सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर हिंसा पर कहा, "हम कानून-व्यवस्था अपने हाथ में नहीं ले सकते, राज्य सरकार स्थिति पर ध्यान दे"
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: July 10, 2023 02:51 PM2023-07-10T14:51:06+5:302023-07-10T14:57:07+5:30
सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर में बीते 3 मई से चल रही हिंसा के संबंध में सोमवार को कहा कि वह राज्य के कानून-व्यवस्था को अपने नियंत्रण में नहीं ले सकता है। राज्य की निर्वाचित सरकार को इसका ध्यान रखना चाहिए।
नयी दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर में बीते 3 मई से चल रही हिंसा के संबंध में सोमवार को कहा कि वह राज्य के कानून-व्यवस्था को अपने नियंत्रण में नहीं ले सकता और न ही अपने समक्ष चल रही कार्यवाही से हिंसा प्रभावित मणिपुर में स्थिति और बिगड़ने देगा। मणिपुर समस्या से संबंधित एक मामले को उठाते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने विभिन्न पार्टियों से इस समस्या के ठोस और सकारात्मक सुझाव की मांग की है।
समाचार वेबसाइट डेक्कन हेराल्ड के मुताबिक मणिपुर के विषय में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा, "हम नहीं चाहते कि इस कार्यवाही या अदालत के हस्तक्षेप से स्थिति खराब हो या हिंसा को बढ़ावा मिले। हम मणिपुर में खराब हुए कानून व्यवस्था को अपने नियंत्रण में नहीं ले सकते हैं। निर्वाचित सरकार को हर चीज का ध्यान रखना चाहिए।"
देश की शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी तब की, जब मणिपुर ट्राइबल फोरम और अन्य की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंसाल्वेस ने राज्य में कुकी की हत्याओं का मुद्दा कोर्ट के समक्ष उठाया।
वकील कॉलिन गोंसाल्वेस ने कोर्ट के समक्ष कहा, "मणिपुर में कुकी समुदाय के खिलाफ हिंसा राज्य प्रायोजित है।"
इसके जवाब में चीफ जस्टिस की बेंच ने कहा, "यह विषय बेहद गंभीर है और हमें इसे पक्षपातपूर्ण तरीके से नहीं देखना चाहिए। हम इस समले पर किसी ठोस सुझावों के उपर विचार करने के लिए तैयार हैं।"
वहीं मणिपुर सरकार की ओर से कोर्ट में पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने चीफ जस्टिस के सामने राज्य के ताजा हालात के विषय में एक रिपोर्ट पेश की, जिसके बाद अदालत ने वकील कॉलिन गोंसाल्वेस से कहा कि वो कुछ ठोस सुझाव दें ताकि अदालत इस संबंध में किसी निर्णायक स्थिति में पहुंच सके।
पीठ ने वकील कॉलिन गोंसाल्वेस से कहा, ''आप भी मौजूदा स्थिति के संबंध में पेश की गई रिपोर्ट पर नजर डालें और कुछ ठोस सकारात्मक सुझाव के साथ हमारे पास वापस आएं।''
जिसके बाद वकील गोंसाल्वेस ने कहा कि मणिपुर में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत अधिसूचित सशस्त्र समूहों द्वारा हिंसा में वृद्धि हुई है और राज्य द्वारा उनका इस्तेमाल आदिवासियों के खिलाफ किया जा रहा है।
पीठ ने कहा, "यह वह मंच नहीं है, जहां हम ऐसी बाते करते हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के प्रति सभी को सचेत रहना चाहिए। हम कानून और व्यवस्था नहीं चला सकते, लेकिन चुनी हुई सरकार तो ऐसा कर सकती है।"
इसके बाद चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने वकील कॉलिन गोंसाल्वेस और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वह इस मामले पर 11 जुलाई यानी मंगलवार को सुनवाई करेंगे।
इसके साथ ही कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वो मंगलवार को बताएं कि सरकार ने पुलिस स्टेशनों से बड़ी संख्या में छीने गये हथियारों के संबंध में क्या कार्रवाई की है।