300 से अधिक सैन्यकर्मियों की याचिका पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट
By भाषा | Published: August 15, 2018 12:48 AM2018-08-15T00:48:02+5:302018-08-15T00:48:02+5:30
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर की पीठ ने वकील ऐश्वर्या भाटी की इन दलीलों पर विचार किया कि सैन्यकर्मियों को ‘सताया’ जा रहा है और अशांत इलाकों में ड्यूटी निभाने के लिए मुकदमा चलाया जा रहा है।
नई दिल्ली, 15 अगस्त: उच्चतम न्यायालय 300 से अधिक सैन्यकर्मियों की उस याचिका पर 20 अगस्त को सुनवाई करने के लिए आज राजी हो गया जिसमें उन्होंने मणिपुर और जम्मू कश्मीर जैसे अशांत क्षेत्रों में जहां आफस्पा लागू है, वहां अभियान चलाने पर उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किये जाने को चुनौती दी है।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर की पीठ ने वकील ऐश्वर्या भाटी की इन दलीलों पर विचार किया कि सैन्यकर्मियों को ‘सताया’ जा रहा है और अशांत इलाकों में ड्यूटी निभाने के लिए मुकदमा चलाया जा रहा है।
यह याचिका कर्नल अमित कुमार समेत सैन्य अधिकारियों ने दायर की है। इनमें सेक्शन कमांडर और सेक्शन, पलटन, कंपनी और बटालियन के कमांडिंग अधिकारी शामिल हैं।
सेना के अधिकारियों द्वारा याचिका दायर किया जाना महत्वपूर्ण है क्योंकि सीबीआई की एसआईटी ने हाल में मणिपुर में सशस्त्र बलों के खिलाफ मुठभेड़ के दो अलग-अलग मामलों में आरोप पत्र दायर किया है। इनमें हत्या के आरोप लगाए गए हैं।
शीर्ष अदालत ने मणिपुर में सेना, असम राइफल और राज्य पुलिस द्वारा कथित तौर पर किये गए फर्जी मुठभेड़ मामलों की जांच पर सुनवाई करते हुए एसआईटी का गठन किया था।
याचिका में कहा गया है कि प्राथमिकी दर्ज करना और सैन्यकर्मियों पर अभियोग चलाना आफस्पा के प्रावधानों के खिलाफ है क्योंकि उन्हें आधिकारिक ड्यूटी के दौरान कार्रवाई करने के लिए मुकदमे से छूट मिली हुई है।
याचिका में कहा गया है कि ऐसे मुकदमे सेना और अर्द्धसैन्य बलों का मनोबल गिराएंगे। सैन्यकर्मियों पर मणिपुर जैसे इलाकों में कथित ज्यादतियां करने और फर्जी मुठभेड़ के लिए मामला दर्ज किया जा रहा है।उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के बाद कुछ मामलों में मुकदमे शुरू किए गए हैं।