जम्मू-कश्मीरः क्षीर भवानी मेले पर लॉकडाउन और कोविड का असर, 18 जून को पूजा, कश्मीरी पंडित लेते हैं भाग
By सुरेश एस डुग्गर | Published: June 14, 2021 03:31 PM2021-06-14T15:31:23+5:302021-06-14T15:33:04+5:30
जम्मू-कश्मीरः तीर्थस्थान की देखरेख करने वाले धर्मार्थ ट्रस्ट के अधिकारियों का कहना था कि उनकी ओर से मेले की तैयारियां पूरी की जा चुकी हैं और वे सिर्फ जिला प्रशासन के फैसले का इंतजार कर रहे हैं। इस बार यह मेला 18 जून को संपन्न होना है।
जम्मूः कश्मीरी पंडितों के सबसे बड़े मेले क्षीर भवानी को संपन्न करवाने की तैयारियां तो पूरी हो चुकी हैं, पर इसके आयोजन के प्रति प्रशासन की ओर से अभी तक कोई संकेत भी नहीं दिया गया है।
हालांकि इस तीर्थस्थान की देखरेख करने वाले धर्मार्थ ट्रस्ट के अधिकारियों का कहना था कि उनकी ओर से मेले की तैयारियां पूरी की जा चुकी हैं और वे सिर्फ जिला प्रशासन के फैसले का इंतजार कर रहे हैं। इस बार यह मेला 18 जून को संपन्न होना है।
यही कारण था कि आशंका प्रकट की जा रही थी कि इस बार ज्येष्ठ अष्टमी पर 18 जून को कश्मीर में गंदरबल स्थित तुलमुल्ला स्थित क्षीर भवानी के मंदिर में शायद ही कश्मीरी पंडितों को पूजा अर्चना की अनुमति मिल पाए क्योंकि फिलहाल कश्मीर घाटी के अधिकतर जिले कोरोना के कारण हालात खराब हें।
इसी प्रकार लाकडाऊन के कारण धार्मिक गतिविधियों पर लगी रोक के चलते जम्मू में भवानी नगर स्थित माता क्षीर भवानी मंदिर में जाकर कश्मीरी पंडित पूजा अर्चना नहीं कर पाएंगे। इसके बजाय इस बार उन्हें अपने घरों में ही रहकर माता क्षीर भवानी की आराधना करनी होगी। इस दिन मेला भी नहीं लगेगा।
फिलहाल तुलमुल्ला स्थित मंदिर में पूजा को लेकर प्रशासन द्वारा चुप्पी साधी गई है पर जम्मू के मंदिर की पूजा अर्चना के प्रति माता राघेन्या के स्थापना दिवस पर अघ्र्द्धरात्रि महाराघेन्य सेवा संस्थान (क्षीर भवानी मंदिर) ने फैसला किया है कि उसके तीन सदस्य ही मंदिर में दीप जलाकर पूजा-अर्चना करेंगे। सिर्फ यही लोग मंदिर के जलकुंड में दूध, खीर व फूल अर्पित करेंगे।
याद रहे मध्य कश्मीर के गंदरबल जिले के तुलमुल्ला में स्थित माता क्षीर भवानी मंदिर की तर्ज पर जम्मू में भी माता का मंदिर बनाया गया है। आतंकवाद के दौरान 1990 में कश्मीरी पंडितों की बड़ी आबादी कश्मीर से पलायन कर जम्मू में आ गई थी। इन लोगों को घाटी के तुलमुल्ला स्थित माता क्षीर भवानी मंदिर (राघेन्या माता मंदिर) से विमुख होना पड़ा था।
जम्मू आए इन पंडितों ने तब तुलमुल्ला में स्थित ऐतिहासिक मंदिर की तर्ज पर ही जम्मू के भवानी नगर में माता क्षीर भवानी का मंदिर बनाया। तब से यहां भी कश्मीर की तरह हर साल ज्येष्ठ अष्टमी पर मेला लगता है। हर वर्ष इसमें हजारों कश्मीरी पंडित भाग लेते हैं। कश्मीरी पंडितों का मानना है कि माता राघेन्या को श्रीराम के भक्त हनुमान जी श्रीलंका से कश्मीर के तुलमुल्ला में आए थे।
तुलमुला में ज्येष्ठ अष्टमी पर ही माता स्थापित हुई थीं। तब लोगों ने खुशी में खीर बनाई व माता को भोग लगाया। जगटी टेनमेंट कमेटी व सोन कश्मीर के प्रधान शादीलाल पंडिता का कहना है कि कश्मीरी पंडित तुलमुल्ला मंदिर में ही माता की पूजा करते आए हैं। हर साल खीर बनाकर माता को भोग लगाया जाता है।
इसलिए इनको माता क्षीर भवानी भी कहा जाता है। ज्येष्ठ अष्टमी पर कश्मीरी पंडित मंदिर परिसर में बने कुंड में खीर, दूध व फूल का अर्पित करते हैं। दीप जलाकर पूजा करते हैं। पर इस बार वे इससे वंचित ही रहेंगें। जानकारी के लिए क्षीर भवानी मंदिर श्रीनगर से 27 किलोमीटर दूर तुलमुल्ला गांव में स्थित है। ये मंदिर मां क्षीर भवानी को समर्पित है।
यह मंदिर कश्मीर के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। मां दुर्गा को समर्पित इस मंदिर का निर्माण एक बहती हुई धारा पर किया गया है। इस मंदिर के चारों ओर चिनार के पेड़ और नदियों की धाराएं हैं, जो इस जगह की सुंदरता पर चार चांद लगाते हुए नज़र आते हैं। ये मंदिर, कश्मीर के हिन्दू समुदाय की आस्था को बखूबी दर्शाता है।