प्रवासी मजदूर संकट: सुप्रीम कोर्ट ने श्रमिकों को घरों तक पहुंचाने के लिए राज्यों को दिया 15 दिन का वक्त
By निखिल वर्मा | Published: June 5, 2020 03:00 PM2020-06-05T15:00:18+5:302020-06-05T15:35:23+5:30
कोरोना वायरस के चलते हुए देशव्यापी लॉकडाउन में सबसे ज्यादा तकलीफ प्रवासी मजूदरों को उठानी पड़ी है.
प्रवासी मजदूरों के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को अहम निर्देश दिया है। शीर्ष कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों ने कहा कि प्रवासियो को घर पहुंचाने के लिए 15 दिन का समय दे सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी कामगारों की दुदर्शा पर स्वत: संज्ञान लिये गये मामले में सुनवाई की। सुनवाई के दौरान केंद्र का कहना है कि अब तक एक करोड़ से ज्यादा प्रवासियों को उनके पैतृक स्थान पहुंचाया गया। केन्द्र ने न्यायालय से कहा कि इन कामगारों को उनके पैतृक स्थान पहुंचाने के लिये तीन जून तक 4200 से ज्यादा श्रमिक ट्रेनें चलाई गयीं।
मेहता ने कहा कि अभी तक एक करोड़ से ज्यादा श्रमिकों को उनके गंतव्य तक पहुंचाया गया है और अधिकांश ट्रेनें उत्तर प्रदेश और बिहार में खत्म हुयी हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारें बता सकती है कि अभी और कितने प्रवासी कामगारों को स्थानांतरित करने की आवश्यकता है ओर इसके लिये कितनी रेलगाड़ियों की जरूरत होगी। इस मामले में अभी सुनवाई जारी है।
पूर्व सॉलिसिटर जनरल और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार ने बिहार सरकार की ओर से पेश हुए। उन्होंने अदालत को बताया कि करीब 28 लाख लोग बिहार लौट आए हैं। बिहार सरकार उन्हें रोजगार प्रदान करने के लिए सभी कदम उठा रही है।
दिल्ली सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने बताया कि करीब दो लाख मजदूर दिल्ली में हैं। वे वापस जाने का विकल्प नहीं चुन रहे हैं। उत्तर प्रदेश सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील पी नरसिम्हा ने अदालत को बताया कि 1664 विशेष गाड़ियों से 21.69 लाख लोगों को वापस लाया गया है।
शीर्ष अदालत ने 28 मई को निर्देश दिया था कि अपने पैतृक स्थान जाने के इच्छुक सभी प्रवासी कामगारों से ट्रेन या बसों का किराया नहीं लिया जाये। न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया था कि रास्ते में फंसे श्रमिकों को संबंधित प्राधिकारी नि:शुल्क भोजन और पानी मुहैया करायेंगे।