नई शिक्षा नीति पर कांग्रेस नेता शशि थरूर ने उठाए सवाल, कहा- इसे पहले संसद में बहस के लिए क्यों नहीं लाया गया? 

By पल्लवी कुमारी | Published: July 31, 2020 08:50 AM2020-07-31T08:50:29+5:302020-07-31T08:50:29+5:30

नई शिक्षा नीति में पांचवीं कक्षा तक मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई, बोर्ड परीक्षा के भार को कम करने, विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में परिसर खोलने की अनुमति देने, विधि और मेडिकल को छोड़कर उच्च शिक्षा के लिये एकल नियामक बनाने, विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिये साझा प्रवेश परीक्षा आयोजित करने सहित स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक अनेक सुधारों की बात कही गई है।

Shashi Tharoor on New Education Policy 2020 NEP says why COVID-19 lockdown without having come to the parliament | नई शिक्षा नीति पर कांग्रेस नेता शशि थरूर ने उठाए सवाल, कहा- इसे पहले संसद में बहस के लिए क्यों नहीं लाया गया? 

Shashi Tharoor (File Photo)

Highlightsकेंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार (29 जुलाई को नई शिक्षा नीति को मंजूरी दी है।शशि थरूर ने कई बार यह भी कहा है कि नई शिक्षा नीति में कई बातें अच्छी हैं लेकिन कुछ विषय ऐसे भी हैं, जिसको लेकर चिंता की जा सकती है। 

नई दिल्ली: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लाई गई नई शिक्षा नीति पर देश में बहस जारी है। इसी बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद शशि थरूर ने नई शिक्षा नीति पर सवाल उठाए हैं। शशि थरूर ने ट्वीट कर कहा है कि इस पहले संसद में बहस के लिए क्यों नहीं लाया गया? शशि थरूर ने यह भी कहा है कि अचानक से कोरोना वायरस लॉकडाउन के दौरान कैबिनेट में बैठक कर पास क्यों कर दिया गया?  शशि थरूर ने कहा है कि ऐसा लगता है कि ये सरकार बिल्कुल भी भूल गई है कि देश में एक संसदीय प्रणाली है और उसका कुछ भी काम होता है। 

शशि थरूर ने यह सवाल उठाए हैं कि नई शिक्षा नीति को लागू तो कर दिया गया है। लेकिन चुनौती इस बात की है कि उसे पूरा कैसे किया जाएगा। शशि थरूर ने कहा है कि कई बार वित्त मंत्रालय ने शिक्षा मंत्रालय के बजट को लेकर असमर्थता जताई है। 

हालांकि शशि थरूर ने कई बार यह भी कहा है कि नई शिक्षा नीति में कई बातें अच्छी हैं लेकिन कुछ विषय ऐसे भी हैं, जिसको लेकर चिंता की जा सकती है। 

शशि थरूर ने कहा है कि उन्हें खुशी है कि सरकार ने शिक्षा नीति बदलने का फैसला किया, इसका इंतजार भी था। लेकिन अभी भी सवाल है कि GDP का 6 फीसदी बजट रखने का जो टारगेट है, वो कैसे पूरा होगा। क्योंकि वित्त मंत्रालय ने लगातार शिक्षा मंत्रालय का बजट घटाया है। 

नई शिक्षा नीति पर विशेषज्ञों की क्या है राय, जानिए

नई शिक्षा नीति को लेकर शिक्षाविदों और विशेषज्ञों की मिश्रित प्रतिक्रिया आई है। उनमें से कई ने जहां इसे बहुप्रतीक्षित और महत्वपूर्ण सुधार बताया है, वहीं कुछ अन्य ने कहा कि बारीकी से विश्लेषण पर ही इसके गुण-दोष का पता चलेगा और उम्मीद जताई कि जमीन पर इसे उतारा जाएगा।

-आईआईटी दिल्ली के निदेशक रामगोपाल राव ने नई नीति को भारत में उच्च शिक्षा के लिये ‘‘मोरिल क्षण’’ करार दिय । अमेरिका में उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने और कृषि, गृह अर्थशास्त्र, यांत्रिक कला और अन्य पेशों के बारे शिक्षित करने के लिये 1862 में मोरिल अधिनियम पारित किया गया था। उन्होंने कहा कि सभी मंत्रालयों की सहभागिता से राष्ट्रीय शोध कोष के सृजन से हमारा अनुसंधान प्रभावी होगा और समाज में इसका असर दिखेगा।

-आईआईएम संभलपुर के निदेशक महादेव जायसवाल ने कहा कि 10+2 प्रणाली से 5+3+3+4 प्रणाली की ओर बढ़ना अंतरराष्ट्रीय शैक्षणिक मानदंडों के अनुरूप है। उन्होंने कहा, हमारे आईआईएम और आईआईटी के ढांचे छोटे होने के कारण काफी प्रतिभा होने के बावजूद वे दुनिया के शीर्ष 100 संस्थानों की सूची में नहीं आ पाते हैं। तकनीकी संस्थानों के बहु विषयक बनने से आईआईएम और आईआईटी को मदद मिलेगी।

-दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति दिनेश सिंह ने कहा कि यह नीति कौशल और ज्ञान के मिश्रण से स्वस्थ माहौल सृजित करेगी। उन्होंने कहा कि नीति में कुछ ऐसे सुधार हैं जिनकी लम्बे समय से प्रतीक्षा की जा रही थी। यह विभिन्न संकायों और विषयों के मेल का मार्ग प्रशस्त करेगी और इससे पठन-पाठन एवं विचारों तथा वास्तविक दुनिया में इनके उपयोग को बढ़ावा मिलेगा।

-ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन की महानिदेशक रेखा सेठी ने कहा, नई शिक्षा नीति शिक्षा के क्षेत्र में आपूर्ति और देश में उच्च शिक्षा के नियमन संबंधी जटिलताओं को दूर करेगी और सभी छात्रों के लिये समान अवसर प्रदान करेगी। कोविड-19 के बाद के समय में डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देने का कदम महत्वपूर्ण है।

Web Title: Shashi Tharoor on New Education Policy 2020 NEP says why COVID-19 lockdown without having come to the parliament

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