जयपुर, 22 फरवरीः भारत ने गुरुवार सुबह परमाणु नगरी पोकरण से स्वदेशी सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल 'ब्रह्मोस' का सफल परीक्षण किया इस संबंध में देश की रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस मिसाइल का सुबह 8 बजकर 42 मिनट पर राजस्थान के पोकरण से सफल परीक्षण किया गया है। वहीं, इस मिसाइल की रेंज 290 किलोमीटर है और ये 300 किलोग्राम भारी युद्धक सामग्री ले जा सकती है।
यह पहली बार है जब किसी मिसाइल का परीक्षण एक भारतीय-निर्मित साधक के साथ किया गया है। इस दौरान वहां सेना और डीआरडीओ के अधिकारी भी मौजूद रहे।
2001 में पहला परीक्षण
आपको बता दें कि 12 जून, 2001 को ब्रह्मोस का पहला सफल परीक्षण किया गया था। इस मिसाइल का नाम भारत की ब्रह्मपुत्र नदी और रूस की मस्कवा नदी पर रखा गया है। ब्रह्मोस मिसाइल आवाज की गति से करीब तीन गुना अधिक यानी 2.8 माक की गति से हमला करने में सक्षम है।
फरवरी किया गया था मिसाइल 'धनुष' का सफल परीक्षण
इससे पहले भारत ने 23 फरवरी को ओडिशा में नौसेना के जहाज से परमाणु सम्पन्न मिसाइल 'धनुष' का सफल प्रक्षेपण किया था। बताया गया था कि बंगाल की खाड़ी में पारादीप के निकट एक जहाज से 350 किलोमीटर तक लक्ष्य भेदन क्षमता वाला प्रक्षेपात्र सतह से सतह पर मार कर सकता है। यह परीक्षण सामरिक बल कमांड द्वारा किया गया था। स्वदेश में विकसित मिसाइल 'पृथ्वी' का जलीय रूप 'धनुष' 500 किलोग्राम तक विस्फोटक ले जाने में सक्षम है। धनुष सतही और समुद्री, दोनों लक्ष्यों को भेदने में सक्षम है।
ये हैं भारत के पास स्वदेशी मिसाइलें
अगर भारत की स्वदेशी मिसाइलों की बात करें तो उसके पास नाग मिसाइल है जिसका सफल परीक्षण 1990 में किया गया। इसी तरह धनुष मिसाइल स्वदेशी तकनीकी से निर्मित पृथ्वी मिसाइल का नौसैनिक संस्करण है। यह मिसाइल परमाणु हथियारों को ले जाने की क्षमता रखता है। भारत ने 1990 में आकाश मिसाइल का परीक्षण किया। जमीन से हवा में मार करने वाली आकाश मिसाइल की तुलना अमेरिका के पेटियॉट मिसाइल से की जाती है। इस मिसाइल की खूबी यह है कि यह एक समय में आठ भिन्न लक्ष्य पर निशाना साध सकती है। इसके अलावा भारत के पास ब्रह्मोस मिसाइल भी है।