सुनंदा पुष्कर मौत मामला: दिल्ली की अदालत ने शशि थरूर को आरोप मुक्त किया

By भाषा | Published: August 18, 2021 07:57 PM2021-08-18T19:57:50+5:302021-08-18T19:57:50+5:30

Sunanda Pushkar death case: Delhi court acquits Shashi Tharoor | सुनंदा पुष्कर मौत मामला: दिल्ली की अदालत ने शशि थरूर को आरोप मुक्त किया

सुनंदा पुष्कर मौत मामला: दिल्ली की अदालत ने शशि थरूर को आरोप मुक्त किया

दिल्ली की एक अदालत ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर को पत्नी सुनंदा पुष्कर की लगभग सात वर्ष पहले यहां एक होटल में हुई मौत के मामले में बुधवार को आरोपमुक्त कर दिया। विशेष न्यायाधीश गीतांजलि गोयल ने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। विस्तृत फैसले का इंतजार है। पुष्कर 17 जनवरी 2014 की रात शहर के एक लग्जरी होटल के एक कमरे में मृत मिली थीं। दंपति होटल में ठहरे हुए थे क्योंकि उस समय थरूर के आधिकारिक बंगले का नवीनीकरण किया जा रहा था। थरूर ने न्यायाधीश का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि पिछले साढ़े सात साल ‘प्रताड़ना’ में बीते और यह फैसला ‘बड़ी राहत’ लेकर आया है। इस फैसले के बाद थरूर ने एक बयान जारी कर कहा, ‘‘हमारी न्यायिक प्रणाली में प्रक्रिया ही अक्सर सजा बन जाती है। बहरहाल, तथ्य यह है कि न्याय हुआ है और हमारा पूरा परिवार सुनंदा की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करेगा।’’ उन्होंने कहा कि इस फैसले से ‘‘उस दुःस्वप्न का अंत हुआ जिससे मुझे अपनी पत्नी सुनंदा पुष्कर के निधन के बाद गुजरना पड़ा।’’ थरूर के मुताबिक, ‘‘मुझे कई निराधार आरोप झेलने पड़े और मीडिया की ओर से भी बदनामी का सामना करना पड़ा, लेकिन मुझे न्यायपालिका में पूरा विश्वास था। मेरे रुख की आज पुष्टि हुई है।’’ सुनवाई के दौरान पुलिस ने अदालत से भारतीय दंड संहिता की धारा 306 (खुदकुशी के लिए उकसाने) समेत विभन्न अपराध में आरोप तय करने का आग्रह किया था जबकि थरूर की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील विकास पाहवा ने अदालत से कहा कि एसआईटी की जांच नेता को उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों से मुक्त करती है। पाहवा ने मामले में थरूर को आरोपमुक्त करने का आग्रह करते हुए कहा था कि जुर्म साबित करने के लिए उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है। उन्होंने पहले अदालत को बताया था कि पुष्कर के परिवार और दोस्तों ने कहा है कि वह आत्महत्या नहीं कर सकती थी और इसलिए खुदकुशी के लिए उकसाने का आरोप नहीं लगाया जा सकता है। इस अपराध के लिए अधिकतम सजा 10 साल की कैद का प्रावधान है। पाहवा ने पहले दावा किया था कि पोस्टमॉर्टम और अन्य मेडिकल रिपोर्ट से साबित होता है कि यह न तो आत्महत्या थी और न ही हत्या। आदेश के बाद पाहवा ने कहा कि पुलिस द्वारा लगाए गए आत्महत्या के लिए उकसाने और क्रूरता के आरोप बेबुनियाद हैं। उन्होंने कहा कि इस मामले में अपराधों के सबसे आवश्यक तत्व भी मौजूद नहीं थे। पाहवा ने कहा, “ मनोवैज्ञानिक पोस्टमार्टम रिपोर्ट सहित विभिन्न मेडिकल बोर्डों की सभी रिपोर्टों ने थरूर को हत्या या आत्महत्या के आरोपों से मुक्त कर दिया है।” थरूर के अन्य वकील गौरव गुप्ता ने कहा कि सुनंदा पुष्कर के परिवार के किसी सदस्य या मित्र ने उत्पीड़न या आत्महत्या के लिए उकसाने की कोई शिकायत नहीं की थी। पाहवा ने कहा, “मुझे खुशी है कि आखिरकार सात साल बाद इंसाफ की जीत हुई और उन्हें दिल्ली पुलिस द्वारा उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों से सम्मानजनक रूप से मुक्त कर दिया गया। अदालत द्वारा कांग्रेस नेता को आरोपमुक्त किए जाने के बाद पार्टी ने उनका जोरदार समर्थन किया। कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एक वीडियो जारी कर कहा, ‘‘आखिर में सत्य की जीत हुई। हमारे सांसद थरूर जी के बारे में भाजपा ने गंदा, भद्दा और खतरनाक माहौल पैदा करने का षडयंत्र किया था जो अदालत के फैसले से आज विफल हो गया। अदालत ने कहा कि थरूर जी निर्दोष हैं।’’ उन्होंने सवाल किया, ‘‘प्रधानमंत्री ने एक जनसभा में थरूर जी और एक महिला के बारे में एक अभद्र बयान दिया था। क्या आप इसके लिए थरूर और देश से माफी मांगेंगे? क्या भाजपा के नेता और कुछ एंकर भी माफी मांगेंगे जिन्होंने कांग्रेस और शशि थरूर को बदनाम करने को अपना पेशा बना लिया था? देश जवाब मांग रहा है।’’ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने उनके समर्थन में ट्वीट किया, ‘‘सात वर्षों से मेरे मित्र शशि थरूर को परेशान किया गया और बदनाम करने का प्रयास किया गया। आज उनके रुख की पुष्टि हुई। न्यायपालिका की जय हो।’’ उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा के शीर्ष नेता इस मामले में बेनकाब हो गये हैं। थरूर का प्रतिनिधित्व करने वाले एक अन्य वकील गौरव गुप्ता ने कहा कि पुष्कर के परिवार या मित्रों की तरफ से उत्पीड़न या आत्महत्या के लिए उकसाने जैसी कोई शिकायत नहीं की गई थी। थरूर पर दिल्ली पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए (महिला के पति या पति के रिश्तेदार द्वारा उसपर क्रूरता करना) और धारा 306 (खुदकुशी के लिए उकसाने) के तहत आरोप लगाया गया था, लेकिन इस मामले में गिरफ्तारी नहीं की गई थी। अदालत ने पांच जुलाई 2018 को उन्हें अग्रिम जमानत दे दी थी।

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Web Title: Sunanda Pushkar death case: Delhi court acquits Shashi Tharoor

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