मुरादाबाद में हुए नमाज विवाद पर ओवैसी का आया बयान, बोले- "सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कहीं पर भी पढ़ी जा सकती है नमाज.."

By रुस्तम राणा | Published: August 29, 2022 04:17 PM2022-08-29T16:17:55+5:302022-08-29T16:17:55+5:30

मुरादाबाद के थाना छजलैट के गांव दुल्हेपुर में बिना मस्जिद-मदरसे के एक घर में सामूहिक नमाज पढ़ी गई, जिसके बाद हिंदू पक्ष ने विरोध जताया और फिर मामला पुलिस में जा पहुंचा। 

Supreme Court has said that 'namaz' can be offered anywhere says AIMIM MP Asaduddin Owaisi | मुरादाबाद में हुए नमाज विवाद पर ओवैसी का आया बयान, बोले- "सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कहीं पर भी पढ़ी जा सकती है नमाज.."

मुरादाबाद में हुए नमाज विवाद पर ओवैसी का आया बयान, बोले- "सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कहीं पर भी पढ़ी जा सकती है नमाज.."

Highlightsमुरादाबाद के थाना छजलैट के गांव दुल्हेपुर में बिना मस्जिद-मदरसे के एक घर में सामूहिक नमाज पढ़ी गईजिसके बाद हिंदू पक्ष ने विरोध जताया और फिर मामला पुलिस में जा पहुंचा, 26 के खिलाफ मामला दर्जमुस्लिम पक्ष की दलील है कि वे साल 1980 से वहां घर पर सामूहिक रूप से नमाज पढ़ रहे हैं

मुरादाबाद: उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में एक घर में सामूहिक रूप से नमा पढ़ने पर 26 लोगों पर मुकदमा दर्ज होने के बाद इसे लेकर राजनीति शुरू हो गई है। इस विवाद में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी का बयान आया है, जिसमें एआईएमआईएम सासंद ने देश की शीर्ष अदालत के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि नमाज कहीं भी पढ़ी जा सकती है। ऐसे में घर पर नमाज पढ़ने को लेकर विरोध क्यों है? यह अन्याय है।   

दरअसल, मामला ये है कि मुरादाबाद के थाना छजलैट के गांव दुल्हेपुर में बिना मस्जिद-मदरसे के एक घर में सामूहिक नमाज पढ़ी गई, जिसके बाद हिंदू पक्ष ने विरोध जताया और फिर मामला पुलिस में जा पहुंचा। 


 
मुरादाबाद के एसपी एसके मीणा ने मामले में जानकारी देते हुए कहा कि 24 अगस्त को छजलैट थाने की सीमा के तहत नमाज अदा करने के लिए भारी संख्या में लोग जमा हुए। वहां कोई मस्जिद नहीं थी, सिर्फ 2 घर थे। शिकायत मिलने के बाद दोनों घरों के मालिकों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है। दोनों फरार हैं। पुलिस की जांच जारी है।  

उधर, सोशल मीडिया पर इससे जुड़ा एक वीडियो भी वायरल हो रहा है, जिसमें लोग घर पर सामूहिक रूप से नमाज अदा कर रहे हैं। मुस्लिम लोगों ने वीडियो को स्वीकार किया है लेकिन वीडियो को 3 जून की नमाज का बताया जा रहा है। 

गांव में रहने वाले हिन्दू पक्ष के लोगों का कहना है कि गांव में कोई मस्जिद या मदरसा नहीं है और न ही गांव में कोई मंदिर है हम लोग एक किलोमीटर दूर दूसरे गांव में पूजा करने जाते हैं। उनका विरोध है कि मुस्लिम लोग इकट्ठा होकर नई परंपरा के तहत घरों में सामूहिक नमाज पढ़ रहे हैं जो सही नहीं है। 
 
उधर, मुस्लिम पक्ष की दलील है कि वे साल 1980 से वहां घर पर सामूहिक रूप से नमाज पढ़ रहे हैं। लेकिन अब 3 जून 2022 से नमाज़ पर एतराज होने के बाद से हम सामूहिक नमाज़ नही पढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि जो 24 तारीख को नमाज की बात पुलिस से कही गई है वो गलत है।

Web Title: Supreme Court has said that 'namaz' can be offered anywhere says AIMIM MP Asaduddin Owaisi

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे