एसएंडपी ने ‘स्थिर परिदृश्य’ के साथ भारत की रेटिंग को बरकरार रखा
By भाषा | Published: December 4, 2019 06:02 AM2019-12-04T06:02:10+5:302019-12-04T06:02:10+5:30
एजेंसी ने भारत के मामले में स्थिर परिदृश्य इस आधार पर बनाये रखा है कि अगले दो साल के दौरान आर्थिक वृद्धि दर मजबूत बनी रहेगी
वैश्विक रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ने भारत की सॉवरेन रेटिंग को ‘स्थिर परिदृश्य’ के साथ बीबीबी- पर बरकरार रखा है। आर्थिक मामलों के सचिव अतनु चक्रवर्ती ने मंगलवार को यह जानकारी दी। एसएंडपी की यह रेटिंग इस लिहाज से महत्वपूर्ण है कि कुछ सप्ताह पहले ही एक अन्य वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर सर्विस ने भारत के रेटिंग परिदृश्य को ‘स्थिर’ से ‘नकारात्मक’ कर दिया था। चक्रवर्ती ने ट्वीट किया, ‘‘एसएंडपी ने भारत की सॉवरेन रेटिंग को स्थिर परिदृश्य के साथ बीबीबी- पर कायम रखा है।
एजेंसी का कहना है कि हालिया गिरावट के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था निरंतर प्रभावशाली दीर्घावधि वृद्धि दर हासिल करती रहेगी। बीबीबी रेटिंग किसी इकाई की अपनी वित्तीय प्रतिबद्धताओं को पूरा करने की पर्याप्त क्षमता को दर्शाती है। हालांकि, प्रतिकूल आर्थिक परिस्थितियों या बदलती परिस्थितियों से उसकी वित्तीय प्रतिबद्धताओं को पूरा करने की क्षमता कमजोर पड़ सकती है। एसएंडपी की ताजा रेटिंग ऐसे समय आई है जबकि विपक्ष अर्थव्यवस्था में आती गिरावट को लेकर लगातार सरकार पर हमलावर है और आरोप लगा रहा है कि सरकार आर्थिक वृद्धि दर में आती गिरावट को रोकने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं कर रही है।
उल्लेखनीय है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर घटकर 4.5 प्रतिशत रह गई है जो इसका छह साल का निचला स्तर है। वित्त मंत्रालय ने एसएंडपी द्वारा भारत पर जारी संक्षिप्त प्रकाशन का हवाला देते हुए कहा, ‘‘हालिया गिरावट के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था दीर्घावधि में प्रभावशाली वृद्धि दर हासिल करती रहेगी। ऐसा समझा जाता है कि मौजूदा आर्थिक सुस्ती संरचनात्मक कारणों से होने के बजाय चक्रीय अधिक है।’’
एसएंडपी का अनुमान है कि भारतीय अर्थव्यवस्था अपनी समकक्ष अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करेगी और अगले दो साल के दौरान वृद्धि दर मजबूत बनी रहेगी। एजेंसी ने भारत के मामले में स्थिर परिदृश्य इस आधार पर बनाये रखा है कि अगले दो साल के दौरान आर्थिक वृद्धि दर मजबूत बनी रहेगी और भारत की बाह्य स्थिति भी बेहतर रहेगी। इसके साथ ही राजकोषीय घाटा ऊंचा रहेगा लेकिन मोटे तौर पर यह अनुमानों के दायरे में बना रहेगा।