भारतीय करते हैं लड़के-लड़की में भेदभाव, एक दशक में हुई 24 लाख बेटियों की मौत: रिपोर्ट
By स्वाति सिंह | Published: May 21, 2018 02:50 PM2018-05-21T14:50:13+5:302018-05-21T14:57:19+5:30
लैनसेट ने अपनी स्टडी में भारत के 640 जिलों को लेकर ये स्टडी किया था, जिसमे रिसर्चर ने अपनी रिपोर्ट में लिखा "लड़कियों के लैंगिक भेदभाव केवल उन्हें जन्म से नहीं रोकता है, बल्कि उनके जन्म लेने के बाद भी समस्या जारी रहती है।
नई दिल्ली, 21 मई: एक रिपोर्ट में पाया गया है कि भारत में हर साल लिंग भेदभाव के आधार पर पांच साल से कम उम्र की लगभग 2.39 लाख लड़कियां मार दी जाती हैं। रिपोर्ट की माने तो तो बीते दशक में 24 लाख बेटियों की मौत हो चुकी है। बता दें कि इस रिपोर्ट में 2.39 लाख भ्रूण हत्या मामले को शामिल नहीं किया गया है।
यह आकड़ें मेडिकल जर्नल लैनसेट की स्टडी से सामने आए हैं। लैनसेट ने अपनी स्टडी में भारत के 640 जिलों को लेकर ये स्टडी किया था, जिसमे रिसर्चर ने अपनी रिपोर्ट में लिखा "लड़कियों के लैंगिक भेदभाव केवल उन्हें जन्म से नहीं रोकता है, बल्कि उनके जन्म लेने के बाद भी समस्या जारी रहती है।'उन्होंने आगे लिखा "लिंग समानता केवल शिक्षा, रोजगार या राजनीतिक प्रतिनिधित्व के अधिकारों के बारे में नहीं है बल्कि यह देखभाल, टीकाकरण, और लड़कियों के पोषण के बारे में भी है।"
रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 5 साल से कम उम्र की लडकियों के मृत्युदर में पिछले साल की तुलना में इजाफा हुआ है। वहीं साल 2000 से साल 2005 के बीच 1000 में से 18.5 लड़कियों की मृत्यु जन्म के समय ही हो गई थी। लैंगिक भेदभाव के आधार पर मरने वाली लड़कियों की संख्या ज्यादाटार इन राज्यों में से है-उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान और मध्यप्रदेश।
लैनसेट ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि लैंगिक भेदभाव की वजह से भारत में लड़कियों की समस्याएं नजरअंदाज होती हैं। भारत में फिलहाल 107 लड़कों पर 100 लड़कियों का लिंग अनुपात है।