Supreme Court Judgment On Assam Accord: 4:1 बहुमत से फैसला?, नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए की वैधता बरकरार, 1955 पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: October 17, 2024 12:55 IST2024-10-17T11:38:34+5:302024-10-17T12:55:15+5:30

Supreme Court Judgment On Assam Accord: न्यायमूर्ति पारदीवाला ने असहमति जताते हुए धारा 6ए को असंवैधानिक करार दिया।

Supreme Court by 4-1 majority Judgment Assam Accord, Section 6A Citizenship Act upholds constitutional validity Supreme Court decision on 1955 | Supreme Court Judgment On Assam Accord: 4:1 बहुमत से फैसला?, नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए की वैधता बरकरार, 1955 पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला

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HighlightsSupreme Court Judgment On Assam Accord: संसद के पास इस प्रावधान को लागू करने की विधायी क्षमता है।Supreme Court Judgment On Assam Accord: धारा 6ए की संवैधानिक वैधता बरकरार रखी। Supreme Court Judgment On Assam Accord: असम समझौता अवैध प्रवास की समस्या का राजनीतिक समाधान है।

Supreme Court Judgment On Assam Accord: उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को बहुमत का फैसले सुनाते हुए नागरिकता अधिनियम की उस धारा 6ए की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा जो एक जनवरी, 1966 से 25 मार्च, 1971 के बीच असम आए प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करती है। प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि असम समझौता अवैध प्रवास की समस्या का राजनीतिक समाधान है।

   

असम समझौते के अंतर्गत आने वाले लोगों की नागरिकता के मामलों से निपटने के लिए एक विशेष प्रावधान के रूप में नागरिकता अधिनियम में धारा 6ए जोड़ी गई थी। प्रधान न्यायाधीश ने अपना फैसला लिखते हुए धारा 6ए की वैधता को बरकरार रखा और कहा कि असम की भूमि के छोटे आकार और विदेशियों की पहचान कर पाने की लंबी प्रक्रिया के मद्देनजर इस राज्य में प्रवासियों के आने की दर अन्य राज्यों की तुलना में अधिक है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने अपनी और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश एवं न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की ओर से फैसला लिखते हुए प्रधान न्यायाधीश से सहमति जताई।

कहा कि संसद के पास इस प्रावधान को लागू करने की विधायी क्षमता है। उच्चतम न्यायालय के बहुमत के फैसले में कहा गया कि असम में प्रवेश और नागरिकता प्रदान करने के लिए 25 मार्च, 1971 तक की समय सीमा सही है। उच्चतम न्यायालय ने नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए के संबंध में कहा कि किसी राज्य में विभिन्न जातीय समूहों की उपस्थिति का मतलब अनुच्छेद 29(1) का उल्लंघन कदापि नहीं है।

बहरहाल, न्यायमूर्ति पारदीवाला ने असहमति जताते हुए धारा 6ए को असंवैधानिक करार दिया। पीठ ने धारा 6ए की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया। नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए में उन अवैध प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है जो एक जनवरी, 1966 से 25 मार्च, 1971 के बीच असम में आए थे।

इनमें अधिकतर अवैध प्रवासी बांग्लादेश से आये हैं। यह प्रावधान 1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार और ‘ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन’ के बीच असम समझौते पर हस्ताक्षर के बाद शामिल किया गया था। इसमें कहा गया है कि 1985 में संशोधित नागरिकता अधिनियम के अनुसार, बांग्लादेश सहित निर्दिष्ट क्षेत्रों से जो लोग एक जनवरी, 1966 को या उसके बाद, लेकिन 25 मार्च, 1971 से पहले असम आए थे और तब से पूर्वोत्तर राज्य के निवासी हैं।

उन्हें भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के लिए धारा 18 के तहत खुद को पंजीकृत कराना होगा। परिणामस्वरूप, असम में रहने वाले प्रवासियों, विशेषकर बांग्लादेश से आये लोगों को इस प्रावधान के तहत नागरिकता प्रदान करने के लिए 25 मार्च, 1971 अंतिम तिथि निर्धारित की गई।

Web Title: Supreme Court by 4-1 majority Judgment Assam Accord, Section 6A Citizenship Act upholds constitutional validity Supreme Court decision on 1955

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