यह सच है कि 2016 में पहली बार नहीं था भारत का एलओसी पार का हमला
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: May 4, 2019 04:06 AM2019-05-04T04:06:14+5:302019-05-04T04:06:14+5:30
मोदी सरकार में हुई पहली सर्जिकल स्ट्राइक की खास बात बस इतनी ही थी कि भारतीय सेना ने यह पहली बार आन रिकार्ड स्वीकार किया था कि उसने उस एलओसी को पार किया है जिसे उसने करगिल युद्ध में मौका होने के बावजूद पार नहीं किया था।
सुरेश डुग्गर
यह सच है कि वर्ष 2016 में 29 सितम्बर की रात को पाक कब्जे वाले कश्मीर में घुस कर 50 से अधिक आतंकियों को ढेर करने वाला सर्जिकल आप्रेशन एलओसी पर भारतीय सेना द्वारा अंजाम दिया गया हमला कोई पहला नहीं था। इससे पहले भी करगिल युद्ध के बाद कई बार भारतीय सेना ने तब-तब एलओसी को पार किया था जब-जब पाक सेना ने भारतीय जवानों को मारा था या फिर उसके द्वारा इस ओर भेजे गए आतंकियों ने देश में कहर बरपाया था।
मोदी सरकार में हुई पहली सर्जिकल स्ट्राइक की खास बात बस इतनी ही थी कि भारतीय सेना ने यह पहली बार आन रिकार्ड स्वीकार किया था कि उसने उस एलओसी को पार किया है जिसे उसने करगिल युद्ध में मौका होने के बावजूद पार नहीं किया था।
अगर रक्षा सूत्रों की मानें तो सबसे पहले भारतीय सेना ने उस समय एलअेासी को लांघा था जब पाकिस्तान ने करगिल युद्ध में भी मुंह की खाई तो उसने एलओसी पर स्थित उन भारतीय चौकिओं पर बैट हमले आरंभ किए थे जहां दो या तीन जवान ही तैनात होते थे। सूत्रों के मुताबिक, ऐसे कई हमलों में पाक सेना ने आतंकियों के साथ मिल कर कई भारतीय जवानों को नुक्सान पहुंचाया था। और बदले की कार्रवाई जब हुई तो भारतीय सेना को भी एलओसी लांघने पर मजबूर होना पड़ा और पाक सेना को बराबर की चोट पहुंचाने में कामयाबी पाई गई।
इसके बाद जब पाक परस्त आतंकियों ने भारतीय संसद पर हमला बोला था। यह हमला 13 दिसम्बर 2001 को हुआ तो उसके तुरंत बाद सीमाओं पर फौज लगा दी गई थी। पाक सेना ने कई सेक्टरों में मोर्चा खोला और बैट हमले आरंभ कर दिए थे। ऐसे में दुश्मन को सबक सिखाने की खातिर एलओसी को लांघने की अनुमति स्थानीय स्तर पर दी गई।
अगर सूत्रों पर विश्वास करें तो सबसे ज्यादा नुक्सान भारतीय सेना ने, कालू चक नरंसहार, नायक हेमराज सिंह के सिर काट कर ले जाने की घटना और वर्ष 2013 के अगस्त महीने में पाक सेना द्वारा सीमा चौकी को कब्जाने के प्रयास में पांच सैनिकों की हत्या कर दी गई थी, पाक सेना को पहुंचाया था और भारतीय जवानों ने कई बार एलओसी को लांघ कर उस पार हमले बोले थे। जानकारी के लिए एलओसी जमीन पर खींची गई कोई रेखा नहीं है बल्कि एक अदृश्य रेखा है जिसको लांघना कोई मुश्किल भी नहीं है दोनों पक्षों के लिए।
वर्ष 2002 के मई महीने की 14 तारीख को कालू चक में पाक आतंकियों ने जो कहर बरपाया था उसमें 34 लोगों की मौत हो गई। मरने वालों में सैनिकों के परिवार के सदस्य ही थे जिनमें औरतें और बच्चे भी शामिल थे। इसके बाद वर्ष 2013 में दो घटनाएं हुई थीं। एक 6 अगस्त को और दूसरी 8 जनवरी को। एक में पाक सेना ने पांच जवानों को मार डाला था और दूसरी में हेमराज का सिर काट कर पाक सैनिक अपने साथ ले गए थे।
ऐसे हमलों का बदला ले लिया गया था। सेना ने तब दावा किया था कि पाक सेना को माकूल जवाब दे दिया गया है। हालांकि तब भी यह नहीं माना गया था कि बदला लेने के लिए एलओसी को लांघा गया था। पर 29 सितम्बर 2016 की घटना पहली ऐसी घटना थी जिसमें भारतीय सेना ने इसे आधिकारिक तौर पर माना था कि उसने पाक सेना तथा उसके आतंकियों को उनके ही घर में घुस कर मारने की खातिर उसके जवानों ने एलओसी को लांघा था।
पहली बार एलओसी को लांघ कर पाकिस्तान के घर पर हमला बोलने की घटना को स्वीकार करने के बाद भारतीय सेना पर हमलावर और आक्रामक सेना का ठप्पा जरूर लगा है लेकिन इसने अगर भारतीय जवानों के मनोबल को बढ़ा दिया है तो पाकिस्तानी सेना के पंाव तले से जमीन खिसका दी है जो अभी तक भारतीय पक्ष को सिर्फ रक्षात्मक सेना के रूप में लेती रही थी।