सावित्रीबाई फुले जयंती: भारत में महिला शिक्षा की प्रबल समर्थक, बालिका विद्यालय की पहली प्रधानाचार्या और किसान स्कूल की संस्थापिका, जानें

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 3, 2023 11:42 AM2023-01-03T11:42:44+5:302023-01-03T11:44:06+5:30

Savitribai Phule-सावित्रीबाई का जन्म महाराष्ट्र के नायगांव गांव में हुआ था। 10 साल की छोटी उम्र में शादी हो गई थी।

Savitribai Phule birthday jayanti 192nd birth anniversary India’s first woman teacher gave first girls school Strong supporter women education  | सावित्रीबाई फुले जयंती: भारत में महिला शिक्षा की प्रबल समर्थक, बालिका विद्यालय की पहली प्रधानाचार्या और किसान स्कूल की संस्थापिका, जानें

पूरा जीवन एक मिशन की तरह व्यतीत किया।

Highlightsसावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को हुआ था। पहले किसान स्कूल की संस्थापिका थीं। पूरा जीवन एक मिशन की तरह व्यतीत किया।

प्रख्‍यात समाजसेवी और भारत में महिला शिक्षा की प्रबल समर्थक रहीं सावित्रीबाई फुले को देश आज नमन कर रहा है। महात्‍मा फुले ने देश में पहले बालिका विद्यालय की शुरुआत की थी और सावित्रीबाई उसकी पहली महिला शिक्षिका थीं। सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को हुआ था। 

भारत की पहली महिला शिक्षिक सावित्रीबाई फुले का जन्म इसी दिन हुआ था। तीन जनवरी, 1831 को जन्मीं सावित्रीबाई फुले भारत के पहले बालिका विद्यालय की पहली प्रधानाचार्या और पहले किसान स्कूल की संस्थापिका थीं। सावित्रीबाई ने अपना पूरा जीवन एक मिशन की तरह व्यतीत किया।

सावित्रीबाई का जन्म महाराष्ट्र के नायगांव गांव में हुआ था। कहा जाता है कि 10 साल की छोटी उम्र में शादी हो गई, उनके पति ज्योतिराव फुले ने उन्हें घर पर ही शिक्षित किया। बाद में, ज्योतिराव ने सावित्रीबाई को पुणे में एक शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान में भर्ती कराया। अपने पूरे जीवन में युगल ने एक-दूसरे का समर्थन किया और ऐसा करने में कई सामाजिक बाधाओं को तोड़ा।

महिलाओं की शिक्षा और उनके विकास के लिए काफी काम किया। जिस समय देश ब्रिटिश रूल्स के अधीन था, जिस समय महिलाओं की शिक्षा पर किसी का ध्यान भी नहीं गया था। उसी समय से फुले ने महिलाओं के विकास और एजुकेशन पर काम किया। इन्होंने लोगों को महिला शिक्षा के लिए ना सिर्फ प्रेरित किया बल्कि कई महिलाओं को शिक्षा भी दी। 

पुणें में किया पहले गर्ल्स स्कूल की शुरुआत

देश में सबसे पहले गर्ल्स स्कूल की शुरुआत करने वाली सावित्रीबाई फुले ने ही की थी। जिस समय महिलाओं के लिए स्कूल और कॉलेज जाने पर मनाही थी उस समय सावित्रीबाई ने सन 1848 में पुणे में पहले गर्ल्स स्कूल भिंडे वाड़ा की स्थापना की थी। अपने पति ज्योतिराव फुले के साथ मिलकर उन्होंने इसकी स्थापना की थी। इस स्कूल में ना सिर्फ लड़कियों और महिलाओं को शिक्षा दी जाती थी बल्कि उनके अधिकार की जानकारी भी दी जाती है। 

बुलाया जाता है फर्स्ट लेडी टीचर ऑफ इंडिया

सावित्रीबाई फुले ने चाइल्ड मैरिज, सती प्रथा का विरोध किया। वहीं विधवा विवाह पर बल दिया। लोगों की सेवा के साथ उन्होंने समाज में महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार के विरोध में भी आवाजें उठायी। जिसमें बहुत हद तक वह सफर भी हुई। इन्हें फर्स्ट लेडी टीचर ऑफ इंडिया भी कहा जाता है। 

सावित्रीबाई फुले के काम की चर्चा और तारीफ सिर्फ देशवासी ही नहीं बल्कि ब्रिटिशर्स ने भी की। तभी तो नवंबर 1852 में ब्रिटिश सरकार ने फुले परिवार को उनके काम के लिए सम्मानित किया और सावित्रीबाई फुले को बेस्ट टीचर का खिताब दिया। बाद में सावित्रीबाई ने करीब 18 स्कूलों को खोला जहां महिलाओं की शिक्षा और उनके अधिकार के बारे में बताया जाता है।

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