जी-20 की बैठक से पहले जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा कड़ी, राज्य के इतिहास में खूनी तारीख के रूप में दर्ज है 21 मई

By सुरेश एस डुग्गर | Published: May 19, 2023 03:02 PM2023-05-19T15:02:00+5:302023-05-19T15:11:03+5:30

जी20 की बैठक से पहले 21 मई को जम्मू-कश्मीर में खूनी इतिहास की तारीख माना जाता है। ऐसे में कश्मीरी इस दिन को याद करने से भी डरते हैं।

Security tightened in Jammu and Kashmir ahead of G-20 meeting May 21 is recorded as a bloody date in the history of the state | जी-20 की बैठक से पहले जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा कड़ी, राज्य के इतिहास में खूनी तारीख के रूप में दर्ज है 21 मई

फाइल फोटो

Highlightsजम्मू-कश्मीर में जी20 की बैठक का आयोजन किया जाने वाला हैघाटी में कार्यक्रम को देखते हुए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैंजी20 की बैठक से पहले 21 मई को जम्मू-कश्मीर में खूनी इतिहास की तारीख माना जाता है

श्रीनगर: जी-20 की बैठक 22 मई से आरंभ हो रही है। तीन दिवसीय बैठक से पहले के एक दिन, 21 मई को भूला नहीं जा सकता जिसका जम्मू कश्मीर के आतंकवाद के दौर के इतिहास में अपना ही एक खूनी इतिहास है।

जानकारी के लिए, वर्ष 2006 में 21 मई को श्रीनगर में कांग्रेस की रैली पर होने वाला हमला कश्मीर के इतिहास में कोई पहला हमला नहीं था।

किसी जनसभा पर आतंकी हमले का कश्मीर का अपना उसी प्रकार एक रिकार्ड है जिस प्रकार कश्मीर में 21 मई को होने वाली खूनी घटनाओं का इतिहास है।

आम कश्मीरी तो 21 मई को सताने वाला दिन कहते हैं जब हर वर्ष आग बरसती आई है। यही कारण था कि जी-20 की बैठक के लिए जो त्रिस्तरीय सुरक्षा प्रबंधों को अंतिम रूप दिया गया है उसमें 21 मई को भी मद्देनजर रखा गया है।

हालांकि, इस बार किसी भी आतंकी या अलगाववादी ग्रुप ने 21 मई को हड़ताल का आह्वान नहीं किया है। कश्मीर में रैलियों और जनसभाओं पर हमले करने की घटनाएं वैसे पुरानी भी नहीं हैं।

इसकी शुरूआत वर्ष 2002 में ही हुई थी जब पहली बार आतंकियों ने 21 मई के ही दिन श्रीनगर के ईदगाह में मीरवायज मौलवी फारूक की बरसी पर आयोजित सभा पर अचानक हमला बोल कर पीपुल्स कांफ्रेंस के तत्कालीन चेयरमेन प्रो अब्दुल गनी लोन की हत्या कर दी थी।

वर्ष 2002 में ही उन्होंने करीब 14 रौलियों व जनसभाओं पर हमले बोले। इनमें 37 से अधिक लोग मारे गए थे। सबसे अधिक हमले 11 सितम्बर को बोले गए थे जिसमें तत्कालीन कानून मंत्री मुश्ताक अहमद लोन भी मारे गए थे।

हालांकि उसी दिन कुल 9 चुनावी रैलियों पर हमले बोले गए थे जिसमें कई मासूमों की जानें चली गई थीं। इतना जरूर है कि वर्ष 2006 में 21 मई को हुआ हमला कश्मीरियों को फिर यह याद दिला गया था कि 21 मई के साथ कश्मीर का खूनी इतिहास जुड़ा हुआ है।

आतंकवाद की शुरूआत के साथ ही 21 मई कश्मीरियों को कचोटती रही है। ऐसा इसलिए है क्योंकि अगर 25 साल पहले आतंकवादियों ने 21 मई के दिन हुर्रियत के अध्यक्ष मीरवायज उमर फारूक के अब्बाजान मीरवायज मौलवी फारूक की नगीन स्थित उनके निवास पर हत्या कर दी थी।

इस हत्या के बाद ही कश्मीर में आतंकवाद ने नया मोड़ लिया था और आज यह इस दशा में पहुंचा है।

Web Title: Security tightened in Jammu and Kashmir ahead of G-20 meeting May 21 is recorded as a bloody date in the history of the state

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