Coronavirus: शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों ने सुप्रीम कोर्ट को लिखा पत्र, कहा- 'जबरन हटाया गया, ऐसे कदम गैरजरूरी, मामले की हो जांच'
By विनीत कुमार | Published: March 26, 2020 09:20 AM2020-03-26T09:20:57+5:302020-03-26T09:21:50+5:30
Coronavirus: कोरोना महामारी को देखते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने पूरे देश में 24 मार्च से 21 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा की है। इस दौरान लोगों को घरों में रहने की हिदायत दी गई है।
कोरोना वायरस खतरे के कारण राजधानी दिल्ली में लॉकडाउन (बंद) के बीच दिल्ली पुलिस ने शाहीनबाग में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन पर बैठे लोगों को 24 मार्च को वहां से हटा दिया। अब कुछ प्रदर्शनकारियों पुलिस के इस कदम को लेकर सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखा है।
इस पत्र में प्रदर्शनकारियों ने कहा है कि उन्हें वहां से जबरन हटाया गया और इस मामले की जांच होनी चाहिए। साथ ही उन्होंने लिखा है जब कोरोना जैसी महामारी फैली हो तब पुलिस के ऐसे असंगत कदम गैरजरूरी थे।
प्रदर्शनकारियों के पत्र में कहा गया है कि कोरोना वायरस से उपजे संकट को देखते हुए उन्होंने पहले ही इस क्षेत्र को खाली करने का फैसला कर लिया था। ये भी फैसला लिया गया था कि विरोध प्रदर्शन को सांकेतिक तौर पर जारी रखने के लिए दो से तीन महिलाएं यहां मौजूद रहेंगी। पत्र ये अनुसार ये महिलाएं जरूरी दूरी भी बना कर रख रही थीं ताकि संक्रमण का खतरा नहीं हो।
Shaheen Bagh protestors have written a letter to the Supreme Court seeking an investigation into the alleged forcible removal and destruction of Shaheen Bagh protest site on March 24, and have sought a direction from the SC for citizens' rights. pic.twitter.com/8mWOS4cNbL
— ANI (@ANI) March 25, 2020
गौरतलब है कि शाहीन बाग के प्रदर्शनकारी करीब तीन महीने पहले नोएडा और दक्षिणी दिल्ली को जोड़ने वाली एक महत्वपूर्ण सड़क पर धरने पर बैठ गए थे। पुलिस के अनुसार जब स्थल को खाली कराया गया तब वहां पुरुषों सहित करीब 50 प्रदर्शनकारी थे। पुलिस ने शाहीनबाग प्रदर्शन स्थल को खाली कराने के बाद छह महिलाओं समेत कुल नौ प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेकर पास के थाने भी ले जाया गया था।
बता दें कि कोरोना वायरस फैलने के बाद, दिल्ली सरकार ने राजनीतिक सहित सभी प्रकार की सभा पर प्रतिबंध लगा दिया है। दिल्ली पुलिस ने सीआरपीसी की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा भी लागू की है, जो 31 मार्च तक राष्ट्रीय राजधानी में एक स्थान पर चार या अधिक लोगों के एकत्रित होने पर रोक लगाती है। देश में कोरोना वायरस के मामले बढ़कर 600 से ज्यादा हो गए हैं।
इससे पहले रविवार को 'जनता कर्फ्यू' के दौरान केवल पांच महिलाएं धरना स्थल पर थीं, जबकि अन्य ने अपनी चप्पल को एकजुटता के प्रतीक के रूप में छोड़ दी थीं। अज्ञात व्यक्तियों ने रविवार को धरनास्थल के पास 'ज्वलनशील पदार्थ' फेंका था, लेकिन वहां मौजूद पांच महिला प्रदर्शनकारियों में से कोई भी घायल नहीं हुआ था।
बताते चलें कि कोरोना महामारी को देखते हुए पीएम मोदी ने पूरे देश में 24 मार्च से 21 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा की है। इस दौरान लोगों को घरों में रहने की हिदायत दी गई है। हालांकि, जरूरी सेवाएं लोगों को मिलती रहेंगी।
(भाषा इनपुट)