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सुपरटेक ने एमराल्ड कोर्ट परियोजना में ग्रीन एरिया पर अतिक्रमण कर दो टावर बनाए: फ्लैट खरीदार

By भाषा | Updated: July 29, 2021 20:14 IST

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नयी दिल्ली, 29 जुलाई नोएडा में एमराल्ड कोर्ट परियोजना के फ्लैट खरीदारों ने बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि रियल एस्टेट कंपनी सुपरटेक लिमिटेड ने दो बड़े टावरों का निर्माण करके और ग्रीन एरिया पर अतिक्रमण के जरिये बढ़े हुए फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) का फायदा उठाने की कोशिश की है। एफएआर प्लॉट के कुल क्षेत्र के कुल निर्मित क्षेत्र का अनुपात होता है।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एमआर शाह की एक पीठ ने दो टावरों के ध्वस्त करने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2014 के आदेश के खिलाफ सुपरटेक लिमिटेड की अपील पर अंतिम सुनवाई शुरू की है। रेजिडेंट एसोसिएशन ने न्यायालय से कहा कि एफएआर बढ़ने के बाद भी बिल्डर ग्रीन एरिया नहीं बदल सकता।

एमराल्ड कोर्ट ओनर रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता जयंत भूषण ने कहा कि उपनियमों के अनुसार, बिल्डर फ्लैट मालिकों की सहमति के बिना ग्रीन एरिया को नहीं बदल सकता।

भूषण ने कहा, “गार्डन एरिया फ्लैट खरीदारों को न केवल ब्रोशर में बल्कि कंप्लीशन प्लान में भी दिखाया गया था। उस क्षेत्र में एक 40 मंजिला टावर बनाया गया था जिसे ब्रोशर में उद्यान क्षेत्र के साथ-साथ पूरा करने की योजना के रूप में दिखाया गया था।”

शुरुआत में, रियल एस्टेट कंपनी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि उन्हें 1,500 से अधिक घर खरीदारों की सहमति लेने की जरूरत नहीं थी क्योंकि योजना को मंजूरी मिलने के बाद आरडब्ल्यूए अस्तित्व में आया था।

उन्होंने कहा कि अनिवार्य 16 मीटर दूरी का मानदंड भवन खंड के लिए नहीं बल्कि एक अलग भवन के लिए है और मौजूदा मामले में यह पहले से मौजूद भवन का हिस्सा है।

सिंह ने कहा कि नए निर्माण में किसी अग्नि सुरक्षा प्रोटोकॉल या किसी अन्य मानदंड का उल्लंघन नहीं किया गया।

नोएडा की ओर से पेश अधिवक्ता रवींद्र कुमार ने कहा कि एक मूल और तीन संशोधित सहित हाउसिंग सोसाइटी की सभी योजनाओं को मौजूदा कानूनों के अनुसार अनुमोदित किया गया था। नोएडा के अधिकारी उच्च न्यायालय के आदेश के बाद मुकदमे का सामना कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि नोएडा के अधिकारियों की ओर से किसी भी तरह का कोई गलत काम नहीं किया गया है।

इस मामले में सुनवाई अधूरी रही। अब तीन अगस्त को आगे सुनवाई होगी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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