उच्चतम न्यायालय ने कहा, जंगल की आग एक गंभीर मुद्दा, बारिश के लिए प्रार्थना करें, कॉर्बेट नेशनल पार्क और राजाजी नेशनल पार्क खतरे में
By भाषा | Published: June 18, 2019 08:22 PM2019-06-18T20:22:42+5:302019-06-18T20:22:42+5:30
न्यायालय ने कहा, ‘‘यह एक गंभीर मुद्दा है और इस बीच, बारिश के लिए प्रार्थना करें।’’ वकील ऋतुपर्ण उनियाल ने मामले की तत्काल सुनवाई की मांग की जिसके बाद न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की एक अवकाशकालीन पीठ ने मामले को सुनवाई के लिए 24 जून को सूचीबद्ध कर दिया।
उच्चतम न्यायालय उत्तराखंड में वनों, वन्यजीवों और पक्षियों को जंगल की आग से बचाने के लिए तत्काल उचित कदम उठाने के लिए दायर की गई एक याचिका की 24 जून को सुनवाई करने पर मंगलवार को सहमत हो गया।
न्यायालय ने कहा, ‘‘यह एक गंभीर मुद्दा है और इस बीच, बारिश के लिए प्रार्थना करें।’’ वकील ऋतुपर्ण उनियाल ने मामले की तत्काल सुनवाई की मांग की जिसके बाद न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की एक अवकाशकालीन पीठ ने मामले को सुनवाई के लिए 24 जून को सूचीबद्ध कर दिया।
पीठ ने कहा, ‘‘हम याचिका को सोमवार (24 जून) के लिए सूचीबद्ध कर रहे हैं। यह एक गंभीर मुद्दा है और इस बीच बारिश के लिए प्रार्थना करें।’’ उनियाल ने गत शुक्रवार को शीर्ष अदालत में याचिका दायर करके उत्तराखंड के वनों, वन्यजीवों और पक्षियों को जंगल की आग से बचाने के लिये तत्काल उचित कदम उठाने का अनुरोध किया था।
याचिका में कहा गया था कि राज्य के जंगलों में आग लगने की घटनायें लगातार बढ़ रही हैं और इससे पर्यावरण को बहुत अधिक नुकसान हो रहा है। याचिका में केन्द्र, उत्तराखंड सरकार और राज्य में प्रधान मुख्य वन संरक्षक को जंगलों में आग की रोकथाम के लिये नीति तैयार करने और आग लगने से पहले ही इससे निपटने की व्यवस्था करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
याचिका में इस मामले की जांच एक स्वतंत्र एजेंसी से कराने की भी मांग की गई है। इसमें कहा गया है कि उत्तराखंड के जंगलों में आग लगना एक नियमित घटना हो गयी है। हर साल राज्य के जंगलों में आग लगने से वनों का पारिस्थितिकी तंत्र, वनस्पति की विविधता और आर्थिक संपदा को बहुत अधिक नुकसान होता है।
उत्तराखंड के जंगलों के नष्ट होने का एक बड़ा कारण दावानल है। याचिका में कहा गया है कि लगातार जंगलों में आग लगने के इतिहास के बावजूद केन्द्र और राज्य सरकार तथा वन संरक्षक द्वारा लापरवाही, ढुलमुल रवैया और स्थिति से निबटने के लिये तैयार नहीं रहने की वजह से वनों, वन्यजीवों और पक्षियों की बहुत अधिक हानि हो रही है जिससे पारिस्थितिकी असंतुलन पैदा हो रहा है।
याचिका में दावा किया गया है कि एक प्रमुख वन अनुसंधान संस्थान उत्तराखंड में है। इसके बावजूद प्राधिकारियों ने जंगल की आग की समस्या से निबटने के लिये इस संस्थान से परामर्श नहीं किया है। इसमें कहा गया है कि वन एवं वन्यजीव सबसे बहुत महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है और मानव जीवन तथा पर्यावरण में ये महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते है।
याचिका में कहा गया है कि दो राष्ट्रीय उद्यानों - कॉर्बेट नेशनल पार्क और राजाजी नेशनल पार्क जंगल की आग के कारण खतरे में है।