सुशील मोदी का आरोप, चुनाव आयोग सहित अन्य संवैधानिक संस्थाओं की गरिमा को गिराना कांग्रेस की आदत रही है
By एस पी सिन्हा | Published: May 18, 2019 08:46 PM2019-05-18T20:46:50+5:302019-05-18T20:46:50+5:30
उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कांग्रेस पर यह भी आरोप लगाया कि वह 10-20 सांसद वाले क्षेत्रीय दल के किसी नेता को प्रधानमंत्री बनाकर देश में अस्थिर सरकार व अराजकता पैदा करना चाहती है.
बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि चुनाव आयोग सहित अन्य संवैधानिक संस्थाओं की गरिमा को गिराना और उसके कामकाज में हस्तक्षेप करना कांग्रेस की आदत रही है. उन्होंने कहा कि 1989 में राष्ट्रपति चुनाव के दौरान मनोनुकूल काम नहीं करने से उत्पन्न मतभेद के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने मुख्य चुनाव आयुक्त पेरी शास्त्री के पर कतरने के लिए तो 1993 में टी एन शेषन से मतभेद के बाद पी वी नरसिंहा राव ने एक सदस्यीय चुनाव आयोग को तीन सदस्यीय बनाया था.
सुशील मोदी ने कहा कि राजीव गांधी द्वारा चुनाव आयोग को त्रिसदस्यीय बनाने के निर्णय को वीपी सिंह की सरकार ने पलट कर फिर से एक सदस्यीय कर दिया था. मगर 1993 में तत्कालीन मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन से विवाद के बाद कांग्रेस की नरसिंहा राव की सरकार ने आयोग के कार्यकलाप में हस्तक्षेप करते हुए उसे फिर से तीन सदस्यों में परिवर्तित कर दिया. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग में किसी मुद्दे पर सर्वानुमति नहीं होने की स्थिति में बहुमत के आधार पर निर्णय लेने की नियमावली कांग्रेस के कार्यकाल में ही बनाई गई थी. अगर वर्तमान चुनाव आयोग में किसी मुद्दे पर सर्वसम्मति नहीं है तो यह आयोग का आंतरिक मामला है और इसमें वर्तमान केंद्र सरकार की कोई भूमिका व हस्तक्षेप नहीं है.
उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कांग्रेस पर यह भी आरोप लगाया कि वह 10-20 सांसद वाले क्षेत्रीय दल के किसी नेता को प्रधानमंत्री बनाकर देश में अस्थिर सरकार व अराजकता पैदा करना चाहती है. कांग्रेस का इतिहास चरण सिंह, चन्द्रशेखर, देवगौड़ा और गुजराल जैसी सरकार को बाहर से समर्थन देकर फिर चार-छह महीने में गिराने, अस्थिरता पैदा करने और देश को मध्यावधि चुनाव में झोंकने का रहा है.
उन्होंने कहा कि देश की जनता अनेक बार कमजोर और कांग्रेस की बैसाखी पर चलने वाली सरकार के अंजाम को भुगत चुकी है. मोदी ने कहा है कि हार तय देख कांग्रेस की मंशा फिर किसी मधुकोड़ा और देवगौड़ा की तलाश करने की है. आखिरी चरण के मतदान के पहले प्रधानमंत्री पद की दावेदारी छोड़कर कांग्रेस 42 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली ममता, 35-38 सीटों पर चुनाव लड रहीं मायावती, अखिलेश तथा चन्द्रबाबू नायडू को अपनी जाल में फंसा कर देश में अस्थिरता पैदा करना चाह रही है. मगर इस बार कांग्रेस का मंसूबा पूरा होने वाला नहीं है.