सुप्रीम कोर्ट ने पूछा: क्या मुस्लिम अयोध्या में जमीन पर अखाड़े के दावे को स्वीकार करते हैं?

By भाषा | Published: September 5, 2019 11:48 PM2019-09-05T23:48:22+5:302019-09-05T23:48:22+5:30

सुप्रीम कोर्ट, इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2010 के एक फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर सुनवाई कर रहा है। हाईकोर्ट ने चार दीवानी मुकदमों पर अपने फैसले में 2.77 एकड़ विवादित भूमि को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच समान रूप से विभाजित करने का फैसला सुनाया था। 

SC asks Muslims if they accept Akhara's claim on Ayodhya land despite tall claims of witnesses | सुप्रीम कोर्ट ने पूछा: क्या मुस्लिम अयोध्या में जमीन पर अखाड़े के दावे को स्वीकार करते हैं?

प्रतीकात्मक तस्वीर

Highlights। वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, ‘‘किसी ने कहा कि निर्मोही अखाड़ा 700 साल पहले अस्तित्व में आया तो कुछ ने कहा कि यह 250 साल पहले वजूद में आया।धवन ने कहा कि एक गवाह, जिसने 200 से अधिक मामलों में गवाही दी है, उसका मानना ​​था कि अगर कोई जगह जबरन छीन ली गई है तो ‘‘झूठ बोलने में कोई बुराई नहीं है।’’

उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को मुस्लिम पक्षकारों के उन आरोपों का संज्ञान लिया, जिसमें कहा गया कि निर्मोही अखाड़ा के कई गवाहों ने अपनी गवाही में ‘बढ़ा-चढ़ाकर’ दावे’ किये। इस पर न्यायालय ने उनसे पूछा कि क्या वे इसके बावजूद अयोध्या में विवादित भूमि पर उनका अधिकार स्वीकार करते हैं। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस ए नजीर की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन की दलीलों पर विचार किया कि अखाड़ा ने अपने वाद के पक्ष में जिन गवाहों का परीक्षण किया उनके बयानों में ‘विसंगति’ और ‘विरोधाभास’ है।

धवन इस मामले के मूल वादकार एम सिद्दीक समेत सुन्नी वक्फ बोर्ड और अन्य की तरफ से उपस्थित थे। वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, ‘‘किसी ने कहा कि निर्मोही अखाड़ा 700 साल पहले अस्तित्व में आया तो कुछ ने कहा कि यह 250 साल पहले वजूद में आया--एक गवाह ने कहा कि भगवान राम 12 लाख वर्ष पहले अवतरित हुए थे--।’’ उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन, मैं इस तथ्य से बच नहीं सकता कि इस बात के रिकॉर्ड हैं कि 1855-56 में निर्मोही अखाड़ा था और 1885 में (महंत रघुबर दास ने)एक मुकदमा दायर किया गया था।’’

धवन ने कहा कि एक गवाह, जिसने 200 से अधिक मामलों में गवाही दी है, उसका मानना ​​था कि अगर कोई जगह जबरन छीन ली गई है तो ‘‘झूठ बोलने में कोई बुराई नहीं है।’’ पीठ ने कहा, ‘‘इन विरोधाभासों के बावजूद, आप अब भी यह कहते हैं कि उन्होंने (निर्मोही अखाड़ा) अपने शेबैत (प्रबंधन) अधिकार स्थापित किये हैं।’’ पीठ ने राजनीतिक रूप से संवेदनशील इस मामले में सुनवाई के 20 वें दिन कहा कि अगर निर्मोही अखाड़ा के 'शेबैत अधिकारों' को स्वीकार कर लिया गया, तो उनके साक्ष्य भी स्वीकार कर लिए जाएंगे। धवन ने कहा कि ‘शेबैत’अधिकार सिर्फ स्थल के प्रबंधन और पूजा आदि तक सीमित हैं और यह 'अखाड़ा' के किसी भी स्वामित्व के दावे को जन्म नहीं देता।

गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2010 के एक फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर सुनवाई कर रहा है। उच्च न्यायालय ने चार दीवानी मुकदमों पर अपने फैसले में 2.77 एकड़ विवादित भूमि को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच समान रूप से विभाजित करने का फैसला सुनाया था। 

Web Title: SC asks Muslims if they accept Akhara's claim on Ayodhya land despite tall claims of witnesses

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