2019 से पहले ये बड़ी पार्टियां छोड़ सकती हैं BJP का साथ, पतन की ओर बढ़ रहा है NDA!
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: June 20, 2018 08:12 PM2018-06-20T20:12:13+5:302018-06-20T20:13:29+5:30
वर्तमान में राजग के कुल सहयोगी सदस्य दलों की संख्या 47 है। लेकिन तेलगू देशम पार्टी (टीडीपी) और पीडीपी के अलग होने के बाद लोकसभा में मात्र 11 दलों की मौजूदगी बचती है।
नई दिल्ली, 20 जूनः राजनैतिक उठा पटक के इस कमज़ोर दौर में देश के सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने पीपुल्स डेमोक्रटिक पार्टी (पीडीपी) से तीन वर्ष पूर्व गठबंधन तोड़ दिया। हालांकि इसका राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) पर ख़ास प्रभाव शायद ही पड़े। क्योंकि पीडीपी के पास केवल एक ही सांसद है। लेकिन 2019 के लिहाज से एनडीए के गठबंधन की कड़ी में एक दरार ज़रूर कहा जा सकता है। भले भाजपा ने स्वयं पीडीपी से गठबंधन तोड़ने की बात कही हो पर यह टूट उस समय हुई है जब राजग के तमाम सहयोगी दलों का भाजपा से मोहभंग होता नज़र आ रहा है।
वर्तमान में राजग के कुल सहयोगी सदस्य दलों की संख्या 47 है। लेकिन तेलगू देशम पार्टी (टीडीपी) और पीडीपी के अलग होने के बाद लोकसभा में मात्र 11 दलों की मौजूदगी बचती है। राजनैतिक वैमनस्य की श्रृंखला में सबसे पहले आती है और हाल ही में शिवसेना प्रमुख द्वारा दिए गए तमाम बयानों के आधार पर शिवसेना का मत गठबंधन को लेकर स्पष्ट रूप से प्रतिरोधी प्रतीत होता है।
हाल फिलहाल में भाजपा अध्यक्ष और शिवसेना प्रमुख के मध्य हुई वार्ता में भी तस्वीर स्पष्ट नहीं हो पाई और इस तस्वीर में 272 सीटों वाली भाजपा साफ – साफ़ बैकफुट पर है। शिवसेना के अतिरिक्त शिरोमणि अकाली दल, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी और जनता दल यूनाईटेड का मत देश के सत्ताधारी गठबंधन “राजग” के प्रति सहयोगी नज़र नहीं आता और इतना कुछ तब हो रहा है जब 2019 के आम चुनाव में मात्र नौ से दस माह शेष हैं। गठबंधन की गणित को समझने के लिए राजग में मौजूद सभी दलों की लोकसभा में हिस्सेदारी जानना बेहद ज़रूरी है।
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272 सीटों के साथ राजग का सबसे बड़ा दल है भाजपा। दक्षिण और पूर्व के राज्यों से राजग के हिस्से में मात्र एक सीट आती है । इसके बाद सीटों के लिहाज़ से सबसे बड़ा दल है शिवसेना जिसके कुल 18 सांसद हैं। शिरोमणि अकाली दल के 4, लोक जनशक्ति पार्टी के 6, राष्ट्रीय लोकसत्ता पार्टी के 3 सांसद और अंत में अपना दल तथा जनता दल के 2 –2 सांसद हैं। शिवसेना के अलावा अगर बात की जाए शिअद, जदयू और रालोसपा की और से भी गठबंधन के लिए नकारात्मक संकेत मिल रहे हैं।
गौर करने वाली बात यह है कि 2019 के आम चुनावों की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है ऐसे में राजनीति के मैदान में टूटने और जुड़ने का दंगल कोई आश्चर्य की बात नहीं है। निसंदेह आगामी चुनाव में अनेक नवीन समीकरण बनेंगे और उन समीकरणों की इमारत की नींव इन छोटी – मोटी, उठा - पटक को ही मानिए। भाजपा के लिए बेशक चुनौतियों की फेरहिस्त बड़ी है क्योंकि पूरा विपक्ष 2019 के आम चुनाव के लिए एक मंच साझा करता नज़र आ रहा है । वहीं विपक्ष के सामने सबसे बड़ी राजनैतिक दुविधा यही होगी कि महागठबंधन की इस बड़ी तस्वीर का सबसे प्रबल चेहरा कौन होगा?