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सिस्टर अभया मामलाः सीबीआई की अदालत ने कैथोलिक पादरी और नन को हत्या का दोषी पाया

By भाषा | Updated: December 22, 2020 19:43 IST

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तिरुवनंतपुरम, 22 दिसंबर केरल के कोट्टयम के सेंट पायस कॉन्वेंट में रहने वाली सिस्टर अभया की सदिंग्ध परिस्थितियों में मौत के 28 साल बाद यहां की एक सीबीआई अदालत ने मंगलवार को एक पादरी एवं नन को उनकी हत्या का दोषी पाया।

सीबीआई के विशेष न्यायाधीश के सनल कुमार ने फैसला सुनाते हुए कहा कि पदारी और नन के खिलाफ हत्या के आरोप साबित हुए हैं।

अदालत ने कैथोलिक चर्च के फादर थॉमस कोट्टूर और सिस्टर सेफी को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) एवं 201 (सबूतों के साथ छेड़छाड़ करना) के तहत दोषी पाया।

अदालत ने फादर कोट्टूर को भारतीय दंड संहिता की धारा 449 (अनधिकार प्रवेश) का दोषी भी पाया।

अदालत सजा की अवधि पर फैसला बुधवार को सुनाएगी।

दोषी जमानत पर हैं और उन्हें कोविड-19 की जांच कराने के बाद हिरासत में ले लिया गया।

फादर कोट्टूर को पूजापुरा की केंद्रीय जेल भेजा गया है जबकि सिस्टर सेफी को यहां अत्ताकुलनगारा महिला जेल भेजा गया है।

यह मामला 21 वर्षीय अभया की संदिग्ध परिस्थिति में हुई मौत से संबंधित है। उनका शव 27 मार्च 1992 को सेंट पायस के एक कुएं से मिला था।

अभया कोट्टयम के बीसीएम कॉलेज में द्वितीय वर्ष की छात्रा थी और कॉन्वेंट में रहती थी।

इस मामले में अन्य आरोपी फादर जोस पुथ्रीक्कयील को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया है।

शुरुआत में मामले की जांच स्थानीय पुलिस और राज्य की अपराध शाखा ने की थी और दोनों ने ही कहा था कि अभया ने खुदकुशी की है।

सीबीआई ने मामले की जांच 29 मार्च 1993 को अपने हाथ में ली और तीन क्लोजर रिपोर्ट दायर की थी तथा कहा था कि यह हत्या का मामला है लेकिन अपराधियों का पता नहीं चल सका है।

बहरहाल, चार सितंबर 2008 को केरल उच्च न्यायालय ने मामले को लेकर सीबीआई को फटकार लगाई थी और कहा था कि एजेंसी "अभी भी राजनीतिक और नौकरशाही की शक्ति रखने वालों की कैदी है" तथा सीबीआई की दिल्ली इकाई को निर्देश दिया था कि वह जांच को कोच्चि इकाई को सौंप दे।

इसके बाद सीबीआई ने फादर कोट्टूर, फादर पूथ्रीक्कयील और नन सेफी को हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया।

अभियोजन के मुताबिक, कोट्टूर और पूथ्रीक्कयील का कथित रूप से सेफी से अवैध संबंध था।

सीबीआई के आरोप पत्र के मुताबिक, 27 मार्च 1992 की रात को अभया ने कोट्टूर और सेफी को कथित रूप से आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया जिसके बाद आरोपियों ने अभया पर कुल्हाड़ी से हमला किया और उसे कुएं में फेंक दिया।

अभया के माता-पिता की कुछ साल पहले मौत हो गई थी। वे अपनी बेटी को इंसाफ दिलाने के इंतजार में ही गुजर गए। उनके भाई अदालत के फैसले से खुश हैं।

इस मामले में सुनवाई पिछले साल 26 अगस्त को शुरू हुई और कई गवाह मुकर गए।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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