सुभाष चंद्र बोसः PM मोदी के बयान पर कांग्रेस का पलटवार, कहा-BJP फिर से इतिहास लिखने के लिए है व्याकुल
By भाषा | Published: October 21, 2018 08:32 PM2018-10-21T20:32:41+5:302018-10-21T20:32:41+5:30
कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि कांग्रेस ने हमेशा ही बहादुर देशभक्त और धर्मनिरपेक्षतावादी बोस के आदर्शों को संरक्षित रखने और उन्हें प्रसारित करने की कोशिश की है।
कांग्रेस ने भाजपा नीत केंद्र सरकार पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की धरोहर हथियाने के लिए षड़यंत्रपूर्ण प्रयास करने का आरोप लगाते हुए रविवार को कहा कि भगवा पार्टी इतिहास फिर से लिखने के लिए व्याकुल है।
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को नेहरू-गांधी परिवार पर परोक्ष हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि सिर्फ ‘‘एक परिवार’’ का महिमामंडन करने के लिए स्वतंत्रता आंदोलन में सरदार पटेल, भीमराव आंबेडकर और बोस जैसे कई नेताओं के योगदान को जानबूझ कर भुला दिया गया। प्रधानमंत्री ने आजाद हिंद सरकार के गठन के 75 वर्ष पूरे होने के मौके पर यह कहा।
कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि कांग्रेस ने हमेशा ही बहादुर देशभक्त और धर्मनिरपेक्षतावादी बोस के आदर्शों को संरक्षित रखने और उन्हें प्रसारित करने की कोशिश की है।
उन्होंने कहा कि जिन लोगों की अपनी विचारधारा और आदर्श नहीं हैं और जिनका राष्ट्रीय आंदोलन में कुछ भी योगदान नहीं रहा है, वे खुद को राष्ट्रवादी के तौर पर पेश करने का प्रयास करते हुए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों की धरोहर हथियाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी यही करने की हताशापूर्ण कोशिश की।
सिंघवी ने कहा, ‘‘व्याकुल भाजपा इतिहास फिर से लिखने की कोशिश कर रही है और सरदार पटेल एवं जवाहरलाल नेहरू के बीच तथा नेताजी सुभाष चंद्र बोस एवं नेहरू के बीच एक काल्पनिक प्रतिद्वंद्विता पैदा कर रही है। इसने शुभ अवसरों का इस्तेमाल इन ओछी राजनीतिक हथकंडों के लिए किया है।’’
उन्होंने इस बात का जिक्र किया कि बोस और पटेल सांप्रदायिकता और धर्मांधता के पूरी तरह से खिलाफ थे, जबकि प्रधानमंत्री मोदी की वैचारिक संस्था - आरएसएस और हिंदू महासभा द्वारा इसका समर्थन किया गया। उन्होंने कहा कि पटेल ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी को लिखे अपने पत्र में कहा था कि हिंदू महासभा की गतिविधियां सरकार के अस्तित्व के लिए एक स्पष्ट खतरा है और प्रतिबंध के बावजूद गतिविधियां खत्म नहीं हुई हैं।
सिंघवी ने कहा कि वहीं दूसरी ओर विनायक दामोदर सावरकर की हिंदू महासभा लोगों को ब्रिटिश सेना में भर्ती होने की सलाह दे रही थी। उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि नेहरू आजाद हिंद फौज के सेनानियों पर चले मुकदमे के दौरान बोस के वकीलों में शामिल थे। क्या आरएसएस से किसी व्यक्ति ने नेताजी का समर्थन किया था? भाजपा और प्रधानमंत्री हर राष्ट्रीय धरोहर को हथियाने की हताशापूर्ण कर रहे हैं।
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि आरएसएस और भाजपा देश को आजाद कराने की बोस की सैन्य कोशिशों को लेकर उनकी सराहना कर रही है जबकि उनके वैचारिक पूर्वजों ने बिलकुल ही इसके उलट कार्य किया था। उन्होंने कहा कि जब नेताजी जापान में आजाद हिंद फौज को तैयार कर कर रहे थे और गांधीजी ने भारत छोड़ो आंदोलन का आह्ववान किया था, उस वक्त आरएसएस अंग्रेजों से घनिष्ठ संबंध बना रहा था।
सिंघवी ने कहा कि राजनीतिक फायदा पाने के लिए भाजपा बोस को महात्मा गांधी से पीड़ित व्यक्ति और नेहरू के प्रतिद्वंद्वी के रूप में पेश कर रही है जबकि असल में नेताजी ने उन दोनों को हमेशा ही उच्चतम सम्मान दिया।
उन्होंने इस बात का जिक्र किया कि यहां तक कि नेताजी ने आजाद हिंद फौज के दो रेजीमेंट का नाम - ‘‘गांधी और नेहरू’’ के नाम पर रखा। कांग्रेस नेता ने कहा कि वह बोस ही थे जिन्होंने 1944 में सिंगापुर से रोडियो पर गांधी को राष्ट्रपिता की उपाधि दी थी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने नेताजी से जुड़ी फाइलों को सार्वजनिक किए जाने के मोदी सरकार और पश्चिम बंगाल सरकार के शुरूआती फैसलों का हमेशा ही स्वागत किया।
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन भाजपा ने इसमें सिर्फ राजनीति की है। पिछले 53 महीनों में मोदी सरकार सिर्फ खबरें गढ़ने में संलिप्त रही है। हम अब भी यह चाहते हैं कि नेताजी से जुड़ी फाइलों को सार्वजनिक किया जाए।’’