Supreme Court: बांग्लादेश से गर्भवती महिला और उसके बच्चे को भारत आने की अनुमति, कोर्ट ने मानवीय आधार पर लिया फैसला

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: December 3, 2025 13:26 IST2025-12-03T13:26:10+5:302025-12-03T13:26:47+5:30

Supreme Court: उन्होंने कहा कि वह मानते हैं कि वे बांग्लादेशी नागरिक हैं। मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार सिर्फ मानवीय आधार पर उस महिला और उसके बच्चे को भारत में आने की अनुमति दे रही है।

Supreme Court allowed a pregnant woman and her child to enter India on humanitarian grounds | Supreme Court: बांग्लादेश से गर्भवती महिला और उसके बच्चे को भारत आने की अनुमति, कोर्ट ने मानवीय आधार पर लिया फैसला

Supreme Court: बांग्लादेश से गर्भवती महिला और उसके बच्चे को भारत आने की अनुमति, कोर्ट ने मानवीय आधार पर लिया फैसला

Supreme Court: उच्चतम न्यायालय ने बांग्लादेश निर्वासित की गई गर्भवती महिला और उसके आठ साल के बच्चे को ‘मानवीय आधार’ पर भारत में प्रवेश की बुधवार को अनुमति दे दी। प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने पश्चिम बंगाल सरकार को नाबालिग बच्चे की देखभाल करने और बीरभूम जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को गर्भवती महिला सुनाली खातून को हर संभव चिकित्सा सहायता मुहैया कराने का निर्देश दिया।

पीठ ने केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के इस बयान पर गौर किया कि सक्षम प्राधिकारी ने मानवीय आधार पर महिला और उसके बच्चे को देश में प्रवेश देने के लिए सहमति जता दी है और उन्हें निगरानी में रखा जाएगा।

अदालत ने कहा कि अंततः उन्हें दिल्ली वापस लाया जाए, जहां से उन्हें पकड़कर बांग्लादेश भेजा गया था। वरिष्ठ अधिवक्ताओं कपिल सिब्बल और संजय हेगड़े ने अदालत से आग्रह किया कि बांग्लादेश में सुनाली के पति समेत अन्य लोग भी लोग हैं, जिन्हें भारत वापस लाने की आवश्यकता है।

इसके लिए मेहता केंद्र से आगे के निर्देश ले सकते हैं। मेहता ने कहा कि वह उनके भारतीय नागरिक होने के दावे को चुनौती देंगे। उन्होंने कहा कि वह मानते हैं कि वे बांग्लादेशी नागरिक हैं। मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार सिर्फ मानवीय आधार पर उस महिला और उसके बच्चे को भारत में आने की अनुमति दे रही है।

महिला के पिता ने कहा कि उनका परिवार दिल्ली में पिछले 20 साल से रह रहा है और उनका परिवार रोहिणी सेक्टर 26 में दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करता है, पुलिस ने 18 जून को उन्हें बांग्लादेशी होने के शक में पकड़कर 27 जून को सीमा पार कराकर बांग्लादेश भेज दिया था। 

Web Title: Supreme Court allowed a pregnant woman and her child to enter India on humanitarian grounds

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