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यौन उत्पीड़न केस में तरुण तेजपाल की याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज, 6 महीने में ट्रॉयल पूरा करने का आदेश

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 19, 2019 10:56 IST

तेजपाल ने कथित तौर पर साल 2013 में गोवा के एक पांच सितारा होटल की लिफ्ट में पूर्व महिला सहकर्मी पर यौन हमला किया था।

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ठळक मुद्देसुप्रीम कोर्ट ने छह महीने के अंदर ट्रॉयल पूरा करने का आदेश दिया है। तहलका पत्रिका के पूर्व संस्थापक तरुण तेजपाल की याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज हो गई है।

तहलका पत्रिका के पूर्व संस्थापक तरुण तेजपाल की याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज हो गई है। तेजपाल ने अपने खिलाफ दर्ज यौन हमले के एक मामले में आरोपों को खारिज करने का अनुरोध किया था।

सुप्रीम कोर्ट ने छह महीने के अंदर ट्रॉयल पूरा करने का आदेश दिया है। उच्चतम न्यायालय ने ‘तहलका’ पत्रिका के संस्थापक तरुण तेजपाल की वह याचिका सोमवार को खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ कथित यौन उत्पीड़न मामले में तय आरोपों को रद्द करने की मांग की थी।

तेजपाल पर उनकी एक पूर्व महिला सहकर्मी ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा के नेतृत्व वाली एक पीठ ने गोवा की निचली अदालत को तेजपाल के खिलाफ दर्ज मामले में सुनवाई प्राथमिकता के आधार पर छह महीने के भीतर पूरी करने का आदेश भी दिया।

तेजपाल पर आरोप है कि उन्होंने 2013 में गोवा के एक पांच सितारा होटल के एलिवेटर में अंदर पूर्व महिला सहकर्मी का यौन उत्पीड़न किया था। ‘तहलका’ पत्रिका के संस्थापक ने इन सभी आरोपों से इनकार किया है। अदालत द्वारा अग्रिम जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद तेजपाल को अपराध शाखा ने 30 नवम्बर 2013 को गिरफ्तार किया था। वह मई 2014 से जमानत पर बाहर हैं। न्यायालय ने छह अगस्त को तेजपाल की याचिका पर आदेश सुरक्षित रखा था।

गोवा पुलिस ने दावा किया था कि उनके पास घटना के समय के कुछ ‘व्हाट्सऐप’ संदेश और ‘ईमेल’ हैं, जो तेजपाल के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त हैं। तरुण तेजपाल के खिलाफ तय आरोपों को निरस्त करने के लिये दायर याचिका का विरोध करते हुए पुलिस ने कहा था कि उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिये पर्याप्त सामग्री है। बंबई उच्च न्यायालय ने भी 20 दिसम्बर 2017 को तेजपाल की उसके खिलाफ तय आरोप खारिज करने की याचिका रद्द कर दी थी। इसके बाद ही उन्होंने शीर्ष अदालत का रुख किया था।

तेजपाल की एक पूर्व सहकर्मी ने यह मामला दर्ज कराया था। गोवा पुलिस ने पूर्व में दावा किया था कि उस समय के वाट्सएप संदेश और ई-मेल यह दर्शाते हैं कि कथित यौन हमला मामले में तेजपाल को मुकदमे का सामना करना चाहिए। 

अपने खिलाफ तय आरोपों को खारिज करने से जुड़ी तेजपाल की याचिका का विरोध करते हुए पुलिस ने पीठ को बताया था कि “पर्याप्त सामग्री” है जो दर्शाती है कि मामला चलना चाहिए। 

तेजपाल के वकील ने आरोपों को खारिज करते हुए पीठ को बताया कि कुछ वाट्सएप संदेश छिपा लिये गए और उस होटल की सीसीटीवी तस्वीरों का हवाला दिया जहां कथित घटना हुई थी। 

तेजपाल ने कथित तौर पर साल 2013 में गोवा के एक पांच सितारा होटल की लिफ्ट में पूर्व महिला सहकर्मी पर यौन हमला किया था। उन्होंने खुद पर लगाए गए सभी आरोपों को खारिज किया था। 

अदालत द्वारा अग्रिम जमानत याचिका खारिज किये जाने के बाद क्राइम ब्रांच ने 30 नवंबर 2013 को उन्हें गिरफ्तार किया था। वह मई 2014 से जमानत पर हैं। तेजपाल ने बंबई उच्च न्यायालय द्वारा 20 दिसंबर 2017 को आरोप खारिज करने की उनकी याचिका को नामंजूर करने के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया था। 

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