकार तत्काल प्रभाव से डीन डॉक्टर ए रनिथवेल को उनके पद से हटा रही है।
वहीं तमिलनाडु के चिकित्सा एवं लोक कल्याण मंत्री सुब्रमण्यम ने इस मामले में विभागीय जांच के लिए सूबे के चिकित्सा शिक्षा निदेशक डॉक्टर नारायण बाबू को आदेश दिया है। सरकार ने कहा कि वह सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों के प्रमुखों को सलाह देती है कि वो मेडिकल छात्रों को एडमिशन के बाद हिप्पोक्रेटिक शपथ ही दिलवाएं।
मालूम हो कि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने देश के सभी मेडिकल कॉलेजों को सलाह दी थी कि वो अपने यहां मेडिकल की पढ़ाई के लिए प्रवेश लेने वाले सभी छात्रों को हिप्पोक्रेटिक शपथ की जगह महर्षि चरक शपथ दिलाएं। आयोग के नए दिशानिर्देशों के मुताबिक जब एक छात्र को मेडिकल एजुकेशन में दाखिला मिलता है तो उसे संशोधित महर्षि चरक शपथ दिलाई जानी चाहिए।
वहीं इस मामले में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने संसद में कहा था कि मेडिकल स्टूडेंट्स के लिए 'महर्षि चरक शपथ' ऑप्शनल होगा और इसे किसी भी मेडिकल विद्यार्थि पर थोपा नहीं जाएगा।
चरक शपथ 'चरक संहिता' का एक हिस्सा है। भारत में आयुर्वेद के जन्मदाता माने जाने वाले महर्षि चरक ने संस्कृत में संहिता की रचना की है, जिसके एक छोटे से भाग को चरक शपथ कहा जाता है। वहीं हिप्पोक्रेटिक प्राचीन यूनानी चिकित्सक थे, जिनके नाम पर हिप्पोक्रेटिक शपथ दिलाई जाती है। जिसमें चिकित्सा पेशे से जुड़ी नैतिक जिम्मेदारियों पर बल दिया जाता है और भारत सहित पूरे विश्व में इसकी शपथ दिलाई जाती है।
इससे पहले कर्नाटक में डॉक्टरों के समूह ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के अध्यक्ष डॉक्टर सुरेश चंद्र शर्मा और ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन बोर्ड के प्रमुख डॉक्टर अरुणा वी वाणिकर को चिट्ठी लिखकर अपील की थी कि वेबसाइट पर मूल चरक शपथ को दोबारा लगाया जाए और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग हिप्पोक्रेटिक शपथ की जगह चरक शपथ करने के अपने फैसले पर फिर से विचार करे।
डॉक्टरों की चिट्ठी में लिखा गया था कि चरक शपथ मनुष्यों में दाढ़ी-बाल बढ़ाने, गायों और ब्राह्मणों की पूजा-प्रार्थना करने, राजा विरोधी लोगों का इलाज नहीं करने और समाज में तुच्छ समझे जाने वालों को इलाज से वंचित किये जाने की बात करता है।
जबकि यूनानी हिप्पोक्रेटिक शपथ राजनीतिक पदों या लिंगभेद के बिना अपने रोगियों के लिए इलाज किये जाने की जरूरत पर बल देता है। इसके अलावा डॉक्टरों को रोगियों के साथ उत्तम व्यवहार करने और इलाज के लिए प्रतिबद्ध होने के लिए प्रेरित करता है।