करीबी रिश्तेदार की गवाही का महत्व पीड़िता का संबंधी होने के कारण खारिज नहीं किया जाना चाहिए: न्यायालय

By भाषा | Published: September 3, 2021 07:07 PM2021-09-03T19:07:02+5:302021-09-03T19:07:02+5:30

Significance of testimony of close relative should not be dismissed on account of being a relative of victim: SC | करीबी रिश्तेदार की गवाही का महत्व पीड़िता का संबंधी होने के कारण खारिज नहीं किया जाना चाहिए: न्यायालय

करीबी रिश्तेदार की गवाही का महत्व पीड़िता का संबंधी होने के कारण खारिज नहीं किया जाना चाहिए: न्यायालय

उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि किसी मामले में करीबी रिश्तेदारों या संबंधित गवाहों की गवाही के महत्व को पीड़ित का संबंधी होने के आधार पर खारिज नहीं किया जाना चाहिए और कानून उन्हें गवाह के तौर पर पेश किये जाने के लिहाज से अयोग्य करार नहीं देता। न्यायमूर्ति एस ए नजीर और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने गुजरात उच्च न्यायालय का एक आदेश बरकरार रखते हुए यह टिप्पणी की। उच्च न्यायालय ने एक व्यक्ति और उसकी मां को भारतीय दंड संहिता की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाने) और 498-ए (महिला के पति या पति के रिश्तेदार द्वारा उसके साथ क्रूरता करना) के तहत दोषी ठहराया था और दो साल की सजा सुनाई थी। शीर्ष अदालत ने कहा कि अक्सर विवाहित महिलाओं के साथ क्रूरता संबंधी अपराध घर के अंदर किये जाते हैं जिससे किसी स्वतंत्र गवाह के उपलब्ध होने की संभावना ही समाप्त हो जाती है। पीठ ने कहा कि अगर कोई स्वतंत्र गवाह उपलब्ध है तो वह मामले में गवाह बनने का इच्छुक है या नहीं, यह भी एक बड़ा सवाल है क्योंकि सामान्य रूप से कोई स्वतंत्र या ऐसा व्यक्ति कई कारणों से गवाह नहीं बनना चाहेगा जिसका कोई संबंध नहीं हो। पीठ ने कहा कि घरेलू क्रूरता की किसी पीड़िता द्वारा अपनी वेदना को अपने माता-पिता, भाइयों और बहनों तथा ऐसे अन्य करीबी रिश्तेदारों से साझा करना अस्वाभाविक नहीं है। शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘करीबी रिश्तेदारों-संबंधित गवाहों का साक्ष्यगत महत्व पीड़िता का रिश्तेदार होने के आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता।’’ अभियोजन के अनुसार गुमानसिंह चौहान का मृतक के साथ 27 अप्रैल, 1997 को विवाह हुआ था। विवाह के बाद मृतक अपनी ससुराल में रह रही थी लेकिन उसका पति भैंस खरीदने के लिए अपने पिता से 25,000 रुपए लाने के लिए लगातार दबाव डाल रहा था। इस मांग और ससुराल में लगातार उत्पीड़न से तंग आकर इस महिला ने 14 दिसंबर, 1997 को आत्महत्या कर ली थी।

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