मोदी सरकार को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, नेताओं का क्रिमिनल रिकॉर्ड मांगा, कागज का टुकड़ा थमाया आपने
By पल्लवी कुमारी | Published: August 30, 2018 04:58 PM2018-08-30T16:58:22+5:302018-08-30T16:58:22+5:30
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार पूरी तरह से तैयार नही है। सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए 5 सितंबर को अगली सुनवाई की तारीख दी है।
नई दिल्ली, 30 अगस्त: सुप्रीम कोर्ट ने नरेन्द्र मोदी सरकार से पिछले साल के आदेश के बाद राजनीतिक व्यक्तियों से संबंधित मुकदमों की सुनवाई के लिये गठित की गयी विशेष अदालतों का ब्यौरा मांगा था। इस मामले पर केंद्र सरकार के हलफनामे पर सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई है।
मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि आप नवंबर के आदेश को देखिए, क्या हमने आपसे किस बात का रिकॉर्ड मांगा था। आपने जो रिपोर्ट सौंपी है, उसमें वह जानकारी नहीं मिली जो 1 नवंबर 2017 से अभी तक हमनें मांगी थी। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कहा कि जो हमें दिया गया है वो कागज का एक टुकड़े इतना ही है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि आखिर 10 हाई कोर्ट ने जवाब क्यों दिया? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा 12 मार्च का हलफनामा क्या कहता है? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार पूरी तरह से तैयार नही है। सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए 5 सितंबर को अगली सुनवाई की तारीख दी है।
बता दें कि पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह जानकारी मुहैया कराने का केन्द्र को निर्देश दिया था कि ये विशेष अदालतें सत्र अदालत हैं या फिर मजिस्ट्रेट की अदालत है? पीठ ने इनके अधिकार क्षेत्र का विवरण भी मांगा था।
पीठ ने सरकार को यह बताने का भी निर्देश दिया था कि ऐसे प्रत्येक विशेष अदालत में कितने मामले लंबित हैं और इनमे से मजिस्ट्रेट और सत्र अदालत में मुकदमे लायक मामले कौन कौन से हैं। पीठ यह भी जानना चाहती है कि क्या सरकार की मंशा अभी तक स्थापित की जा चुकी अदालतों से इतर भी अतिरिक्त विशेष अदालतें गठित करने की है।
(भाषा इनपुट)