कोविड-19 प्रोटोकाल का पालन नहीं करने से स्थिति बिगड़ी, छोटे निषिद्ध क्षेत्र बनाए जाएं : एम्स निदेशक

By भाषा | Published: April 4, 2021 12:18 PM2021-04-04T12:18:00+5:302021-04-04T12:18:00+5:30

Situation deteriorates due to non-compliance of Kovid-19 protocol, small prohibited areas should be created: AIIMS Director | कोविड-19 प्रोटोकाल का पालन नहीं करने से स्थिति बिगड़ी, छोटे निषिद्ध क्षेत्र बनाए जाएं : एम्स निदेशक

कोविड-19 प्रोटोकाल का पालन नहीं करने से स्थिति बिगड़ी, छोटे निषिद्ध क्षेत्र बनाए जाएं : एम्स निदेशक

नयी दिल्ली, चार अप्रैल देश के 11 राज्यों में कोरोना वायरस संक्रमण की स्थिति गंभीर है और आंकड़े चिंता बढ़ाने वाले हैं। नयी दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक रणदीप गुलेरिया का कहना है कि कोविड-19 प्रोटोकाल का पालन नहीं किए जाने से स्थिति बिगड़ी है और स्थिति ठीक वैसी ही होती जा रही है जैसी क्रिसमस के बाद ब्रिटेन में देखने को मिली थी। पेश हैं इस संबंध में उनसे ‘भाषा’ के पांच सवाल और उनके जवाब...

सवाल : कई राज्यों में कोरोना वायरस संक्रमण काफी तेजी से बढ़ रहा है, कुछ राज्यों में स्थिति चिंताजनक है। एक बार संक्रमण के मामले घटने के बाद आई तेजी को आप कैसे देखते हैं?

जवाब : कोरोना वायरस संक्रमण के मामले कम होने के बाद लोग सोचने लगे कि कोविड खत्म हो गया है और टीकाकरण शुरू होने के बाद लापरवाही स्पष्ट रूप से सामने आई। मास्क लगाने, भीड़ एकत्र नहीं करने, दो गज की दूरी बनाए रखने जैसे कोविड प्रोटोकाल की अनदेखी की जाने लगी। टीका आने के बाद तो लोग सोचने लगे कि अब सब ठीक हो गया है। इससे संक्रमण के मामले फिर से बढ़ने लगे।

कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर कितनी प्रभावी है? क्या इसमें वायरस के किसी प्रभावी स्वरूप की कोई भूमिका सामने आई है?

जवाब : वायरस भी लगातार स्वरूप बदल रहा है, हमें मालूम नहीं था कि नया वायरस कितना प्रभावी है। अगर वायरस का कोई नया स्वरूप ऐसे महौल में आए जहां कोविड-19 प्रोटोकाल का पालन नहीं किया जा रहा हो, तब वह काफी तेजी से फैलता है। ऐसी ही स्थिति इस बार देखने को मिली है। इस बार संक्रमण की रफ्तार काफी तेज है और यह चिंता का विषय है। देश में जिस प्रकार कोरोना के आंकड़े एक बार फिर बढ़ रहे हैं, उसे देखते हुए ऐसी आशंका है कि वायरस का कोई ऐसा स्वरूप प्रवेश कर गया हो जो और तेजी से फैल रहा है। ये ठीक ऐसी ही स्थिति दिख रही है जैसी क्रिसमस के बाद ब्रिटेन में सामने आई थी।

सवाल : कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए क्या फिर से लॉकडाउन लगाना व्यावहारिक रहेगा?

जवाब : जिन स्थानों पर कोविड-19 के मामले बढ़ रहे हैं, वहां छोटे निषिद्ध क्षेत्र बनाना या उस इलाके में ‘मिनी लॉकडाउन’ लगाना बेहतर रहेगा। इन क्षेत्रों में इस बात पर ध्यान देना होगा कि कोई वहां से बाहर नहीं निकले और न ही कोई अंदर जाए। यह स्थिति दो हफ्ते तक बनाकर रखनी होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि अभी लोग प्रभावित इलाकों से दूसरे क्षेत्रों में जा रहे हैं और संक्रमण फैल रहा है।

सवाल : क्या कोरोना वायरस रोधी टीका लगाने के लिए उम्र की बाध्यता समाप्त कर दी जानी चाहिए?

जवाब : अगर आदर्श स्थिति हो तब तो सभी लोगों को टीका लगाया जाना चाहिए। लेकिन भारत की बड़ी जनसंख्या को देखते हुए, हमें इस बात पर ध्यान देना होगा कि देश में टीके के उत्पादन की क्या स्थिति है। 18 वर्ष से अधिक उम्र की करीब एक अरब आबादी को देखते हुए हमें दो अरब टीके की खुराक की जरूरत होगी। अभी ‘कोविशील्ड’ और ‘कोवैक्सीन’ दो टीके भारत में बन रहे हैं। इतनी बड़ी संख्या में तत्काल टीके उपलब्ध नहीं हैं। टीके के लिए उम्र की बाध्यता समाप्त करने से ऐसे लोगों को टीका देर से लगने की आशंका रहेगी जिन्हें इसकी पहले जरूरत है। टीके की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए धीरे-धीरे इसे कम उम्र समूह के लोगों के लिए भी खोलना चाहिए।

सवाल : क्या वर्तमान स्थिति को आप कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर का चरमोत्कर्ष (पीक) मानते हैं?

जवाब : वर्तमान स्थिति को कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर का ‘पीक’ नहीं कहा जा सकता। अभी कुछ और समय लगेगा। अभी मामले बढ़ेंगे। ऐसे में लोगों को दो गज की दूरी बनाए रखनी चाहिए और हर समय मास्क पहनना चाहिए।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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