Stray Dog ​​Case: आवारा कुत्तों के मामले में सुप्रीम कोर्ट सख्त, कई राज्यों को लगाई फटकार

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: October 27, 2025 14:39 IST2025-10-27T14:39:25+5:302025-10-27T14:39:32+5:30

Stray Dog ​​Case: गौरतलब है कि 22 अगस्त के आदेश में उच्चतम न्यायालय ने अपने 11 अगस्त के उस निर्देश में संशोधन किया था

Supreme Court reprimands states for not filing affidavits | Stray Dog ​​Case: आवारा कुत्तों के मामले में सुप्रीम कोर्ट सख्त, कई राज्यों को लगाई फटकार

Stray Dog ​​Case: आवारा कुत्तों के मामले में सुप्रीम कोर्ट सख्त, कई राज्यों को लगाई फटकार

Stray Dog ​​Case: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आवारा कुत्तों के मामले में अनुपालन हलफनामा दाखिल नहीं करने वाले राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को फटकार लगायी तथा कहा कि लगातार ऐसी घटनाएं हो रही हैं और देश की छवि विदेशों में ‘‘खराब’’ दिखायी जा रही है। न्यायालय ने पश्चिम बंगाल और तेलंगाना को छोड़कर सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को तीन नवंबर को अदालत में उपस्थित होकर यह बताने का निर्देश दिया कि उसके 22 अगस्त के आदेश के बावजूद अनुपालन हलफनामा क्यों नहीं दाखिल किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को छोड़कर अन्य किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश ने अनुपालन शपथपत्र दाखिल नहीं किया है।

न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति संदीप मेहता और न्यायमूर्ति एन वी अंजारिया की तीन सदस्यीय विशेष पीठ ने कहा, ‘‘आज 27 अक्टूबर है। कोई जवाब नहीं, कुछ भी नहीं। और लगातार घटनाएं हो रही हैं। देश की छवि विदेशों में खराब दिखायी जा रही है।’’ न्यायालय ने कहा कि 22 अगस्त के आदेश का अनुसरण करते हुए केवल तीन अनुपालन हलफनामे दायर किए गए हैं। पीठ ने कहा, ‘‘सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी किए जा चुके हैं। चूंकि उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया है इसलिए सभी राज्यों के मुख्य सचिवों (कुछ को छोड़कर) को अगले सोमवार सुबह साढ़े 10 बजे अदालत में उपस्थित रहना होगा और यह बताना होगा कि अनुपालन शपथपत्र क्यों दाखिल नहीं किए गए।’’

पीठ ने यह भी उल्लेख किया कि जिन राज्यों ने शपथपत्र दाखिल नहीं किए, उनकी ओर से सुनवाई के दौरान कोई प्रतिनिधित्व नहीं था। पीठ आवारा कुत्तों से संबंधित एक स्वतः संज्ञान मामले की सुनवाई कर रही थी। उच्चतम न्यायालय ने 22 अगस्त को आवारा कुत्तों के मामले का दायरा दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) से आगे बढ़ाते हुए निर्देश दिया था कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इस मामले में पक्षकार बनाया जाए।

न्यायालय ने नगर निगमों को यह निर्देश दिया था कि वे अपने अनुपालन शपथपत्र में संसाधनों का पूरा विवरण दें जैसे कि पशु चिकित्सक, कुत्ते पकड़ने वाले कर्मचारी, विशेष वाहन और पिंजरे ताकि पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) नियमों के पालन की स्थिति स्पष्ट हो सके। पीठ ने कहा कि एबीसी नियमों का अनुप्रयोग पूरे भारत में समान रूप से लागू होता है इसलिए सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश इसमें शामिल किए गए हैं। सोमवार को सुनवाई के दौरान जब एक वकील ने कुछ दिशा-निर्देशों का उल्लेख किया, तो पीठ ने कहा, ‘‘अधिकारियों को आने दीजिए, वे खुद बताएंगे।’’

न्यायालय ने यह भी कहा कि नोटिस 22 अगस्त को जारी किए गए थे और इसकी खबर सभी अखबारों व सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से प्रकाशित हुई थी। पीठ ने कहा, ‘‘क्या आपके अधिकारी अखबार नहीं पढ़ते? क्या वे सोशल मीडिया नहीं देखते? क्या उन्हें केवल औपचारिक नोटिस की जरूरत है? आदेश में (22 अगस्त को) सब कुछ स्पष्ट लिखा गया था। सभी को पता था कि नोटिस जारी हो चुके हैं, फिर बहाने क्यों बना रहे हैं?’’

न्यायालय ने कहा कि जब अधिकारियों को जानकारी थी, तो उन्हें खुद आगे आना चाहिए था क्योंकि यह जनहित का मामला है। साथ ही, उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली सरकार से भी पूछा कि उसने अब तक अपना अनुपालन शपथपत्र क्यों दाखिल नहीं किया। पीठ ने कहा कि दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव तीन नवंबर को अदालत में उपस्थित रहें और बताएं कि अब तक शपथपत्र क्यों दाखिल नहीं किया गया, जबकि आदेश दिल्ली में और उनकी मौजूदगी में ही पारित हुआ था।

दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि वह अगली सुनवाई से पहले शपथपत्र दाखिल कर देंगे, जिस पर पीठ ने कहा, ‘‘मुख्य सचिव को अदालत में उपस्थित रहना ही होगा। अगर वे उस दिन दाखिल करते हैं, तो ठीक है अन्यथा जुर्माना या कठोर कार्रवाई की जा सकती है।’’ जब एक वकील ने आवारा कुत्तों के प्रति क्रूरता का जिक्र किया, तो पीठ ने पूछा, ‘‘मानवों के प्रति हो रही क्रूरता का क्या?’’

न्यायालय ने यह भी कहा कि वह इस मामले की धीरे-धीरे और व्यवस्थित रूप से निगरानी कर रहा है ताकि अंततः उद्देश्य प्राप्त किया जा सके। पीठ ने चेतावनी दी कि यदि मुख्य सचिव तीन नवंबर को उपस्थित नहीं हुए, तो ‘‘हम अदालत की कार्यवाही ऑडिटोरियम में करेंगे।’’

गौरतलब है कि 22 अगस्त के आदेश में उच्चतम न्यायालय ने अपने 11 अगस्त के उस निर्देश में संशोधन किया था, जिसमें टीकाकरण किए गए आवारा कुत्तों को पिंजरे से बाहर छोड़ने पर रोक लगाई गई थी। अदालत ने इसे ‘‘बहुत कठोर’’ बताते हुए कहा था कि नसबंदी और कृमि-मुक्त करने के बाद कुत्तों को छोड़ा जा सकता है। 

Web Title: Supreme Court reprimands states for not filing affidavits

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