देश के पहले समलैंगिक जज बन सकते हैं सौरभ कृपाल, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की ऐतिहासिक सिफारिश
By विनीत कुमार | Published: November 16, 2021 07:43 AM2021-11-16T07:43:31+5:302021-11-16T07:50:46+5:30
सौरभ कृपाल को लेकर पहले करीब चार बार फैसला टल चुका था। उनकी नियुक्ति होती है तो वे पहले ऐसे शख्स होंगे, जिनके समलैंगिक होने की जानकारी सार्वजनिक होने के बावजूद भारत में किसी हाई कोर्ट का जज बनाया जाएगा।
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने सीनियर अधिवक्ता सौरभ कृपाल के दिल्ली हाई कोर्ट के जज के तौर पर पदोन्नति की सिफारिश मंजूरी दी है। कॉलेजियम का कदम ऐतिहासिक है क्योंकि ये पहली बार है जब सुप्रीम कोर्ट ने किसी समलैंगिक को हाई कोर्ट का जज बनाने की सिफारिश की है।
सौरभ कृपाल की अगर नियुक्ति होती है तो वे भारत में पहले ऐसे शख्स होंगे, जिनके समलैंगिक होने की जानकारी सार्वजनिक होने के बावजूद किसी हाई कोर्ट का जज बनाया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी बयान के अनुसार 11 नवंबर को कॉलेजियम की मीटिंग के दौरान इस संबंध में फैसला लिया गया।
कॉलेजियम के फैसले पर सीनियर अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने खुशी जताते हुए ट्विटर पर लिखा, 'सौरभ कृपाल को बधाई जो देश में एक हाई कोर्ट के पहले समलैंगिक जज होंगे। आखिरकार हम यौन व्यभिचार के आधार पर होने वाले भेदभाव को खत्म कर एक समावेशी न्यायपालिका बनने जा रहे हैं।'
Congratulations to Saurabh Kripal who is set to become the first gay judge of a High Court in the country . Finally we are set to be an inclusive judiciary ending discrimination based on sexual orientation https://t.co/iKwCAyOMSc
— Indira Jaising (@IJaising) November 15, 2021
सौरभ कृपाल पर चार बार टल चुका था फैसला
इस साल मार्च में भी भारत के तत्कालीन चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने केंद्र सरकार से दिल्ली हाई कोर्ट के जज के रूप में सौरभ कृपाल की पदोन्नति पर अपना रुख स्पष्ट करने के लिए कहा था। रिपोर्ट के मुताबिक यह चौथी बार था जब सौरभ कृपाल के अक्टूबर 2017 में दिल्ली हाई कोर्ट कॉलेजियम द्वारा सर्वसम्मति से नाम की सिफारिश के बाद भी पदोन्नति पर अंतिम निर्णय टाल दिया गया था।
दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से स्नातक सौरभ कृपाल ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक की डिग्री हासिल की और उसके बाद कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से मास्टर डिग्री प्राप्त की। जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र के साथ कुछ समय के कार्यकाल के बाद दो दशकों से अधिक समय तक सौरभ कृपाल ने भारत के सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टीस की।
सौरभ कृपाल नवतेज सिंह जौहर बनाम भारत संघ के मामले में भी याचिकाकर्ताओं के वकील थे जिसमें सितंबर 2018 में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने धारा 377 को रद्द कर दिया था। पिछले साल 'दि प्रिंट' को दिए एक इंटरव्यू में भी कृपाल ने कहा था कि उनका मानना है कि उनके सेक्सुअल ओरिएंटेशन के कारण सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उन्हें हाई कोर्ट में पदोन्नत करने के फैसले को टाल दिया।