सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा- क्यों नहीं बनाया निर्वाचित प्रतिनिधियों की संपत्ति की निगरानी का तंत्र?

By भाषा | Published: March 12, 2019 08:19 PM2019-03-12T20:19:52+5:302019-03-12T20:19:52+5:30

न्यायालय ने सचिव को यह भी स्पष्ट करने के लिये कहा है कि प्रत्येक प्रत्याशी द्वारा नामांकन के साथ दिये जाने वाले फार्म 26 में यह घोषणा क्यों नहीं शामिल है कि क्या वह जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत किसी प्रकार से अयोग्य है? 

Supreme Court asks Modi government about compliance status of its poll reforms order | सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा- क्यों नहीं बनाया निर्वाचित प्रतिनिधियों की संपत्ति की निगरानी का तंत्र?

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा- क्यों नहीं बनाया निर्वाचित प्रतिनिधियों की संपत्ति की निगरानी का तंत्र?

उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को केन्द्र से इस बारे में कैफियत मांगी कि निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की संपत्ति में होने वाली वृद्धि की निगरानी के लिये शीर्ष अदालत के पिछले साल के निर्देश के बावजूद अभी तक कोई स्थाई व्यवस्था क्यों नहीं बनायी गयी। शीर्ष अदालत ने पिछले साल 16 फरवरी को अपने फैसले में कहा था कि सांसदों विधायकों की संपत्ति में अचानक ही वृद्धि होना लोकतंत्र के विफल होने की शुरूआत का एक निश्चित संकेतक है जिसकी अगर अनदेखी की गयी तो इससे लोकतंत्र नष्ट होगा और यह माफिया राज का मार्ग प्रशस्त करेगा।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने गैर सरकारी संगठन लोक प्रहरी की अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान कि वह कोई नोटिस जारी नहीं कर रही है परंतु केन्द्र सरकार के विधायी विभाग के सचिव से जवाब मांग रही हैं कि अभी तक इस बारे में न्यायालय के निर्देशों का पालन क्यों नहीं किया गया? 

गैर सरकारी संगठन ने दावा किया है कि न्यायालय के 16 फरवरी के फैसले में दिये गये कुछ निर्देशों का अभी तक पालन नहीं किया गया है। न्यायालय ने सचिव से यह भी स्पष्ट करने के लिये कहा है कि संपत्ति की घोषणा नहीं करना या आंशिक घोषणा करने के संबंध में उनके विभाग ने अभी तक क्या किया है क्योंकि यह जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत ‘अनावश्यक रूप से प्रभावित’ करने जैसा है।

न्यायालय ने सचिव को यह भी स्पष्ट करने के लिये कहा है कि प्रत्येक प्रत्याशी द्वारा नामांकन के साथ दिये जाने वाले फार्म 26 में यह घोषणा क्यों नहीं शामिल है कि क्या वह जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत किसी प्रकार से अयोग्य है? 

इस मामले की सुनवाई शुरू होते ही इस संगठन के सचिव एस एन शुक्ला ने व्यक्तिगत रूप से बहस करते हुये न्यायालय से कहा कि निर्वाचन आयोग ने प्रत्याशी, उसके जीवन साथी या आश्रितों की संपत्ति और आमदनी की घोषणा सहित उसके सिर्फ दो निर्देशों पर ही अमल किया है। उनका कहना था कि आयोग ने न्यायालय के तीन अन्य निर्देशों पर अभी तक अमल नहीं किया है।

Web Title: Supreme Court asks Modi government about compliance status of its poll reforms order

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