योगी आदित्यनाथ ने बनाया है खास प्लान, 5 राजनीतिक ब्रहमास्त्र जो रोकेंगे सपा-बसपा-कांग्रेस को!
By विकास कुमार | Published: January 12, 2019 04:57 PM2019-01-12T16:57:27+5:302019-01-12T19:46:21+5:30
योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में ओबीसी में उन जातियों का हाल-चाल लिया है जिन्हें अभी तक आरक्षण और सरकारी योजनाओं का कोई फायदा नहीं हुआ है. और ऐसा कहा जा रहा है कि सरकार उन जातियों को चुनाव से पूर्व अतिपिछड़ा श्रेणी में शामिल कर सकती है.
लखनऊ में अखिलेश यादव और मायावती ने आज सीटों का एलान कर दिया. 38-38 सीटों पर बुआ और बबुआ की साझेदारी हो गई है. अमेठी और रायबरेली में गांधी परिवार को राजनीतिक जीवनदान देने का एलान किया गया और उसके साथ ही 2 सीट अन्य दल के लिए छोड़ने की घोषणा की गई है. अखिलेश और मायावती के कहीं अन्य दल का इशारा अपना दल से तो नहीं, क्योंकि हाल ही में अपना दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष आशीष पटेल ने बीजेपी को धमकी दी है कि शेर को मत छोड़ो वरना अंजाम भुगतना होगा.
बहन जी और टीपू भईया के गठबंधन के बाद सपा और बसपा के कार्यकर्ताओं ने प्रदेश में अपनी पार्टियों की बड़ी जीत का एलान किया है. चुनाव बाद के जीत की बंटने वाली मिठाई आज ही बंटनी शुरू हो गई है. बीजेपी के कार्यकर्ता आज ऊपर से उत्साहित और भीतर से हतोत्साहित दिख रहे हैं. लेकिन ऐसा लग नहीं रहा है कि यह गठबंधन बीजेपी को ज्यादा नुकसान पहुंचाएगी.
राम मंदिर की हवा बदल सकता है रूख
ऐसे तमाम सर्वे आये हैं जिसमें गठबंधन बनने के बाद बीजेपी को नुकसान होता हुआ दिखा है, लेकिन ये स्थिति तब है जब अभी लोकसभा चुनाव में 3 महीने से ज्यादा का वक्त बाकी है और बीजेपी ने अभी राम मंदिर के मुद्दे को हवा देना शुरू ही किया है. नरेन्द्र मोदी की किसानों को लेकर होने वाले लोकलुभावन वादों की सीरीज भी जारी होने वाली है, ऐसे में सपा-बसपा के लिए जश्न मनाना अभी जल्दबाजी ही कहा जायेगा.
गैर यादव और गैर जाटव वोटों पर बीजेपी की नजर
योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में ओबीसी में उन जातियों का हाल-चाल लिया है जिन्हें अभी तक आरक्षण और सरकारी योजनाओं का कोई फायदा नहीं हुआ है. और ऐसा कहा जा रहा है कि सरकार उन जातियों को चुनाव से पूर्व अतिपिछड़ा श्रेणी में शामिल कर सकती है. यादव वोटबैंक को तोड़ने के लिए यह बिहार के सुशासन बाबू नीतीश कुमार का आजमाया हुआ सफल मॉडल है, जिसका सहारा योगी आदित्यनाथ भी ले सकते हैं.
उसी तरह दलित वोटबैंक को तोड़ने के लिए बीजेपी गैर जाटव जातियों को लुभा सकती है. जैसे बिहार में नीतीश ने दलित के बीच से महादलित बनाया था. इसका मतलब साफ है कि बीजेपी गैर यादव और गैर जाटव वोटों पर नजर गड़ाए हुए है. बिना इस समीकरण को साधे मायावती और अखिलेश को राजनीतिक रूप से ठिकाने लगाना मुश्किल जॉब है.
कांग्रेस पहुंचाएगी नुकसान और भाजपा को होगा फायदा
कांग्रेस को इस गठबंधन में शामिल नहीं किया गया. राहुल गांधी कम से कम अपनी पार्टी के लिए 20 सीटें मांग रहे थे लेकिन अखिलेश और मायावती ने 10 सीटों का ऑफर दिया था. कांग्रेस नहीं मानी क्योंकि उसे अचानक से 2009 चुनाव के नतीजे याद आ गए. 2009 में कांग्रेस को यूपी में 21 लोकसभा सीटें मिली थी जबकि भाजपा 10 सीटों पर सिमट गई थी. सपा को 23 और मायावती को 19 सीटें मिली थी. इस बार बुआ-बबुआ को राहुल गांधी भी नुकसान पहुंचा सकते हैं क्योंकि हो सकता है कि बीजेपी के खिलाफ का जनाधार कांग्रेस की तरफ शिफ्ट हो सकता है. वोटर आशंकित होकर बीजेपी के साथ ही जा सकता है.
योगी सरकार के जनहित के काम
योगी आदित्यनाथ ने 2017 में सरकार बनाने के बाद पहला काम राज्य में किसानों की कर्ज माफी का किया था. लोगों में उनके काम को लेकर एक आम राय नहीं है. ऐसे तमाम लोग मिल जायेंगे जो कहेंगे कि इस सरकार ने अच्छा काम किया है. गन्ना किसानों का भुगतान किया जा चुका है. सड़कें दुरुस्त कर दी गई हैं. अपराधियों को ठिकाने लगाया जा चुका है. ऐसे में क्या बीजेपी अपने मुख्यमंत्री के काम के दम पर सपा-बसपा को जनता के द्वारा खारिज करवा पायेगी.