चुनावी बॉन्ड पर रोक लगाने की मांग, एनजीओ ने दायर की है याचिका, सुप्रीम कोर्ट जनवरी में करेगा विचार
By विनीत कुमार | Published: December 4, 2019 12:23 PM2019-12-04T12:23:31+5:302019-12-04T12:40:02+5:30
सुप्रीम कोर्ट में इस संबंध में याचिका एन एनजीओ की ओर से दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि इससे राजनीतिक दलों को असीमित कॉरपोरेट दान के दरवाजे खुल गये हैं।
चुनावी बॉन्ड योजना पर रोक लगाने की मांग करने वाली एक गैर सरकारी संगठन की याचिका पर सुनवाई करने के बारे में सुप्रीम कोर्ट जनवरी में विचार करेगा। ये याचिका पिछले महीने के आखिरी हफ्ते में दायर की गई थी। याचिका में कहा गया है कि इससे राजनीतिक दलों को असीमित कॉरपोरेट दान के दरवाजे खुल गये हैं। इसके अलावा भारतीय के साथ ही विदेशी कंपनियों द्वारा अज्ञात वित्तीय दान दिए जा रहे हैं, जिसका देश के लोकतंत्र पर गंभीर परिणाम पड़ सकता है।
यह योजना राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव लड़ने के लिए चंदा एकत्रित करने हेतु लाई गई थी। चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े और जस्टिस बी आर गवई और सूर्य कांत की पीठ को वकील प्रशांत भूषण ने बताया कि इस योजना के तहत करीब 6,000 करोड़ रुपये एकत्रित किए गए, जिस पर भारतीय रिजर्व बैंक और निर्वाचन आयोग जैसी संस्थाओं ने आपत्ति जताई थी।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की ओर से पेश हुए वकील भूषण ने कहा कि इस योजना पर रोक लगाए जाने की जरूरत है क्योंकि यह घूस लेने, धनशोधन और काले धन के समान बन गई है। उन्होंने कहा, ‘हमने इस योजना पर रोक लगाने के लिए अर्जी दायर की है। इस योजना का सत्तारूढ़ पार्टी दुरुपयोग कर रही है।’
उन्होंने कहा कि आरबीआई और चुनाव आयोग ने पहले ही इस पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। पीठ ने कहा, ‘हम जनवरी में इस पर विचार करेंगे।’
सरकार ने दो जनवरी 2018 को चुनावी बॉन्ड योजना को अधिसूचित किया था। इसके प्रावधानों के अनुसार, चुनावी बॉन्ड कोई भी व्यक्ति खरीद सकता है जो भारत का नागरिक है या जिसका भारत में कारोबार है।
SC to consider hearing in January plea of NGO for stay on electoral bond scheme
— Press Trust of India (@PTI_News) December 4, 2019
बता दें कि संसद में भी चुनावी बॉन्ड को लेकर हंगामा हो चुका है। कांग्रेस ने सरकार को संसद के दोनों सदनों में चुनावी बॉन्ड के मुद्दे पर विस्तृत चर्चा करानी चाहिए और इस पूरी योजना की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) बननी चाहिए। हालांकि, बीजेपी की ओर से कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा गया कि कुछ दलों में नेता अमीर होते गए जबकि बीजेपी ने केवल सही उद्देश्य के लिए राजनीतिक चंदे का इस्तेमाल किया।
(भाषा इनपुट के साथ)