तृणमूल कांग्रेस के सांसद शांतनु सेन को संसद के मानसून सत्र से निलंबित कर दिया गया है। शांतनु सेन ने 'असंसदीय तरीके से' निलंबित करने के लिए केंद्र की भाजपा सरकार का धन्यवाद व्यक्त किया है। साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार इस तरह की तरकीबों से उनकी आवाज को दबा नहीं सकती है। सेन ने गुरुवार को सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव के हाथ से पेगासस विवाद से संबंधित बयान छीनकर फाड़ दिया था। जिसके बाद शुक्रवार को उन्हें मानसून सत्र की शेष अवधि के लिए राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया।
भाजपा की बंगाल इकाई ने कहा कि सेन के आचरण से राज्य की छवि धूमिल हुई है। सरकार द्वारा लाया गया प्रस्ताव ध्वनि मत से पारित होने के बाद सेन को निलंबित कर दिया गया। संसदीय कार्य राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने आज सेन के निलंबन के संबंध में एक प्रस्ताव पेश किया जिसके पारित होने के बाद सभापति एम वेंकैया नायडू ने तृणमूल कांग्रेस के सांसद को सदन से बाहर जाने को कहा।
नायडू ने कहा, 'प्रस्ताव मंजूर किया गया...डॉक्टर शांतनु सेन सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित किए गए हैं।' उन्होंने कहा, 'शांतनु सेन अब आप सदन से बाहर चले जाएं।'
इसे लेकर सेन ने ट्वीट किया, 'मुझे बहुत ही असंसदीय तरीके से संसद से निलंबित करने के लिए नरेंद्र मोदी और भाजपा सरकार का धन्यवाद। लेकिन यकीन मानिए कि ममता जी और तृणमूल कांग्रेस की आवाज को दबाया नहीं जा सकता।'
वहीं, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस के सांसद ने राज्य की छवि खराब की है। उन्होंने कहा, 'तृणमूल कांग्रेस ने अपनी हिंसक और भ्रष्ट राजनीति से राज्य की छवि धूमिल की है। दिल्ली में भी, तृणमूल कांग्रेस के सांसद अपनी हरकतों से राज्य की छवि खराब कर रहे हैं।'