शंकराचार्य की 108 फुट की प्रतिमा बनेगी ओंकारेश्वर की पहचान

By IANS | Published: January 23, 2018 10:01 AM2018-01-23T10:01:29+5:302018-01-23T10:02:48+5:30

पौराणिक कथा के अनुसार युवावस्था में शंकराचार्य यहां अपने गुरु गोविंद भगवद्पद से एक गुफा में मिले, दीक्षित हुए और आध्यात्मिक ऊंचाइयां हासिल की।

tallest adi guru shankaracharya statue in omkareshwar Madhya Pradesh | शंकराचार्य की 108 फुट की प्रतिमा बनेगी ओंकारेश्वर की पहचान

शंकराचार्य की 108 फुट की प्रतिमा बनेगी ओंकारेश्वर की पहचान

देश और दुनिया में नर्मदा नदी के तट पर स्थित ओंकारेश्वर की पहचान बारह ज्योर्तिलिंगों में से एक के तौर पर रही है, लेकिन आने वाले समय में यह स्थान शंकराचार्य की ज्ञान स्थली के तौर पर भी पहचाना जाएगा, क्योंकि यहां आदि शंकराचार्य की 108 फुट की प्रतिमा स्थापित की गई जा रही है। 

इसका शिलान्यास 22 जनवरी को हुआ है। साथ ही यहां वेदांत संस्थान बनाने की योजना है। 

कम लोग जानते हैं कि युवावस्था में शंकराचार्य यहां अपने गुरु गोविंद भगवद्पद से एक गुफा में मिले, दीक्षित हुए और आध्यात्मिक ऊंचाइयां हासिल की। उसी के बाद शंकराचार्य ने देश में चार मठ स्थापित किए तथा अद्वैत वेदांत को देशभर में फैलाया। यहां से मिले गुरुज्ञान ने शंकराचार्य को आदि शंकराचार्य बना दिया।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ओंकारेश्वर में 108 फुट ऊंची धातु की आदि शंकराचार्य की प्रतिमा स्थापित करने के साथ वेदांत संस्थान की स्थापना किए जाने का ऐलान 'नमामि देवी नर्मदे सेवा यात्रा' के दौरान बीते वर्ष फरवरी में किया था। उसी के तहत दिसंबर से चार स्थानों से एकात्म यात्रा निकाली गई। इस यात्रा के दौरान जगह-जगह से धातु का संग्रहण किया गया। इसी धातु से प्रतिमा का निर्माण किया जाना है।

ओंकारेश्वर में यह एक नई शुरुआत होने वाली है। इस कोशिश के चलते आने वाले समय में ओंकारेश्वर को शिव के साथ आदि शंकराचार्य के दीक्षित होने वाले स्थल के तौर पर पहचाना जाने लगेगा। 

सरकार की योजना के मुताबिक, ओंकार महादेव मंदिर के प्राचीन वैभव और वास्तु-कला को देखकर नई रूपरेखा बनेगी। पूरे ओंकार पर्वत को सघन वन से आच्छादित किया जाएगा। आदि शंकराचार्य की गुफा के हिस्से में शंकराचार्य के जीवन और उनके जीवन मूल्यों पर आधारित चित्र उकेरे जाएंगे। 

सरकारी सूत्रों के अनुसार, आदि शंकराचार्य की गुफा के मूल स्तंभ जैसे हैं, वैसे ही रहेंगे और इन पत्थरों को जोड़कर सोने व लोहा से सोमनाथ मंदिर की तर्ज पर निर्माण किया जाएगा। इसके अलावा यहां संतों के मार्ग दर्शन में वेदांत संस्थान की स्थापना की जानी है।

राज्य सरकार की मंशा है कि आदि शंकराचार्य के अद्वैत दर्शन से आमजन वाकिफ हो सकें, इसके लिए दृश्य और साहित्य का सहारा लिया जाएगा। ओंकारेश्वर वह स्थान है, जहां आदि शंकराचार्य ने नर्मदा के तट पर दीक्षा प्राप्त की थी। आमजन ओंकारेश्वर, नर्मदा और आदि शंकराचार्य के महत्व को जान सकें, इसके लिए लाइट एंड साउंड शो कार्यक्रम प्रारंभ किया जाना है। 

सरकार की योजना है कि ओंकारेश्वर में एक संग्रहालय और इंटरप्रिटेशन सेंटर की स्थापना जाए और विष्णुपुरी, ब्रह्मपुरी और ममलेश्वर मंदिरों को जोड़ने वाला आकाश मार्ग स्थापित किया जाए।

फोटो: विकिमीडिया कॉमन्स

Web Title: tallest adi guru shankaracharya statue in omkareshwar Madhya Pradesh

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