अयोध्या केस: राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद केस की सुनवाई टली, जनवरी 2019 में सुप्रीम कोर्ट करेगा मामले पर विचार
By लोकमत न्यूज़ ब्यूरो | Published: October 29, 2018 10:15 AM2018-10-29T10:15:12+5:302018-10-29T12:23:49+5:30
Ayodhya Ram Temple Supreme court Verdict live Updates: सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली पीठ अयोध्या स्थित राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद की नियमित सुनवाई शुरू कर रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (29 अक्टूबर) को राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद से जुड़े मामले की सुनवाई जनवरी 2019 तक के लिए स्थगित कर दी है। सर्वोच्च अदालत मामले की सुनवाई की अगली तारीख की बाद में घोषणा करेगी। नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री गिरिराज सिंह ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई शुरू करने से पहले इस मामले को लेकर 'हिंदुओं का सब्र' टूटने की आशंका जताई है। सुप्रीम कोर्ट सोमवार (29 अक्टूबर) से अयोध्या केस की नियमित सुनवाई शुरू करने वाला था। भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ में जस्टिस एसके कौल और जस्टिस केएम जोसेफ भी शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट को इलाहाबाद हाई कोर्ट के साल 2010 के फ़ैसले पर विचार करना है जिसमें बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि को तीन हिस्सों में विभाजित करके मामले से सम्बन्धित तीन पक्षों को देने का आदेश दिया गया था। सभी पक्षों ने हाई कोर्ट के निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। तीन पक्षों का दावा है कि बाबरी मस्जिद का अवशेष और राम जन्मभूमि मंदिर जिस जगह पर स्थित है उसका पूरा मालिकाना हक़ उनका अकेले का है। सुप्रीम कोर्ट को इस दावे पर विचार करना है।
पढ़ें बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई से जुड़े ताजा अपडेट्स-
- सुप्रीम कोर्ट सोमवार (29 अक्टूबर) से अयोध्या केस की नियमित सुनवाई शुरू करने वाला था। भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ में जस्टिस एसके कौल और जस्टिस केएम जोसेफ भी शामिल हैं।
Supreme Court adjourns the matter till January 2019 to fix the date of hearing in #Ayodhya title suit https://t.co/wZxixh9RVz
— ANI (@ANI) October 29, 2018
- नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री गिरिराज सिंह ने राम मंदिर पर कहा, "अब हिंदुओं का सब्र टूट रहा है। मुझे भय है कि हिंदुओं का स्र टूटा तो क्या होगा।"
Ab Hinduon ka sabr tut raha hai. Mujhe bhay hai ki Hinduon ka sabr tuta toh kya hoga: Union Minister Giriraj Singh on #RamTemple matter pic.twitter.com/XqWsuIk8lJ
— ANI (@ANI) October 29, 2018
- मीडिया रिपोर्ट के अनुसार जस्टिस गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ सोमवार सुबह 11 बजे से मामले की सुनवाई शुरू कर सकती है।
- मामले पर सुनवाई से पहले रविवार (28 अक्टूबर) को राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) नेता इंद्रेश कुमार ने कहा, "काबा बदला नहीं जा सकता, हरमंदिर साहब बदला नहीं जा सकता, वेटिकन को बदला नहीं जा सकता और राम जन्मस्थान को बदला नहीं जा सकता, यह एक सत्य है।"
Kaaba badla nahi ja sakta, Harmandir sahab badla nahi ja sakta, Vatican ko badla nahi ja sakta aur Ram jamansthaan ko badla nahi ja sakta, yeh ek satya hai: Indresh Kumar, RSS (28.10.18) pic.twitter.com/6Y6DTodIsH
— ANI (@ANI) October 29, 2018
1528: माना जाता है कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद का निर्माण हुआ। इस मस्जिद को बनवाने का श्रेय आम तौर पर बाबर के एक सेनापति मीर बाकी को दिया जाता है। हिंदुओं का दावा था कि यह मस्जिद एक मंदिर को तोड़कर बनाया गया।
1853: इस मस्जिद को लेकर हिन्दू और मुस्लिम समुदाय में हिंसा हुई। हिन्दू समुदाय का दावा था कि बाबरी मस्जिद एक मंदिर को तोड़कर बनाई गई है। दावा किया गया कि जिस मंदिर को तोड़ा गया वो भगवान राम की जन्मस्थली था।
1859: बढ़ते विवाद को देखते हुए तत्कालिन शासक ब्रिटिश सरकार ने विवादित भूमि के आंतरिक और बाहरी परिसर में तार से बाड़ खड़ी करके दो हिस्सों में बांट दिया और हिन्दू-मुसलमानों को अलग-अलग पूजा करने की इजाजत दी।
1885: पहली बार यह मामला कोर्ट पहुंचा। सबसे पहले महंत रघुबर दास ने फैजाबाद कोर्ट में एक याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने मस्जिद से सटे एक राम मंदिर के निर्माण की इजाजत मांगी।
23 दिसंबर, 1949: यहां लगभग 50 हिंदुओं ने मिलकर मस्जिद के केंद्रीय स्थल पर भगवान राम की मूर्ति की स्थापना कर दी। इसके बाद वह यहां पूजा करने लगे जिसके बाद मुस्लिमों का नमाज पढ़ना बंद हो गया।
16 जनवरी, 1950: फैजाबाद कोर्ट में गोपाल सिंह विशारद ने एक अपील दायर कर रामलला की पूजा-अर्चना की विशेष इजाजत मांगी। इसके साथ ही उन्होंने मूर्ति हटाने के लिए भी न्यायिक रोक की मांग की।
5 दिसंबर, 1950: महंत परमहंस रामचंद्र दास ने हिंदू की प्रार्थना जारी रखने के लिए और बाबरी मस्जिद में राममूर्ति को रखने के लिए एक मुकदमा दायर किया।इस याचिका में मस्जिद को 'ढांचा' नाम दिया गया।
17 दिसंबर, 1959: इसके बाद निर्मोही अखाड़ा ने रामजन्म भूमि बाबरी-मस्जिद विवादित स्थल हस्तांतरित करने के लिए मुकदमा दायर किया।
1961: उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने बाबरी मस्जिद के मालिकाना हक के लिए कोर्ट में मुकदमा दायर किया।
1984: विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने बाबरी मस्जिद के ताले खोलने, राम जन्मभूमि को स्वतंत्र कराने और मंदिर के निर्माण के लिए एक अभियान शुरू किया।इसके साथ ही इसके लिए एक समिति का गठन किया गया।
1 फरवरी,1986: फैजाबाद जिला अदालत ने विवादित स्थान पर हिन्दू को प्रार्थना करने की इजाजत दे दी। इसके बाद ताले दोबारा खोले गए। जिससे नाराज मुस्लिमों समुदायों ने एक कमेटी बाबरी मस्जिद एक्शन का गठन किया।
जून 1989: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने विश्व हिंदू परिषद को समर्थन देना शुरू किया।
1 जुलाई 1989: इसके बाद कोर्ट में पांचवा मुकदमा दायर हुआ जिसे भगवान रामलला विराजमान नाम दिया गया।
9 नवंबर 1989: देश के तत्कालीन पीएम राजीव गांधी ने बाबरी मस्जिद के पास मंदिर के शिलान्यास की इजाजत दी।
1990: तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष और वरिष्ठ बीजेपी नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने एक रथ यात्रा निकाली। लेकिन बिहार के समस्तीपुर में तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद की सरकार ने उन्हें रोक कर गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह की सरकार से समर्थन वापस ले लिया।
छह दिसंबर 1992 - हजारों की संख्या में कार सेवकों ने बाबरी मस्जिद को ढहा दिया और वहां एक अस्थाई मंदिर का निर्माण किया। इसके बाद ही सांप्रदायिक दंगे हुए।इस दंगे में 2,000 से ज्यादा लोगों की जान गई। तब मौजूदा प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव की सरकार ने न्यायमूर्ति एम एस लिब्रहान की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया।
2003 - इलाहाबाद हाई कोर्ट के निर्देश के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने विवादित स्थल की खुदाई की। एएसआई की रिपोर्ट के मुताबिक मस्जिद के नीचे 10वीं सदी के मंदिर होने के संकेत मिले हैं। इस रिपोर्ट को लेकर ऑल इंडिया मुस्लिम पसर्नल लॉ बोर्ड ने चुनौती देने की बात कही।
2005: संदिग्ध आतंकवादियों ने विवादित स्थल पर हमला किया। इस हमले में सुरक्षा बलों ने पांच आतंकवादियों को मार गिराया।
2010: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहबाद हाई कोर्ट को विवादित स्थल मामले में फैसला देने से रोकने वाली याचिका खारिज किया।
2010 - - इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विवादित स्थल को तीन हिस्सों में बाँटकर तीन पक्षों को देने का फैसला दिया था। हाई कोर्ट ने एक हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड, दूसरा निर्मोही अखाड़ा और हिस्सा तीसरा रामलला का प्रतिनिधित्व कर रहे हिन्दू महासभा को देने का फैसला सुनाया था।
2011: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा किए फैसले पर रोक लगा दी।
2017: सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद के मामले को आपसी सहमति से सुलझाने की बात कही।
2017 - सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षकारों को आपसी बातचीत के जरिए मामले को सौहार्दपूर्ण तरीके से निपटारे पर जोर दिया।
27 सितंबर 2018- तत्कालीन सीजेआई दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ ने 2-1 के बहुमत से फैसला दिया कि इस मामले को बड़ी संविधान पीठ के पास नहीं भेजा जाएगा। सुप्रीम कोर्ट इस विवाद से जुड़े एक अन्य याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें सर्वोच्च अदालत से मस्जिद में नमाज पढ़ने को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा 1994 में दिये गये एक फैसले पर फिर से विचार की अपील की गयी थी। सुप्रीम कोर्ट के 1994 के फैसले में कहा गया था कि मस्जिद इस्लाम का 'अभिन्न हिस्सा' नहीं है। 24 साल पुराने इस फैसले पर मुस्लिम याचिका कर्ताओं ने पुनर्विचार करने की अपील की थी। इसके साथ ही इस्माइल फारुखी के जमीन अधिग्रहण के फैसले को लेकर संविधान पीठ ने कहा था कि जमीनी विवाद से इसका लेना देना नहीं इसलिए सिविल मामले की सुनवाई होगी।
29 अक्टूबर- 2018- सुप्रीम कोर्ट की चार जजों की बेंच देश के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में इस मामले की नियमित सुनवाई करेगा।