देश में कोरोना पीक के सारे दावे गलत साबित हुए हैं। कारण कुछ भी हों। मगर विशेषज्ञों के दावों ने सरकारों और जनता को गुमराह ही किया है। उसका कारण यह है कि किसी को वायरस के बारे में यह पता ही नहीं है कि उसकी क्या चाल है और क्या गणनीय स्थिति है। किसी भी विशेषज्ञ ने यह दावा नहीं किया था कि 17 जुलाई तक ही कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 10 लाख के पार पहुंच जाएगा। अलग-अलग संस्था और संस्थानों की ओर से जारी अध्ययन यह बताते हैं कि सरकार ने बेशक लॉकडाउन लगाकर कुछ समय के लिए स्थिति को नियंत्रित कर लिया हो लेकिन वैक्सीन के बिना कोरोना को नियंत्रित नहीं किया जा सकता है।
एकमात्र Dr. Randeep Guleria, director of AIIMS, is proving correct that the number of corona infects may increase in July or corona peak. Delhi's Deputy Chief Minister Manish Sisodia surprised everyone by claiming that 5.5 lakh corona positive cases in Delhi by July। सिसोदिया ने बाद में इस पर सफाई दी थी कि 8 जून को उनकी इस बात का आधार उस वक्त की स्थिति और भारत सरकार के पोर्टल से लिया गया डाटा था। उन्होंने यह आंकड़े जनता को सतर्क करने के लिए साझा किए थे।
स्टडी :
1.कोरोना पीक को लेकर केंद्र सरकार के आंतरिक अध्ययन के आधार पर 11 अप्रैल को पहली बार केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि अगर देशव्यापी लॉकडाउन और कंटेनमेंट नहीं किया गया होता तो कोरोना संक्रमितों की संख्या 15 अप्रैल तक 8 लाख 20 हजार तक पहुंच जाती। देश में लॉकडाउन नहीं करके अगर सिर्फ कंटेनमेंट किया गया होता तो 15 अप्रैल तक कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या एक लाख 20 हजार पहुंचती। इस दिन तक देश में 7528 से ज्यादा लोग कोरोना संक्रमित थे। इनमें से 643 ठीक हो गए थे और 242 लोगों की मौत हो चुकी थी। गलत
2. कोरोना को लेकर केंद्र की ओर से बनाई गए राष्ट्रीय टास्क फोर्स और ग्रुप ऑफ इम्पावर्मेट के चेयरमैन डा. वीके पॉल ने 22 मई को बढ़ती टेस्टिंग के साथ कोरोना के बढ़ते ग्राफ पर कोरोना टास्क फोर्स की ओर से तैयार किए गए सर्वे का हवाला देते हुए कहा कि कोरोना से देश में 37 हजार से लेकर 78 हजार तक मौतें हो सकती थीं। इसके अलावा देश में अभी तक 14 से 29 लाख लोग कोरोना से संक्रमित हो सकते थे। लाखों लोगों में यह संक्रमण इसलिए नहीं फैला क्योंकि हमने फैसला किया कि हम घर की लक्ष्मण रेखा को पार नहीं करेंगे। इस दिन देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 1,18,447 थी। इसमें 66,330 सक्रिय मामले थे, 48,534 लोग ठीक हो चुके थे और 3,583 लोगों की मौत हो चुकी थी। हालांकि बाद में अपने ही सर्वे पर उन्हें सफाई भी देनी पड़ी। गलत
3. भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा गठित ‘ऑपरेशंस रिसर्च ग्रुप’ की ओर से 14 जून को जारी अध्ययन में यह बात सामने आई कि अक्टूबर और मिड नवंबर तक कोरोना संक्रमण अपने शीर्ष (पीक) पर होगा। हालांकि आईसीएमआर की ओर से कहा गया कि ये एक स्वतंत्र स्टडी है, जिसका आईसीएमआर से कोई लेना देना नहीं है। इस अध्ययन में यह बात सामने आई कि देश में वेंटिलेटर सिर्फ सितंबर महीने के तीसरे सप्ताह तक के लिए ही उपलब्ध है, उसके बाद पूरी संभावना है कि हालात बिगड़ जाए। स्टडी में कहा गया कि लॉकडाउन ने देश के हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को दुरूस्त करने का मौका दिया। इस दिन तक भारत में कोरोना संक्रमितों की कुल संख्या 332,424 और मरने वालों की संख्या 9520 हो चुकी थी। गलत
4. हाल का सबसे ताजा अध्ययन बेंगलूरू स्थित आईआईएससी ने 16 जुलाई को जारी किया है। इसमें बताया गया है कि हालत नहीं बिगड़ते हैं तो सबसे बेहतर स्थिति होने पर भी मार्च 2021 तक कुल कोरोना मरीजों की संख्या 37.4 लाख तक पहुंच जाएगी और अगर हालात बुरी स्थिति में पहुंचे तो इस दौरान 6.18 करोड़ लोग कोरोना से संक्रमित होंगे।
आईआईएससी ने संक्रामक महामारी के गणितीय मॉडल के आधार पर 23 मार्च से 18 जून के बीच सामने आए कोरोना संक्रमितों के आधार पर यह अध्ययन जारी किया है। अध्ययन में कहा गया है कि मार्च 2021 के अंत तक भारत में कोरोना वायरस के मामले चरम पर नहीं पहुंचने की संभावना है। भारत में कोरोना वयारस सितंबर के दूसरे हफ्ते या अक्तूबर के महीने तक चरम पर पहुंच सकता है। आईआईएससी ने अपने अनुमान में यह भी कहा है कि अगर कोरोना संक्रमण पर काबू पाना है तो सप्ताह में एक या दो दिन का लॉकडाउन जरूरी है।
आईआईटी बॉम्बे और सिंगापुर यूनिवर्सिटी बता रही खत्म हो जाएगा कोरोना :
1. आईआईटी बॉम्बे ने 13 जुलाई को एक अध्ययन जारी किया है। इसमें स्वीडन, यूके, ब्राजील, इटली, स्पेन,जर्मनी के साथ भारत में कोरोना मृत्यु दर के आंकड़ों का विश्लेषण किया है। इसके अलावा देश में मुंबई, महाराष्ट्र, दिल्ली, चेन्नई, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, गुजरात में कोरोना से होने वाली मौत का आंकलन कर यह निष्कर्ष निकाला है कि 2 सप्ताह से लेकर ढाई महीने के अंदर देश के राज्यों से कोरोना खत्म हो जाएगा। जबकि बिना वैक्सीन वर्तमान परिस्थितयों को देखते हुए यह अध्ययन सही नहीं लगता।
2. सिंगापुर यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी एंड डिजाइन के शोधकर्ताओं ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ड्रिवेन डाटा एनालिसिस के जरिए अध्ययन कर 28 अप्रैल को बताया कि दुनिया से कोरोनावायरस का अंत 9 दिसंबर 2020 तक हो जाएगा। भारत से यह पूरी तरह 26 जुलाई तक खत्म हो जाएगा। अमेरिका में 27 अगस्त तक खत्म होने का अनुमान है। इसी तरह स्पेन में 7 अगस्त तक और इटली में 25 अगस्त तक पूरी तरह से कोरोना समाप्त होगा। शोधकर्ताओं ने यह आकलन दुनियाभर में रोजाना कोरोना के आने वाले नए केस, मौतों और ठीक होने वाले मरीजों के आंकड़ों के तुलनात्मक अध्ययन के आधार पर किया है। इसके मुताबिक दुनिया से कोरोना के 97% केस 30 मई तक, 99% केस 17 जून तक और 100% मामले 9 दिसंबर 2020 को समाप्त हो जाएंगे। भारत से कोरोना के 97% केस 22 मई तक, 99% केस 1 जून और 100% मामले 26 जुलाई 2020 तक समाप्त हो जाएंगे। अगर बात अमेरिका की करें, तो यहां पर कोरोना के 97% केस 12 मई तक, 99% केस 24 मई तक और 100% केस 27 अगस्त 2020 तक खत्म होने का अनुमान है। हालांकि शोधकर्ताओं ने यह स्पष्ट किया है कि उनके अनुमान की समय सीमा में थोड़ा-बहुत परिवर्तन संभव है, क्योंकि अनुमान के मुताबिक चीन में कोरोना खत्म होने का समय 9 अप्रैल 2020 बताया गया था। इसी दिन चीन ने वुहान में लॉकडाउन को खोला था। हालांकि, चीन में अभी भी कुछ मामले आ रहे हैं, लेकिन इनकी संख्या ज्यादा नहीं है।
कोरोना पीक पर किसने क्या कहा :
1. कोविड-19 के खिलाफ काम कर रही नेशनल टास्क फोर्स के चेयरमैन और नीति आयोग के सदस्य डा. वीके पॉल कहते हैं कि हालात कुछ इलाकों में ही खराब हैं, खासकर घनी आबादी वाले शहरों में। हालांकि अभी भी कई इलाके हैं जो वायरस से प्रभावित नहीं हुए हैं। इसलिए हम यह नहीं कह सकते कि पूरा देश कोविड 19 से बुरी तरह प्रभावित है।
2. दिल्ली एम्स के निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया का कहना है कि टेस्टिंग बढ़ने से कोरोना संक्रमितों की संख्या में इजाफा हो रहा है। अगस्त तक इस रफ्तार में कमी हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि जुलाई में कुछ समय संख्या बढ़ने के बाद कमी आएगी। इसका मतलब यह नहीं है कि हमें कोरोना से आजादी से मिल गई है। हो सकता है कि हमें संक्रमण के दूसरे चरण का सामना करना पड़े। चूंकि अब तक कोरोना वायरस को समझने में काफी मदद मिली है। ऐसे में दूसरे चरण से बचने के लिए हम पहले से ही सतर्कता पर ध्यान दे सकते हैं।
3. आईसीएमआर की वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. निवेदिता गुप्ता ने कहा है कि कोरोना भारत में अभी पीक पर नहीं पहुंचा है। न ही यह कम्युनिटी ट्रांसफर की स्टेज में है। उन्होंने कहा कि हाल में दिल्ली और मुंबई में किए गए सिरोलॉजिकल सर्वे में यह पता चला है कि कोरोना संक्रमण लोकल ट्रांसफर स्टेज में है। जिसे कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग और कंटेनमेंट जोन बनाकर लोकल स्टेज पर ही नियंत्रित किया जा रहा है। क्योंकि देश के 10 राज्यों में ही कोरोना के 86 फीसदी संक्रमित रोगी मिले हैं।