कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए वैज्ञानिकों ने विकसित की नैनोपार्टिकल वैक्सीन, जानें इसके बारे में सबकुछ
By अनुराग आनंद | Published: November 4, 2020 11:04 AM2020-11-04T11:04:09+5:302020-11-04T11:15:22+5:30
शोधकर्ताओं का कहना है कि उन्होंने जो नैनोपार्टिकल प्रयोगात्मक टीका तैयार किया है, वह कोरोना के दूसरे संभावित टीकों के मुकाबले दस गुना ज्यादा ताकतवर है।
नई दिल्ली: दुनिया भर में फैल रहे कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए अब तक कोई भी डब्लूएचओ द्वारा प्रमाणित वैक्सीन विकसित नहीं हो पाया है। कई देशों के वैज्ञानिक कोरोना वायरस वैक्सीन ट्रायल तैयार करने की प्रक्रिया में लगे हुए हैं।
इंडिया टुडे की मानें तो कोरोना मरीज के शरीर की एंटीबॉडीज से दस गुना ज्यादा सुरक्षा देने वाला कोविड-19 का एक प्रयोगात्मक टीका विकसित किया गया है। यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन स्कूल ऑफ मेडिसिन के वैज्ञानिकों को यह सफलता मिली है।
यह एक नैनोपार्टिकल वैक्सीन है, जिसका प्रारंभिक परीक्षण चूहों पर सफल रहा। अब इस प्रयोगात्मक टीके का मानव परीक्षण किया जाएगा। यह शोध सेल पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
मरीजों के ठीक हो जाने के बाद उसके शरीर में एंटीबॉडीज पैदा होती है-
कोरोना वायरस से संक्रमित हुए मरीजों के ठीक हो जाने के बाद उसके शरीर में एंटीबॉडीज पैदा हो जाती हैं, जो उस व्यक्ति को दोबारा वायरस के हमले से लड़ने में मदद करती हैं।
इस शोध में वैज्ञानिकों ने जो नैनोपार्टिकल वैक्सीन तैयार की है, उससे शरीर में विकसित होने वाली एंटीबॉडीज की संख्या संक्रमित होकर ठीक हो चुके व्यक्ति की एंटीबॉडीज से दस गुना ज्यादा है।
यानी इस प्रयोगात्मक टीके की खुराक शरीर में जाने पर पैदा होने वाली एंटीबॉडीज दस गुना ज्यादा शक्ति से वायरस के खिलाफ लड़ सकती हैं।
भारत ने कोरोना वायरस वैक्सीन की 60 करोड़ खुराक का प्री-ऑर्डर कर रखा है-
कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच दुनियाभर के देश अपने नागरिकों के लिए वैक्सीन की खुराक तय करने में लगे हैं। कोरोना से प्रभावित कई देश आबादी के हिसाब से वैक्सीन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए पुरजोर कोशिश में लगे हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत ने कोरोना वैक्सीन की 60 करोड़ खुराक का प्री-ऑर्डर कर रखा है। इसके अलावा करीब 100 करोड़ खुराक और पाने की कोशिश चल रही है।
भारत की गिनती वैक्सीन बनाने के मामले में दुनिया के शीर्ष देशों में होती है। यहां की वैक्सीन निर्माता कंपनियों की उत्पादन क्षमता का भी फायदा देश को मिलेगा।