शिवसेना के दबाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भरोसेमंद सुरेश प्रभु का कटा कैबिनेट से टिकट!
By संतोष ठाकुर | Published: May 31, 2019 08:26 AM2019-05-31T08:26:05+5:302019-05-31T10:48:14+5:30
कैबिनेट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भरोसेमंद सुरेश प्रभु का नाम नहीं होना सभी को आश्चर्यचकित कर रहा है. पिछली कैबिनेट में शिवसेना के विरोध के बाद भी उन्हें शामिल किया गया था. उन्हें सरकार के परफॉर्मिंग— कौशलयुक्त मंत्री के रूप में माना जाता रहा है. लेकिन, इस बार शिवसेना के दबाव के आगे भाजपा झुक गई लगती है. शिवसेना की ओर से भाजपा पर दबाव था कि प्रभु को कैबिनेट में नहीं लिया जाए.
सूत्रों के मुताबिक भाजपा इस बार भी प्रभु को कैबिनेट में शामिल करना चाहती थी. उन्हें रेल, नागरिक उड्डयन या फिर ऐसे ही किसी महत्वपूर्ण मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपकर उनके कौशल का लाभ लेने की योजना भाजपा की थी. लेकिन जब शिवसेना को यह पता चला तो उसने इसका विरोध शुरू कर दिया.
शिवसेना के साथ दीर्घकालिक शांति बनाए रखने के लिए अंत में भाजपा ने प्रभु को कैबिनेट से अलग रखने का निर्णय किया. सहयोगी दलों के साथ तनातनी बनी समस्या भाजपा का अपने सहयोगी दलों के साथ कैबिनेट को लेकर समन्वय पूरी तरह से सफल होता नहीं दिख रहा है.
इसका संकेत है कि न केवल जदयू ने कैबिनेट से दूरी बनाए रखी बल्कि यूपी से अपना दल भी सरकार में नहीं है. इसी तरह से दक्षिण से भी कोई बड़ा सहयोगी दल उसकी सरकार में नहीं आया है.