सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण को रद्द किया, कहा- 50 प्रतिशत की सीमा लांघना समानता के खिलाफ

By विनीत कुमार | Published: May 5, 2021 10:53 AM2021-05-05T10:53:47+5:302021-05-05T11:47:25+5:30

Maratha Reservation: सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए मराठा आरक्षण को असंवैधानिक करार दिया है।

Supreme Court cancels Maratha reservation quota Maharashtra, says it cant exceed 50 percent | सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण को रद्द किया, कहा- 50 प्रतिशत की सीमा लांघना समानता के खिलाफ

सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण को रद्द किया (फाइल फोटो)

Highlightsसुप्रीम कोर्ट ने 26 मई को मामले पर सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया थासुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि आरक्षण की सीमा को 50 फीसदी से ज्यादा नहीं बढ़ाया जा सकता हैसुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने मराठा आरक्षण मामले पर सुनाया अपना फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार की ओर से दिए गए मराठा आरक्षण को रद्द कर दिया है। पांच जजों की पीठ ने इस मामले पर फैसला सुनाते हुए बुधवार को कहा कि आरक्षण की सीमा को 50 फीसदी से ज्यादा नहीं बढ़ाया जा सकता है। 

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि 50 प्रतिशत आरक्षण को सीमा पार करने के लिए कोई वैध आधार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में ये भी साफ किया कि मराठा समुदाय के लोगों को आरक्षित वर्ग में लाने के लिए शैक्षणिक और सामाजिक तौर पर पिछड़ा वर्ग घोषित नहीं किया जा सकता है।

मराठा आरक्षण कानून को 2018 में तब राज्य में बीजेपी सरकार की ओर से लाया गया था। इसके बाद इसके खिलाफ कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी। इस पूरे मामले पर जस्टिस अशोक भूषण, एल नागेश्वर राव, एस अब्दुल नजीर, हेमंत गुप्ता और एस रविंद्र भट्ट की पांच जजों की सविधान पीठ ने सुनवाई की।

कोर्ट ने अपने फैसले में ये भी कहा कि नए कोटा के तहत जितने भी पोस्ट ग्रेजुए मेडिकल कोर्स में नामांकन या नियुक्तियां हुई हैं, उस पर इस फैसला का असर नहीं होगा। कोर्ट ने साथ ही कहा कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से 1992 में आरक्षण पर 50 प्रतिशत सीमा निर्धारित किए जाने के फैसले पर भी फिर से विचार की जरूरत नहीं है।

क्या है मराठा आरक्षण का पूरा मामला

तत्कालीन बीजेपी सरकार ने 2018 में आरक्षण के इस कानून को पास किया था। इसके तहत मराठा समाज को 16 प्रतिशत आरक्षण मुहैया कराया गया था। मामला इसके बाद बॉम्बे हाई कोर्ट पहुंचा था और कोर्ट ने इसे बरकरार रखा था।

हाई कोर्ट ने जून 2019 में कानून को बरकरार रखते हुए कहा था कि 16 फीसदी आरक्षण उचित नहीं है और रोजगार में आरक्षण 12 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए तथा नामांकन में यह 13 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए। 

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले पर पिछले साल रोक लगा दी थी। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि ये आरक्षण असंवैधानिक है क्योंकि इससे राज्य में कुल आरक्षण 50 प्रतिशत से ऊपर चला जाता है।   

सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने मामले में इसी साल सुनवाई 15 मार्च को शुरू की थी। इसके बाद कोर्ट ने 26 मार्च को याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। 

Web Title: Supreme Court cancels Maratha reservation quota Maharashtra, says it cant exceed 50 percent

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