स्वामी प्रसाद मौर्य के बाद एक अन्य सपा नेता ने की रामचरितमानस से 'आपत्तिजनक पंक्तियों' को हटाने की मांग, जानें क्या कहा
By मनाली रस्तोगी | Published: January 25, 2023 11:49 AM2023-01-25T11:49:37+5:302023-01-25T11:51:59+5:30
सपा नेता ब्रजेश प्रजापति ने कहा कि कवि तुलसीदास द्वारा रचित रामायण के लोकप्रिय संस्करण रामचरितमानस में आपत्तिजनक पंक्तियों को या तो हटाया जाना चाहिए या पूरी तरह से प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।
लखनऊ: समाजवादी पार्टी के एक अन्य नेता ने यह कहते हुए रामचरितमानस से "आपत्तिजनक पंक्तियों" को हटाने की मांग की है कि तुलसीदास को "जातियों का अपमान" करने का अधिकार किसने दिया। सपा नेता ब्रजेश प्रजापति ने कहा कि कवि तुलसीदास द्वारा रचित रामायण के लोकप्रिय संस्करण रामचरितमानस में आपत्तिजनक पंक्तियों को या तो हटाया जाना चाहिए या उसे पूरी तरह से प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।
एएनआई से प्रजापति ने कहा, "रामचरितमानस में आपत्तिजनक पंक्तियों को या तो हटा देना चाहिए या उस पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा देना चाहिए...गोस्वामी तुलसीदास को जातियों का अपमान करने का अधिकार किसने दिया।" इससे पहले स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था कि रामचरितमानस के कुछ अंश जाति के आधार पर समाज के एक बड़े वर्ग का "अपमान" करते हैं, यह कहते हुए कि इन पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।
#WATCH | Uttar Pradesh: The objectionable lines in Ramcharitmanas should either be removed or it should be banned completely... Who gave Goswami Tulsidas the right to insult castes: SP leader Brajesh Prajapati, Banda pic.twitter.com/uZ5fxVZLiq
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) January 24, 2023
उन्होंने कहा था, "जाति, वर्ण और वर्ग के आधार पर रामचरितमानस की कतिपय पंक्तियों से यदि समाज के किसी वर्ग का अपमान होता है, तो वह निश्चय ही 'धर्म' नहीं, 'अधर्म' है। कुछ पंक्तियां हैं जिनमें 'तेली' और 'कुम्हार' जैसी जातियों के नामों का उल्लेख है।" मौर्य ने दावा किया कि इन जातियों के लाखों लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने पूछा, "अगर तुलसीदास की रामचरितमानस पर बहस अपमान है...तो धर्मगुरुओं को एससी, एसटी, ओबीसी और महिलाओं के अपमान की चिंता क्यों नहीं है। क्या एससी, एसटी, ओबीसी और (बड़ी संख्या में) महिलाएं हिंदू नहीं हैं?" इस महीने की शुरुआत में बिहार के शिक्षा मंत्री और राजद नेता चंद्रशेखर ने यह आरोप लगाने के बाद तीखी आलोचना की कि रामचरितमानस के कुछ छंद सामाजिक भेदभाव का समर्थन करते हैं।
मौर्य की टिप्पणी ने उत्तर प्रदेश में भाजपा से तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की, जिसने उनकी माफी और उनके बयान को वापस लेने की मांग की। मौर्य पर निशाना साधते हुए उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव और उनकी पार्टी के नेताओं शिवपाल यादव, डिंपल यादव और रामगोपाल यादव से स्पष्टीकरण मांगा।
एसपी ने भी मौर्य की टिप्पणी से खुद को अलग कर लिया और कहा कि यह उनकी निजी टिप्पणी है। समाचार एजेंसी पीटीआई ने बताया कि सपा प्रवक्ता फखरूल हसन ने कहा कि पार्टी सभी धर्मों और परंपराओं का सम्मान करती है।