वरिष्ठ वकील को अवमानना की चेतावनी पर विवाद, सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा ने मांगी माफी, जानें क्या है पूरा मामला
By भाषा | Published: December 5, 2019 12:08 PM2019-12-05T12:08:56+5:302019-12-05T12:08:56+5:30
जस्टिस मिश्रा ने एक सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील से कहा था कि वह दलीलों को दोहरायें नहीं। जस्टिस मिश्रा द्वारा वरिष्ठ वकील शंकरनारायणन को अवमानना की धमकी दिये जाने पर वह न्यायालय कक्ष से बाहर निकल गये थे।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा की ओर से एक बहस के दौरान वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायणन को अवमानना की चेतावनी दिए जाने के मामले के बाद वकीलों ने जस्टिस से वकीलों से पेश आते वक्त संयम बरतने की अपील की। सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, मुकुल रोहतगी, अभिषेक मनु सिंघवी और अन्य ने जस्टिस मिश्रा से कहा कि बार और बेंच दोनों को अदालत की मर्यादा बनाए रखनी होती है।
इस पर जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि वे बार से जुड़ा रहा हूं और ये कहना चाहता हैं कि बार पीठ की जननी है। जस्टिस मिश्रा ने साथ ही कहा, 'मैंने न्यायाधीश के तौर पर अपने पूरे करियर में किसी भी वकील के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई करने की पेशकश नहीं की। पीठ द्वारा कही गई किसी बात से किसी को दुख पहुंचा है तो मैं माफी मांगता हूं।'
जस्टिस मिश्रा ने साथ ही कहा, 'अहंकार इस महान संस्था को नष्ट कर रहा है और बार का कर्तव्य है कि वह इसकी रक्षा करें। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट ऑन रिकार्ड एसोसिएशन (एससीएओआरए) ने न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा से आग्रह किया कि वकीलों के साथ बातचीत में थोड़ा और संयम बरतें।
जस्टिस ने एक सुनवाई के दौरान शंकरनारायणन से कहा था कि वह दलीलों को दोहरायें नहीं। जस्टिस मिश्रा द्वारा वरिष्ठ वकील शंकरनारायणन को अवमानना की धमकी दिये जाने पर वह न्यायालय कक्ष से बाहर निकल गये थे। सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट ऑन रिकार्ड एसोसिएशन ने इस घटना का संज्ञान लिया और एक प्रस्ताव पारित किया। प्रस्ताव में कहा गया है कि न्यायालय की गरिमा और शिष्टाचार बनाये रखना वकीलों और न्यायाधीशों का कर्तव्य है।