उच्चतम न्यायालय ने अनाथ बच्चों की पहचान, उनके पुनर्वास के लिए तत्काल कदम उठाने के निर्देश दिये
By भाषा | Updated: December 13, 2021 21:19 IST2021-12-13T21:19:16+5:302021-12-13T21:19:16+5:30

उच्चतम न्यायालय ने अनाथ बच्चों की पहचान, उनके पुनर्वास के लिए तत्काल कदम उठाने के निर्देश दिये
नयी दिल्ली, 13 दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कोविड महामारी के कारण अपने माता, पिता या दोनों को खोने वाले बच्चों की पहचान करने की प्रक्रिया की गति को बेहद धीमा करार दिया और राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों को ऐसे बच्चों की पहचान और पुनर्वास के लिए तत्काल कदम उठाने के निर्देश दिये। साथ ही कहा कि इसके लिए उसके निर्देशों का इंतजार नहीं किया जाए।
ऐसे बच्चों के मामले का स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी. आर. गवई की पीठ ने कहा कि देश में ''लाखों बच्चे सड़क पर पहुंचने की कगार'' पर हो सकते हैं।
शीर्ष अदालत ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के हलफनामे का संज्ञान लिया, जिसने ऐसे बच्चों की पहचान और पुनर्वास जैसे मुद्दे पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ बैठकें की थीं।
पीठ ने अपने आदेश में कहा, ''ऐसे बच्चों के पुनर्वास की योजना के संबंध में राज्य सरकारों द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों को रिकॉर्ड में रखा गया है। इस तरह के जिन बच्चों की पहचान की गई है, उनकी संख्या को देखते हुए ऐसा लगता है कि पहचान की प्रक्रिया धीमी गति से चल रही है।''
पीठ ने कहा कि जब यह मामला 15 नवंबर को एनजीओ ''सेव द चिल्ड्रन'' द्वारा संज्ञान में लाया गया था, तब बताया गया था कि उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और दिल्ली के दस जिलों में ऐसे दो लाख बच्चे थे।
अदालत ने कहा, ''देश के बाकी हिस्सों में लाखों बच्चे सड़क पर पहुंचने की कगार पर हो सकते हैं, जिन्हें बचाने और पुनर्वास की जरूरत है।’’
पीठ ने राज्य सरकारों/केंद्रशासित प्रदेशों को बिना किसी देरी के ऐसे बच्चों की पहचान करने के लिए तत्काल कार्रवाई करने का निर्देश देते हुए कहा कि आवश्यक जानकारी एनसीपीसीआर के पोर्टल (बाल स्वराज) पर अपलोड की जाए।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार/ केंद्र शासित प्रदेशों के संबंधित अधिकारियों को एनसीपीसीआर या इस अदालत से किसी और निर्देश की प्रतीक्षा करने की आवश्यकता नहीं है।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।